इन मंदिरों में मिलता है अनोखा प्रसाद, क्यों न आप भी कर आएं दर्शन: Temples Unique Prasad
Temples Unique Prasad

Temples Unique Prasad: आप जब भी मंदिर जाते होंगे तो नारियल, लड्डू, बूंदी, बताशे या फिर फल, मिठाई जैसी कोई भी चीज प्रसाद में जरूर मिलती होगी। लेकिन क्या कभी आपको ईश्वर के प्रसाद के रूप में चाॅकलेट, चाउमिन जैसी अन्य चीज़ मिली है। आप सोचेंगे कि भला प्रसाद के तौर पर ये चीजें कहां मिलती हैं? भारत में कुछ ऐसे अनोखे मंदिर हैं जहां का प्रसाद अजब-गजब होता है। जिनके बारे में जानकर आप हैरान रह जाएंगे। आइये आपको ऐसे कुछ अनोखे मंदिरों के बारे में बताते हैं-

चाइनीज काली मंदिर, कोलकाता

यह कोलकाता के चाइना टाउन का मशहूर मंदिर है। मां काली के इस मंदिर में प्रसाद के रूप में भगवान को नूडल्स, चैप्सी, चावल और सब्जियों से बनी खाने की चीजें चढ़ाई जाती हैं। पुजारी भी आने वाले भक्तों को चाइनीज प्रसाद वितरित करते हैं।  यहां आने वाले ज्यादातर भक्त चीन देश के होते हैं और वे अपनी पसंद का खाना प्रसाद के रूप में मंदिर में चढ़ाते हैं।

श्री बालासुब्रमण्यम मंदिर, केरल

Sri Balasubramaniam Temple, Kerala

केरल के बाहरी इलाके आलप्पुझा में बने इस मंदिर में मंच चाॅकलेट का प्रसाद दिया जाता है। जिसके चलते यह मंच मुरुगन मंदिर के नाम से भी मशहूर है। इस मंदिर में शिव-पार्वती के पुत्र कार्तिकेय या मुरुगन के बाल रूप की पूजा-अर्चना की जाती है। बाल रूप होने के नाते उन्हें बच्चों की पसंदीदा चाॅकलेट प्रसाद के तौर पर अर्पित की जाती है। मान्यता है कि एक बार इस मंदिर में अनजान बच्चा आया और चाॅकलेट का प्रसाद चढ़ाकर गायब हो गया। लोगों ने उस बच्चे को भगवान मुरुगन का बाल रूप मान लिया। तभी से इस मंदिर में भगवान को बतौर प्रसाद चाॅकलेट चढ़ाने की प्रथा शुरू हो गई। आने वाले भक्त पूजा  के लिए मंच चाॅकलेट से बनी मालाएं और डिब्बे लाते हैं। पुजारी भी उन्हें प्रसाद में मंच चाॅकलेट ही वितरित करते हैं।

अलागार मंदिर, तमिलनाडु

तमिलनाडु के मदुरै में बने भगवान विष्णु के मंदिर में भक्त भगवान को डोसे का प्रसाद चढ़ाते हैं। इस डोसे का सबसे पहला भोग भगवान विष्णु को चढ़ाया जाता है। बाकि डोसा भगवान विष्णु के दर्शन करने आए भक्तों को प्रसाद के तौर पर वितरित कर दिया जाता है।

मां महालक्ष्मी मंदिर, मध्य प्रदेश

Maa Mahalaxmi Temple, Madhya Pradesh

मध्य प्रदेश के रतलाम शहर में बने इस मंदिर में मां लक्ष्मी जी के साथ कुबेर की भी पूजा की जाती है। दुनिया का पहला ऐसा मंदिर है जहां सोना-चांदी प्रसाद के रूप में मिलता है। इस प्रथा का चलन काफी पहले हुआ था। यह मंदिर धनतेरस के दिन से भाईदूज के दिन तक ही खुलता है। धनतेरस से आठ दिन पहले इस मंदिर को भक्तों द्वारा दान में दिए गए सोने-चांदी के गहनों और नोटों से सजाया जाता है। मंदिर में जो भी मां महालक्ष्मी के दर्शन करने आता है, वो सोने-चांदी के सिक्के लेकर घर जाता है। माना जाता है कि इससे उनके धन-धान्य में बढ़ोतरी होती है।

करणी माता मंदिर, राजस्थान

बीकानेर स्थित करणी माता का मंदिर चूहों वाली माता के मंदिर नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर में चैबीसों घंटे हजारों काले चूहे नजर आते हैं। चूहों को काबा या मां की संतान माना जाता है। मां की पूजा-अर्चना के बाद सबसे पहले चूहों को दूध, लड्डू और खाने-पीने की चीजें परोसी जाती हैं। चूहों का झूठा किया हुआ प्रसाद मंदिर आने वाले भक्तों को वितरित किया जाता है। सबसे बड़ी बात है कि इस प्रसाद को खाकर कोई बीमार नहीं होता।

मुनियांदी स्वामी मंदिर, तमिलनाडु

Muniyandi Swami Temple, Tamil Nadu

इस मंदिर में साल में एक बार 3 दिन के लिए वार्षिक महोत्सव मनाया जाता है और भक्तों को प्रसाद के रूप में गर्मागर्म मटन-बिरयानी दी जाती है। माना जाता है कि यह प्रथा 1983 से चल रही है। उस समय मदूूरै के एक गांव में व्यक्ति ने होटल व्यवसाय शुरू किया। व्यवसाय सफल होने पर उस व्यक्ति ने भगवान को समर्पित एक भोज किया जिसमें मटन-बिरयानी का भोग लगाया। तब से मंदिर में मुनियांदी उत्सव मनाने की प्रथा चल रही है।

जय दुर्गा पीठम मंदिर, तमिलनाडु

तमिलनाडु के चिन्नई में स्थित इस मंदिर में भक्तों को प्रसाद के रूप में बर्गर, सेंडविच और केक दिया जाता है। सबसे बड़ी बात है कि मंदिर का प्रसाद भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) से प्रमाणित ही नहीं होता, उस पर एक्सपाइरी डेट भी लिखी होती है। मंदिर की स्थापना करने वालों का मानना है कि मंदिर में पवित्रता और सफाई का बहुत ध्यान रखा जाता है। यही नही रेगुलर आने वाले भक्तों की जन्मतिथि और नाम रिकार्ड किए जाते हैं। जन्मदिन पर आने वाले भक्तों को बर्ड डे केक प्रसाद के रूप में दिया जाता है जिसे भक्त भगवान का आर्शीवाद मानकर खुशी-खुशी स्वीकार करते हैं।