Chocolate in Prasad: आपने मंदिर में श्रद्धालुओं को फल-फूल, मिठाई, चंदन, दूध अर्पित करते हुए अक्सर देखा होगा। लेकिन क्या आपको ऐसे मंदिर के बारे में मालूम है जहां भगवान को चाॅकलेट का भोग लगाया जाता है। भारत में ऐसा अद्भुत मंदिर भी है जहां भगवान को प्रसाद के रूप में चाॅकलेट अर्पित की जाती है।
यह है-केरल के बाहरी इलाके आलप्पुझा में केममोथ श्री बालासुब्रमण्यमपुरम मंदिर। यह भगवान कार्तिकेय का मंदिर है जिन्हें हिन्दू धर्म ग्रंथों के अनुसार मुरुगन को सुब्रमण्यम और कार्तिकेय नाम से भी जाना जाता है। भगवान कार्तिकेय शंकर भगवान और माता पार्वती के पुत्र थे। इस मंदिर में मुरुगन के बाल रूप की पूजा-अर्चना की जाती है और बच्चे होने के नाते उन्हें बच्चों की पसंदीदा चाॅकलेट प्रसाद के तौर पर अर्पित की जाती है। जिसके चलते यह मंदिर मंच मुरुगन नाम से भी मशहूर है। खासियत है कि आने वाले भक्त पूजा में भगवान मुरुगन केा चढ़ावा चढ़ाने के लिए लड्डू, बूंदी या फल के बजाय अपने साथ लाते हैं. मंच चाॅकलेट बार से बनी मालाएं और मंच चाॅकलेट बार के डिब्बे। पुजारी भी उन्हें प्रसाद में मंच चाॅकलेट ही वितरित करते हैं।
कई कथाएं हैं प्रचलित
माना जाता है कि यह मंदिर लगभग 300 साल पुराना है और चाॅकलेट प्रसाद का प्रचलन यहां सन् 2000 के आसपास शुरू हुआ। स्थानीय लोगों के अनुसार बाल मुरुगन को दूसरे बच्चों के समान चाॅकलेट पसंद होगी- तभी से यह परंपरा शुरू हुई होगी। शुरूआत में केवल बच्चे चाॅकलेट चढ़ाते थे, लेकिन वर्तमान में सभी आयु के श्रद्धालु ऐसा करते हैं।
मुरुगन मंदिर में चाॅकलेट का प्रसाद के पीछे कई कथाएं प्रचलित हैं। उनमें से एक ये है कि मंदिर के गांव के पास एक बच्चा बहुत बीमार था। उसके बचने तक की उम्मीद नहीं थी। एक दिन उसकी मां ने देखा कि बच्चा नींद में भगवान मुरुगन का नाम ले रहा है। अगले दिन उसके माता-पिता भगवान मुरुगन के मंदिर ले गए। वहां बच्चे ने जिद की कि वे भगवान मुरुगन को लड्डू का प्रसाद न चढ़ाकर मंच चाॅकलेट का प्रसाद चढ़ाएं। भगवान ने भी उसकी मासूमियत देखकर चाॅकलेट को स्वीकार किया और उस बच्चे की तबीयत ठीक हो गई। यह मान्यता पूरे गांव में फैल गई। तभी से यह परंपरा चली आ रही है।
ऐसे ही बच्चे से जुड़ी चमत्कारपूर्ण एक कहानी और भी प्रचलित है। जिसके हिसाब से एक दिन अचानक ही एक बच्चे ने मंदिर के गर्भगृह के पास चाॅकलेट का प्रसाद चढ़ाया था। लेकिन लोग कुछ समझ पाते, इससे पहले ही वह बच्चा गायब हो गया। गायब कैसे हुआ- यह आज तक कोई नहीं समझ पाया। लोगों ने इस बच्चें को काफी ढूँढा,लेकिन वह बच्चा नही मिला। लोगों ने उस बच्चे को भगवान मुरुगन का बाल रूप मान लिया। तभी से इस मंदिर में भगवान को बतौर प्रसाद चाॅकलेट चढ़ाने की प्रथा शुरू हो गई।
पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र
वर्तमान में यह मंच मंदिर देश-विदेश के पर्यटकों, खासकर बच्चों के आकर्षण का केंद्र है। हर साल यहां लाखों की संख्या में भिन्न-भिन्न जाति,समुदाय और धर्म के श्रद्धालु ही नहीं, देश-विदेश से पर्यटक भी आते हैं। शुरूआत में केवल बच्चे चाॅकलेट चढ़ाते थे, लेकिन वर्तमान में सभी आयु के श्रद्धालु ऐसा करते हैं। अपनी श्रद्धा और विश्वास के अनुसार भगवान मुरुगन की कृपा पाने के लिए डिब्बा भर-भर कर चाॅकलेट लाते हैं। मंदिर मे प्रार्थना पूरी होने पर चाॅकलेट चढ़ाना यहां का अनुष्ठान है। जिसके चलते कई भक्त तो अपने वजन के बराबर मंच चाॅकलेट भगवान मुरुगन को अर्पित करते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से भगवान मुरुगन जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं और अपने भक्तों की मनोकामना जल्दी पूरी करते हैं।
अगर आप भी अगली बार केरल जाएं तो भगवान मुरुगन के मंच मंदिर मे जाना ना भूलें।