Social Media Detox: आजकल एक ट्रेंड बहुत प्रचलन में हैं जिसका नाम है ‘सोशल डिटॉक्सिकरण’ मतलब ‘सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से दूर जाना’। आज-कल जब आप बोर होती हैं, तो क्या करती हैं? सोशल मीडिया को स्क्रॉल करती हैं, है ना? अधिकतर लोग यही करते हैं। बार-बार स्क्रॉल करने पर आपने ध्यान दिया होगा कि आप थकान महसूस करने लगते हैं, सिर भारी सा लगने लगता है और मन करता है कि आंखें बंद कर लो। यदि आपको ऐसा ही कुछ महसूस हो रहा है, तो समय आ गया है कि आप सोशल मीडिया क्लींजिंग करें। इससे आपका भारीपन दूर होगा, एंजायटी दूर होगी और अच्छी नींद भी आएगी।
क्या है सोशल मीडिया डिटॉक्स?
सोशल मीडिया डिटॉक्स का मतलब कुछ दिनों के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से ब्रेक लेना है। इसमें इंटरनेट से एक दिन की दूरी से लेकर कुछ हफ्तों या महीनों तक की दूरी शामिल है। ये ऑनलाइन प्लेटफॉर्म मस्तिष्क के उसी हिस्से को सक्रिय करते हैं, जिस हिस्से को अन्य आदतें भी करती हैं। लाईक, फॉलो और कमेंट मिलने से डोपामाइन बढ़ जाता है और व्यक्ति को खुशी महसूस होने लगती है। शोध भी कहते हैं कि सोशल मीडिया मेंटल हेल्थ के लिए बहुत अच्छा नहीं है।
कब है आपको सोशल मीडिया डिटॉक्स की जरूरत
जब भी आपको अपने सोशल मीडिया के फीड को देखते हुए या देखने के बाद मूड में निगेटिविटी नजर आने लगे तो इसका मतलब है कि आपको सोशल मीडिया डिटॉक्स की जरूरत है। यदि आपको अपनी फीडचेक करते हुए या करने के बाद गुस्सा आने लगे, जलन, असुरक्षा ऐसा महसूस हो तो सोशल मीडिया से दूरी बना लेना उचित है।
सोशल मीडिया डिटॉक्स के फायदे
मूड में सुधार
सोशल मीडिया से दूरी बना लेने पर लोगों के मूड में आश्चर्यजनक तरीके से बदलाव पाया गया है।शोध बताते हैं कि जब लोग सोशल मीडिया से दूरी बना लेते हैं, तो उन्हें बेहतर महसूस होता है।
कम एंजायटी
सोशल मीडिया डिटॉक्स का एक बड़ा फायदा एंजायटी का कम हो जाना है। अक्सर लोग सोशल मीडिया पर ऐसा कुछ देख लेते हैं, जो उन्हें चिंता और अवसाद में डाल देता है।
फोकस का बढ़ना
अमुमन जब लोगों को समझ नहीं आता कि वे क्या करें, तो उनका हाथ अपने आप मोबाइल फोन की ओर बढ़ जाता है। बिना किसी काम के घंटों तक स्क्रॉल करने से आपका ध्यान और कम होता जाता है। इसीलिए सोशल मीडिया डिटॉक्स आपके फोकस को बढ़ाने का काम करता है।
क्रिएटिविटी में बूस्ट
सोशल मीडिया डिटॉक्स से आपकी क्रिएटिविटी बढ़ती है। आपको फ्री समय मिलता है और आप नई हॉबी ट्राय करते हैं। साथ ही आप क्रिएटिव लोगों के साथ बेथ सकते हैं, जहां आपको कुछ न कुछ सीखने को ही मिलेगा।
सबसे अलग होने का डर होता है दूर
सोशल मीडिया डिटॉक्स आपको उस फीलिंग से दूर ले जाता है कि ‘सब लोग ऐसा कर रहे हैं और मैं नहीं कर पा रही हूं।’ सोशल मीडिया से दूरी करके आप खुद को नियंत्रित कर सकते हैं।
मजबूत सोशल कनेक्शन
सोशल मीडिया डिटॉक्स करके आप असल में लोगों के करीब आ सकते हैं। आभासी दुनिया के लोगों से फिजिकली मिलना लगभग असंभव है। सोशल मीडिया डिटॉक्स करके आप असल जिंदगी के लोगों के साथ समय बिताने का मौका मिलता है और आपकी बॉन्ड मजबूत बनती है।
गहरी और पर्याप्त नींद
साइंस कहता है कि सोशल मीडिया के ज्यादा इस्तेमाल से नींद की क्वालिटी पर असर पड़ता है। स्क्रीन टाइम कम करने से नींद अच्छी आती है और स्वास्थ्य भी सही रहता है।
आंखें रहती हैं स्वस्थ
देर तक स्क्रीन को स्क्रॉल करने से आपकी आंखें स्क्रीन पर चिपकी रहती हैं। ऐसे में आंखों पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है और आंखें थक जाती हैं, आंखों पर चश्मा लग जाता है। सोशल मीडिया डिटॉक्स करने से आपकी आंखों को आराम मिलता है।
सही पॉश्चर
यह शायद अजीब लग रहा होगा लेकिन बिल्कुल सच है। सोशल मीडिया डिटॉक्स करने से आपके पॉस्चर में भी सुधार आता है और गर्दन में होने वाला दर्द भी कम होता है।