Overview:
शिव को अति प्रिय शिव मंत्र में इतनी शक्ति है कि यह आपके दांपत्य जीवन में खुशहाली लाता है और दुख, दरिद्रता, शत्रुता, रोग, कष्ट, पीड़ा को दूर करता है। अगर आप भी अपने जीवन के कठिन दौर से गुजर रहे हैं तो इस सावन मास में भगवान शिव का यह मंत्र इन कष्टों से आपको मुक्ति दिला सकता है।
Sawan Mantra Jaap: सावन का महीना भगवान शिव को अति प्रिय है। यही कारण है कि इस मास में भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। माना जाता है कि इस माह में जो भक्त भोलेनाथ के लिए सच्चे मन से जप-तप करता है, उसकी हर इच्छा पूरी होती है। शिव को अति प्रिय शिव मंत्र में इतनी शक्ति है कि यह आपके दांपत्य जीवन में खुशहाली लाता है और दुख, दरिद्रता, शत्रुता, रोग, कष्ट, पीड़ा को दूर करता है। अगर आप भी अपने जीवन के कठिन दौर से गुजर रहे हैं तो इस सावन मास में भगवान शिव का यह मंत्र इन कष्टों से आपको मुक्ति दिला सकता है।
Also read : सावन में इन 7 प्रसादों के भोग से प्रसन्न होंगे भोले बाबा, मिलेगा मनचाहा आशीर्वाद: Sawan 2024 Prashad Bhog
इसलिए प्रिय है शिव को सावन

ये तो हम सभी जानते हैं कि भगवान शिव को सावन मास अति प्रिय है। लेकिन इसका कारण क्या है, ये बहुत कम लोग जानते हैं। स्कंद पुराण के अनुसार भगवान शिव ने खुद सनत्कुमार को बताया था कि उन्हें सावन माह बहुत प्रिय है। दरअसल, श्रावण मास दक्षिणायन से शुरू होता है। इसके देवता भगवान शिव हैं। यही कारण है कि इस मास में शिव पूजन का विशेष महत्व है। इसी के साथ इस मास में बारिश आती है। इस दौरान प्रकृति में कई सुंदर फूल और पेड़ों पर नए पत्ते आते हैं। ये सभी भोलेनाथ को प्रिय होते हैं। इसलिए शिव पूजन में फूल पत्ते चढ़ाए जाते हैं।
पंचाक्षरी मंत्र का जप है महत्वपूर्ण
माना जाता है कि सावन माह में जो भक्त पूरी श्रद्धा से पंचाक्षरी मंत्र ‘ॐ नमः शिवाय’ का जप करते हैं उनका हर बिगड़ा हुआ काम बनता चला जाता है। इस शक्तिशाली शिव मंत्र की उत्पत्ति का भी अपना महत्व है। इसे सृष्टि का पहला मंत्र माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार इस मंत्र की उत्पत्ति उस समय हुई, जब भगवान भोलेनाथ पांच मुख के साथ अग्रि स्तंभ के रूप में प्रकट हुए थे। भगवान शिव के इन पांच मुखों में पूरी सृष्टि का निवास था यानी इसमें जल, अग्नि, आकाश, पृथ्वी और वायु सम्मिलित थे। इस दौरान सबसे पहले जिस शब्द की उत्पत्ति हुई वो था ‘ॐ’। इसके बाद इन पांचों मुखों से नम: शिवाय की उत्पत्ति हुई। यही कारण है कि ‘ॐ नमः शिवाय’ के मंत्र को शिव ज्ञान और शिव वाक्य माना जाता है। जो भक्त इस मंत्र का जप करता है, उसके तार सीधे भोलेनाथ से जुड़ जाते हैं। सावन में इस मंत्र जप से भक्तों को संपूर्ण सिद्धियां प्राप्त होती हैं।
ऐसे करें पंचाक्षरी मंत्र का जप
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार पंचाक्षरी मंत्र का जप पूर्वाभिमुख होकर करना चाहिए। अपनी मनोकामना पूर्ण करने के लिए इसे एक मुखी रुद्राक्ष की माला से ही करना चाहिए। सावन मास में प्रतिदिन इस मंत्र को जप कर 11 बार माला करनी चाहिए। अगर आपकी कोई इच्छा लंबे समय से पूरी नहीं हो रही है या फिर कोई काम अटका हुआ है तो आपको 108 बार पंचाक्षरी मंत्र का जप करना चाहिए। ध्यान रखें की इस मंत्र जप की शुरुआत सोमवार से करें। निरंतर इसे करने से ज्योतिर्लिंग दर्शन और तीर्थ दर्शन का फल मिलता है।
