पूजा में आरती एक हाथ से करें या दोनों हाथ से
एक नियम पूजा में होने वाली आरती का भी है। ये एक बहुत चर्चित सवाल रहता है कि आरती एक हाथ से कर सकते है या नहीं?
Rules of Worship: हिन्दू रीति रिवाज के अनुसार हिन्दू धर्म में पूजा पाठ का बहुत ही अत्यधिक महत्व है। इन पूजा पाठ से जुड़े कई तरह के नियम बनाये गये है जिसे अच्छे से पालन करने के लिए कहा गया है। लेकिन फिर भी लोग कई तरह के नियमों से अशिक्षित रह जाते है। उन्हीं नियम में से एक नियम पूजा में होने वाली आरती का भी है। ये एक बहुत चर्चित सवाल रहता है कि आरती एक हाथ से कर सकते है या नहीं? आज हम आपको इस सवाल का सही जवाब तो देंगे ही इसके साथ साथ आपको पूजा से जुड़े कई नियमों के बारे में भी बताएँगे।
एक हाथ से आरती करना सही या गलत?

वैसे तो धार्मिक रूप से कोई भी व्यक्ति पूजा के समय दोनों हाथों से ही पूजा का काम करता है। ईश्वर को प्रणाम करने और अपनी भक्ति भावना को अर्पित करने के लिए दोनों हाथों के माध्यम से ही ईश्वर की सेवा करता है। लेकिन फिर भी कई बार एक हाथ से जल्दबाजी में आरती कर दी जाती है। हिन्दू धर्म के अनुसार एक हाथ से आरती अगर आप कर भी रहे है तो आपको अपने दूसरे हाथ से पहले हाथ को छू लेना चाहिए। जिससे एक हाथ का परदोष हट जाता है। अर्थार्थ कभी भी एक हाथ से आरती करने से आपको बचना चाहिए हिन्दू धर्म के अनुसार इसे निष्फल माना गया है।
क्या एक हाथ से आरती ले सकते हैं?

आरती करने के साथ साथ भगवान का परसाद समझ आरती को एक हाथ से लेना भी अशुभ माना गया है। जब भी आप आरती ले रहे हो तो ध्यान दें कि आप दोनों ही हाथों से आरती लें। अगर जल्दबाजी या किसी भीड़ के कारण आपको ऐसा करना पड़ रहा है तो आप जिस हाथ से आरती ले रहे है दूसरे हाथ से उस हाथ को पीछे से छू सकते हैं।
पूजा करते हुए इन नियमों को भी रखें ध्यान

जब भी आप किसी मंदिर में जाते है तो कभी भी भगवान को एक हाथ से प्रणाम नहीं करना चाहिए। इससे भगवान का अपमान माना जाता है और मनुष्य के जीवन में कई तरह की परेशानिया आने लगती है। हमेशा ही भगवान को सहज दिल से दोनों हाथों को जोड़कर प्रणाम करना चाहिए।
हिन्दू धर्म के अनुसार ज्यादातर ये कह दिया जाता है कि महिलाओं को सर ढककर पूजा में बैठना चाहिए लकिन हिन्दू मान्यता के अनुसार चाहे वो महिला हो या पुरुष दोनों को ही सर ढककर ही पूजा में बैठना चाहिए।
घर के मंदिर में कभी भी खड़े होकर पूजा नहीं करनी चाहिए। हिन्दू मान्यता के अनुसार घर में ईश्वर की प्राथना आराम से आसन पर बैठकर, अच्छे से ईश्वर की भक्ति में ध्यान लगाकर ही पूजा करनी चाहिए। लेकिन आज के समय में लोग इस नियम की सबसे ज्यादा अनदेखी कर रहे है। पुराने समय में भी पूजाघर अलग से बनाये जाते थे जहाँ शांति से बैठकर पूजा की जाती थी। जबकि वहां सभी लोगों का आना जाना भी निषेध होता था।