Summary: प्राडा के रैंप पर दिखीं कोल्हापुरी चप्पलें, भारत का नाम तक नहीं लिया
प्रसिद्ध फैशन ब्रांड प्राडा ने मिलान फैशन वीक 2026 में ऐसे फुटवियर पेश किए जो हूबहू भारतीय कोल्हापुरी चप्पलों जैसे थे, लेकिन भारत का कोई जिक्र नहीं किया गया। इस पर सोशल मीडिया पर लोगों ने तीखी प्रतिक्रिया दी।
Prada Kolhapuri Chappals Controversy: भारतीय शिल्प कौशल का सदियों पुराना प्रतीक कोल्हापुरी चप्पल ग्लोबल फैशन स्टेज पर अपनी पहचान बना चुका है। मिलान में फोंडाजियोन प्राडा के डेपोजिटो में पुरुषों के स्प्रिंग/समर 2026 कलेक्शन के दौरान, इतालवी लग्जरी हाउस प्रादा ने ऐसे फुटवियर दिखाए, जो महाराष्ट्र में बनने वाले और हाथ से सिले लेदर फुटवियर कोल्हापुरी से काफी मैच कर रहे थे। यहां बात हो रही है हमारी अपनी ‘कोल्हापुरी चप्पलों’ की, जिन्हें ग्लोबल फैशन स्टेज पर देखकर सबको खुशी तो हुई लेकिन दुख यह हुआ इसका क्रेडिट भारत को नहीं दिया गया।
क्या है पूरा मामला?
हाल ही में दुनिया के सबसे बड़े फैशन ब्रांड्स में गिने जाने वाले प्राडा (Prada) ने अपने रैंप वॉक पर एक नया फुटवियर कलेक्शन पेश किया। यह हूबहू कोल्हापुरी चप्पलों की तरह दिख रहा था। वही चमड़े का काम, वही सपाट बेस और वही एथनिक फील लेकिन अंतर यह था कि प्राडा ने इसे ‘इटालियन ट्रेडिशनल स्लिप ऑन’ कह दिया। भारत का नाम तो दूर उल्लेख तक नहीं किया गया।
हमारा है लेकिन नाम उनका क्यों?
कस्बों से लेकर शहर की महिलाएं, खासकर महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश की यह अच्छी तरह से जानती हैं कि कोल्हापुरी चप्पल क्या होती है। शादी-ब्याह हो या पूजा, एक जोड़ी कोल्हापुरी चप्पल पहन कर हम पूरे दिन आराम से चल सकती हैं। यह हमारे लोकल मार्केट की शान भी है। 500 रुपये में आसानी से अच्छी और हाथ से बनी कोल्हापुरी चप्पल आराम से मिल जाती है और टिकती भी है सालों तक। लेकिन जब यही चप्पल प्राडा रैंप पर आती है और उसकी कीमत 1.6 लाख रुपये के करीब बताई जाती है और ऊपर से कहा जाता है कि इसका इंस्पिरेशन इटली से है’, तो गुस्सा आना तो बनता है।
सोशल मीडिया पर उठा तूफान
इस वीडियो के वायरल हो जाने के बाद सोशल मीडिया पर भारत के फैशन लवर्स और आम लोगों ने प्राडा को घेर लिया। एक यूजर ने लिखा, “क्या हमारी चीजें अब नाम बदलकर चुराई जाएंगी?”। एक अन्य ने लिखा, “कम से कम इतना तो कहो कि इसका आधार भारत की कला है।” एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक यूजर ने लिखा, “प्राडा एसएस26 में कोल्हापुरी चप्पल शामिल है, जो भारत के महाराष्ट्र के कोल्हापुर से आई है और अपने इंट्रिकेट डिजाइन और शिल्प कला के लिए जानी जाती है।”
एक अन्य यूजर ने कमेन्ट किया, “वे कहते हैं कि यदि आप अपनी संस्कृति को महत्व नहीं देते हैं, तो कोई और देगा और ठीक यही हो रहा है। प्राडा अब सैकड़ों डॉलर में कोल्हापुरी चप्पल बेच रही है, जबकि हमारे कारीगर जिन्होंने पीढ़ियों से इस शिल्प को जीवित रखा है, उन्हें कोई श्रेय या उचित भुगतान नहीं मिलता है।”
हमारे लिए क्या सीख है इसमें?
अब सवाल यह है कि हम घर में बैठी भारतीय महिलाएं इससे क्या सीखें? अपनी संस्कृति को छोटा न समझें। जो चीजें हमें रोज की लगती हैं, जैसे चप्पलें, साड़ियां, बिंदी, कढ़ाई, वे दुनिया के लिए अद्भुत हैं। उन्हें गर्व से अपनी रोजाना की जिंदगी में शामिल कीजिए। जब अगली बार मार्केट जाएं, तो किसी लोकल कोल्हापुरी या हैंडमेड चीज लें। आपके 800 रुपये किसी बड़े ब्रांड से कहीं ज्यादा एक कलाकार के लिए मायने रखते हैं। अपने बच्चों को बताइए कि हमारी चीजें कितनी अनमोल हैं ताकि अगली पीढ़ी गर्व करे।
