ब्रिटिश शासन के दौरान अंग्रेज़ों का बसाया हिल स्टेशन
अल्मोड़ा जिले में स्थित रानीखेत एक छावनी क्षेत्र है जिसकी वजह से बाहरी गतिविधियाँ बहुत ही सीमित होती हैं और इस जगह पर आए सैलानी शांति और सकून के साथ अपना समय व्यतीत कर पाते हैं।
Ranikhet Travel Guide: उत्तराखंड में स्थित रानीखेत को देश के सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में गिना जाता है। इस जगह को ब्रिटिश शासन के दौरान अंग्रेज़ों ने बसाया और एक हिल स्टेशन के रूप में विकसित किया था। यह उनकी सबसे पसंदीदा जगहों में शुमार की जाती थी। इस जगह पर ब्रिटिश सेना के अधिकारी अपनी छुट्टियाँ व्यतीत करने के लिए आते थे। ख़ैर, अंग्रेज़ तो चले गए लेकिन इस जगह की ख़ूबसूरती आज भी बरकरार है। इस जगह पर आज भी लोग देश के कोने-कोने से पहुंचते और कुछ दिनों तक यहाँ की ख़ूबसूरत वादियों में समय व्यतीत करना पसंद करते हैं।
अल्मोड़ा जिले में स्थित रानीखेत एक छावनी क्षेत्र है, जिसकी वजह से बाहरी गतिविधियाँ बहुत ही सीमित होती हैं और इस जगह पर आए सैलानी शांति और सकून के साथ अपना समय व्यतीत कर पाते हैं। आप भी अगर रानीखेत घूमने का विचार बना रहे हैं, तो आपको इस लेख में पूरी जानकारी दी जाएगी।
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Ranikhet Travel: रानीखेत का सौंदर्य और मौसम
देवदार के वृक्षों से घिरा रानीखेत एक तरह से देखा जाए तो प्रकृति प्रेमियों का स्वर्ग है। इस जगह की शांत जलवायु और प्राकृतिक वातावरण किसी भी पर्यटक को अपनी तरफ़ खींच लेगा। सामान्यतौर पर पूरे साल सर्द रहने वाला यहाँ का मौसम सभी को पसंद आता है। इस जगह पर आपको ख़ूबसूरत घाटियाँ, बर्फ़ीले पहाड़, देवदार और चीड़ के ख़ूबसूरत पेड़ मिलेंगे, जिसकी ख़ूबसूरती को आप निहारते रह जाएँगे। शहरों के शोर सराबे से दूर यहाँ के शांत वातावरण में जो सकून का अनुभव होगा, वह आपकी यात्रा के रोमांच को कई गुना बढ़ा देगा।
रानीखेत कब जाना चाहिए?
रानीखेत किसी भी मौसम में जाया जा सकता है। यह घूमने और टहलने के लिहाज़ साल भर अनुकूल रहता है। गर्मी में इस जगह पर जाते हैं, तो खुशनुमा और ठंडा मौसम रहता है। सर्द के मौसम में तापमान काफ़ी नीचे गिर जाता है, लेकिन इस दौरान इस जगह पर बर्फ़ पड़ने की भी सम्भावना रहती है जो आपकी यात्रा के रोमांच को और भी ज़्यादा बढ़ा देती है। इस जगह पर सर्दी, गर्मी जैसे हर मौसम को एंजॉय करना अच्छा लगता है।
रानीखेत कैसे पहुंचे?
रानीखेत एक लोकप्रिय और अच्छा पर्यटन स्थल है जिसकी वजह से सभी तरह के परिवहन के साधनों से जुड़ा हुआ है। इस जगह पर आप फ्लाइट, ट्रेन अथवा सड़क मार्ग से पहुंच सकते हैं।
फ्लाइट से रानीखेत : यह एक पहाड़ी क्षेत्र है जिसकी वजह से रानीखेत में कोई एयरपोर्ट नही है। रानीखेत का सबसे निकटतम एयरपोर्ट पंतनगर में स्थित है, जो कि लगभग 115 किमी दूर है। पंतनगर एयरपोर्ट से कैब या टैक्सी के माध्यम से रानीखेत आ सकते हैं, जिसमें करीब 3-4 घंटे लगते हैं।
ट्रेन से रानीखेत : रानीखेत का सबसे निकटम रेलवे स्टेशन कठगोदाम 88 किमी की दूरी पर स्थित है। काठगोदाम के लिए दिल्ली, देहरादून और अन्य शहरों से डायरेक्ट ट्रेन की सुविधा उपलब्ध है। दिल्ली से रानीखेत पहुँचना तो और भी आसान है, रानीखेत एक्सप्रेस रात दस बजे चलती है और सुबह 5 बजे तक काठगोदाम रेलवे स्टेशन पहुँच जाती है। आप काठगोदाम से टैक्सी लेकर रानीखेत पहुंच सकते हैं।
सड़क मार्ग से रानीखेत : रानीखेत नैशनल हाइवे 87 के जरिए देश के हर राज्य से जुड़ा है। जिसकी वजह से सीधे इस जगह पर पहुंचा जा सकता है। आप इस जगह पर रोडवेज बस अथवा कार या टैक्सी से सड़क के रास्ते पहाड़ों की खूबसूरती का आनंद लेते हुए रानीखेत पहुँच सकते हैं। इस जगह पर पहुंचने के रास्ते बहुत ही सुंदर हैं।
रानीखेत में कहाँ ठहरें?
