parenting

Overview:

बच्चों में कॉन्फिडेंस पेरेंट्स ही जगा सकते हैं। जब आप बच्चे को हमेशा अच्छे शब्दों और लहजे में अपनी बात समझाएंगे, तो उनका कॉन्फिडेंस बूस्ट होगा।

Kids Confidence Boost: हर माता-पिता की एक ही ख्वाहिश होती है कि उनका बच्चा जिंदगी के हर क्षेत्र में सफल रहे। उसमें हर परिस्थिति का सामना करने का कॉन्फिडेंस हो, वह परेशानियों से डरे बिना उनका सामना कर सके। बच्चों में यह कॉन्फिडेंस पेरेंट्स ही जगा सकते हैं। जब आप बच्चे को हमेशा अच्छे शब्दों और लहजे में अपनी बात समझाएंगे, तो उनका कॉन्फिडेंस बूस्ट होगा। उनमें आत्मविश्वास जगाएं कि वे सब कुछ करने में सक्षम हैं। कुछ शब्द और वाक्य बच्चों के सेल्फ कॉन्फिडेंस को काफी बढ़ा सकते हैं। हर पेरेंट को यह बात जरूर समझनी और जाननी चाहिए।

You should always try to know the feelings and thoughts of children.

बच्चे बहुत ही कोमल और साफ दिल होते हैं, जब पेरेंट्स उन पर विश्वास जताते हैं तो उन्हें महसूस होता है कि आप उन्हें समझेंगे। आप हमेशा बच्चों की भावनाएं और विचार जानने की कोशिश करें। उन्हें अपनी फीलिंग्स एक्सप्रेस करने के लिए प्रोत्साहित करें। इससे उनका कॉन्फिडेंस बढ़ेगा। साथ ही उन्हें बोलना आएगा, परिस्थितियों का सामना करना आएगा और वे जिंदगी भर खुद की बातें बोलने से डरेंगे नहीं। बच्चे से डेली पूछें कि आज उन्होंने क्या किया और उनका दिन कैसा बीता।  

आपने देखा होगा कि जो लोग ‘ना’ नहीं बोल पाते, दूसरे लोग उनका फायदा उठाने लगते हैं। इसलिए बच्चों को बचपन से ही अपनी लिमिट्स बताएं और सम्मानपूर्वक ‘ना’ कहना भी  सिखाएं। इससे बच्चे सही और गलत में अंतर सीख पाएंगे। कोई भी बच्चे का गलत फायदा नहीं उठा पाएगा। आगे चलकर वे अपनी इच्छा और पसंद से अपना जीवन जी सकेंगे।  

हर बच्चे की अपनी खासियत होती हैं। इसलिए दूसरे बच्चे की खूबियां बताने से बेहतर है कि आप अपने बच्चे की विशेषताएं उसे बताएं। जब आप दूसरे बच्चे की खूबियों का गुणगान अपने बच्चे के सामने करते हैं तो उसका कॉन्फिडेंस टूटता है और वह खुद को कमतर समझने लगता है। लेकिन अगर आप बच्चे को उसकी खासियत और विशेषताएं बताएंगे तो उसका कॉन्फिडेंस बढ़ता है। इनके बल पर वो आगे से आगे सफलता पा सकते हैं। इसका दूसरा फायदा यह भी है कि बच्चा अपनी आगे की राह तय कर पाता है। उसे अपने पैशन का पता चलता है।  

कहते हैं जो पेड़ तनकर खड़े होते हैं वो अक्सर आंधियों में टूट जाते हैं। इसलिए अपने बच्चों को हमेशा अपनी गलतियां मानना सिखाएं। इससे वे ईमानदार और फ्लेक्सिबल बनेंगे। वो सेंसिटिव बनेंगे। साथ ही उन्हें जिम्मेदारी का एहसास भी होगा। हां, लेकिन उन्हें ये भी बताएं कि अगर आपकी गलती नहीं है तो सिर्फ किसी को खुश करने के लिए ‘सॉरी’ न बोलें। यह बात उनकी पर्सनालिटी डवलपमेंट में भी अहम रहेगी।

गलतियां हर इंसान से होती हैं। ये जिंदगी का हिस्सा हैं। इसलिए बच्चों को गलतियां छिपाना नहीं, उन्हें खुलकर स्वीकार करना सिखाएं। साथ ही उन्हें इसके आफ्टर इफेक्ट्स भी बताएं। इससे वे आगे के लिए सबक ले सकेंगे। ये सबक उनकी जिंदगी में अहम होंगे। इससे वे सही और गलत का अंतर जान पाएंगे। वे पूरे आत्मविश्वास के साथ जिंदगी में आगे बढ़ेंगे।