रानीखेत एक छोटी मगर बहुत ही ख़ूबसूरत जगह है, जिसकी वजह से इस जगह पर सैलानियों की भीड़ रहती है, बावजूद इसके आपको आसानी से होटेल और रिज़ॉर्ट मिल जाते हैं। इस जगह पर आप अपनी चॉइस और बजट के हिसाब से रहने का विकल्प चुन सकते हैं। रानीखेत में समान्यतौर पर नॉनएसी रूम 700 रूपये और एसी रूम 1200 की रेंज में मिल जाते है। गर्मियों के सीजन में होटल्स की एडवांस रूम बुकिंग करवाना अच्छा रहता है।
रानीखेत में घूमने की जगहें
झूला देवी मंदिर: रानीखेत में स्थित झूला देवी मंदिर का आस्था की दृष्टि से बहुत ही विशेष महत्व है। शहर से कुछेक किमी की दूरी पर स्थित इस मंदिर का निर्माण 8वीं शताब्दी का बताया जाता है। मंदिर में प्रवेश करते ही कई घंटियों का समूह दिखाई देता है। इस मंदिर को लेकर बहुत ज़्यादा मान्यता है, जब भी किसी की मनोकामना पूरी हो जाती है तो वह यहाँ तांबे की घंटी भेटस्वरुप चढाने आते हैं। इस मंदिर में घंटियों की आवाज़ सुनाई देती है जिसकी मधुर ध्वनि सुनकर सभी भक्तों का मन आनंदित हो उठता है।
दूनागिरी: धार्मिक और पौराणिक महत्व रखने वाला दूनागिरी रानीखेत का एक प्रमुख दर्शनीय स्थल है। इस जगह पर वैष्णो देवी का मंदिर है जिसे वैष्णोदेवी के बाद माता का दूसरा वैष्णो शक्तिपीठ है। एक पौराणिक मान्यता है कि जब लंका में श्री लक्ष्मण जी को शक्ति लगी थी तो हनुमान जी इसी पहाड़ पर से संजीवनी बूटी लाए थे। इस पर्वत पर गणेशाधार नाम की एक चोटी भी स्थित है जहाँ पर राक्षस कालनेमी और हनुमानजी का युद्ध हुआ था। इस जगह से हिमालय की चोटियों के मंत्रमुग्ध कर देने वाले दृश्य दिखाई देते है।
चौबटिया बाग: चौबटिया बाग रानीखेत का ही नहीं बल्कि देश का एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। चौबटिया बाग को इसकी ख़ूबसूरती और प्राकृतिक वातावरण के लिए जाना जाता है। इस बाग़ में फलों और फूलों की तक़रीबन 200 विभिन्न प्रजातियों के हरे-भरे पेड़ हैं। इस बाग़ में आपको स्वादिष्ट सेब, खुमानी, शाहबलूत और बादाम के कई उद्यान देखने को मिलेंगे। चौबटिया बाग के समीप फ्रूट रिसर्च सेंटर भी बनाया गया है जिसे देखेने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। बाग के निकट एक ख़ूबसूरत जलप्रपात भी स्थित है।
कालिका मंदिर: माँ कालीका मंदिर रानीखेत के सबसे लोकप्रिय स्थलों में गिना जाता है। इस जगह पर पहुंचने के लिए आपको शहर से तक़रीबन 6 किमी की यात्रा करनी पड़ती है। बावजूद इसके इस जगह पर सैलानियों की भीड़ रहती है। हरे- भरे वृक्षों के बीच स्थित इस चोटी पर आकर लोग माँ काली के दर्शन करने के साथ साथ आसपास की पहाड़ियों को देखना पसंद करते हैं। यह मंदिर इस जगह पर आने वाले अपने भक्तों के मन को शांति प्रदान करता हैं।
रानीखेत में पैराग्लाइडिंग
हिमालय की घाटियों में पैराग्लाइडिंग करना सैलानियों के लिए एक यादगार अनुभव होता है। रानीखेत का पैराग्लाइडिंग ट्रेक शहर से 12 किमी दूर अपनी साहसिक गतिविधियों के लिए जाना जाता है। इस जगह पर पैराग्लाइडिंग के तमाम तरह के विकल्प मौजूद है। यहाँ का पहली बार पैराग्लाइडिंग करने वाले लोगों के लिए पैराग्लाइडिंग का टेक-ऑफ पॉइंट बहुत अच्छा और सुविधाजनक है।