Metaverse Effects: भारत में रिश्तों को हमेशा से ही अहमियत दी गई है। यहां हर रिश्ते का अपना एक औहदा और सम्मान है। रिश्ते निभाने की परंपरा है। पति-पत्नी का रिश्ता तो सात जन्मों का माना जाता है। लेकिन क्या वर्चुअल वर्ल्ड का असर रिश्तों पर पड़ेगा। हाल ही में मार्केट रिसर्च फर्म इप्सोस का एक चौंका देने वाला सर्वे सामने आया है। इस सर्वे के अनुसार आने वाले दस सालों में दुनियाभर में रिश्तों की परिभाषा ही बदल जाएगी। प्यार करने के तौर तरीके भी एकदम अलग होंगे। हैरानी की बात तो ये है कि ऐसा मानने वाले लोगों की संख्या काफी ज्यादा है।
46 % लोग इंसानों की जगह करेंगे रोबोट से प्यार
इप्सोस के सर्वे के अनुसार दुनियाभर के 61 प्रतिशत लोगों का मानना है कि साल 2033 तक लोग प्यार और रोमांस मेटावर्स के माध्यम से ही करने लगेंगे। हैरानी की बात तो ये है कि 46 प्रतिशत का मानना है कि लोग इंसानों की जगह रोबोट से ही प्यार और इजहार करने लगेंगे। 60 प्रतिशत लोग इसके लिए एआई चैट बॉक्स का यूज करेंगे। सर्वे में यह भी सामने आया कि ऐसा पुरुषों में अधिक होगा। 60 प्रतिशत अमेरिकी पुरुषों ने कहा कि मीटू कैंपेन के कारण अब डेटिंग पर जाने से वे डरते हैं। डेटिंग अब मुश्किल हो गई है। ये चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं 32 देशों के 22,500 लोगों पर किए गए सर्वे में।
10 साल बाद 43 % लोगों को नहीं मिलेंगे पार्टनर
जेंडर गैप और वर्चुअल वर्ल्ड का असर रिश्तों पर पड़ेगा। दुनियाभर के 43 प्रतिशत लोगों का मानना है कि अगले दस साल में लोगों को पार्टनर ही नहीं मिल पाएंगे। भारत में भी 43 प्रतिशत लोगों का यही मानना है। ऐसे में 67 प्रतिशत लोग डेटिंग के लिए वर्चुअल रियलिटी प्लेटफॉर्म का यूज करेंगे। इतना ही नहीं करीब 77 प्रतिशत लोगों की धारणा है कि आने वाले समय में पति-पत्नी साथ रहने की जगह वर्चुअल ही मिलेंगे।
भारतीयों को आज भी है प्यार पर विश्वास
वर्चुअल वर्ल्ड का असर भले ही रिलेशनशिप पर नजर आ रहा है, लेकिन भारतीय आज भी प्यार में विश्वास करते हैं और सच्चे मन से उसकी खोज करते हैं। सर्वे में 82 प्रतिशत भारतीयों ने माना कि उन्हें अपना सच्चा प्यार मिल चुका है। वहीं दुनियाभर के 76 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उनके प्यार की तलाश पूरी हो चुकी है। इस मामले में सबसे कम प्रतिशत जापान के लोगों का था। मात्र 49 प्रतिशत जापानी मानते हैं कि उन्हें अपना प्यार मिला है। शायद ये प्यार का ही असर है कि 84 प्रतिशत भारतीयों ने कहा कि वे अपनी जिंदगी से खुश हैं। वहीं जापान में यह प्रतिशत 70 ही है।
56 % लोग बच्चों के कारण निभाते हैं रिश्ते
कोई भी शख्स परफेक्ट नहीं होता और रिश्ते में ऐसा अक्सर होता है। फिर भी लोगों को उम्मीद है कि एक न एक दिन सब ठीक होगा। सर्वे के अनुसार 57 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे अपने पार्टनर से बेहद प्यार करते हैं और ये आशा करते हैं कि उनमें जो कमियां हैं वो समय के साथ दूर हो जाएंगी। वहीं 56 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे बच्चों के कारण खराब रिश्ते को भी निभा रहे हैं। अब बात करते हैं कि आखिर वो कौनसी चीज है जो दो लोगों को अलग कर देती है। वो है बेवफाई और बुरा बर्ताव। 81 प्रतिशत लोगों के अनुसार उनके तलाक या ब्रेकअप की सबसे बड़ी वजह पार्टनर की बेवफाई और अभद्र भाषा का उपयोग है।
रिश्तों में बंधना नहीं चाहते युवा
हैरानी की बात तो ये है कि अब युवा रिश्तों में बंधना नहीं चाहते। 83 प्रतिशत युवा एक ऐसी दुनिया की चाहते हैं जहां प्यार करने की आजादी हो, लेकिन शादी करने की जरूरत न हो। इनमें से 57 प्रतिशत लोग तकनीक के सहारे से रोमांटिक पार्टनर तलाशना चाहते हैं।
हमें बच्चों को समझानी होगी रिश्तों की अहमियत
सर्वे में सामने आया रिजल्ट अगर सच हुआ तो यह रिश्तों की नींव को ही हिलाकर रख देगा। ऐसे में हर पेरेंट की जिम्मेदारी है कि वो बच्चों को रिश्तों की अहमियत की सीख बचपन से ही दे। बढ़ते शहरीकरण के कारण लोग अपनी जड़े छोड़कर शहरों में आ रहे हैं, लेकिन ध्यान रखें गांव में सिर्फ घर छोड़ें, संस्कार नहीं। अपने बच्चों को जमीन से जुड़ना सिखाएं। एकल परिवार के चलन के बीच उसे हर रिश्ते का मान रखना सिखाएं। मोबाइल की दुनिया की जगह उन्हें अपने आस-पास की दुनिया से रू-ब-रू करवाएं। उन्हें समाज में रहना और उठना बैठना सिखाएं, इससे उनका सामाजिक विकास होगा। घर के पास बने धार्मिक स्थलों के कामों में शामिल होने का पाठ पढ़ाएं। आपको बच्चे के विकास में इस प्रयासों की झलक जरूर नजर आएगी।
करनी होगी वर्चुअल दुनिया से दूर होने की पहल
आजकल ज्यादातर पेरेंट्स वर्किंग होते हैं। ऐसे में वे कई बार चाहते हुए भी घर के बुजुर्गों और बच्चों को समय नहीं दे पाते। लेकिन ऐसा करना गलत है। बच्चा आपसे ठीक वैसा ही व्यवहार करेगा, जैसा वो आपको करता हुआ देखेगा, इसलिए अपने बड़ों को सम्मान दें। बच्चों के दिल की हर बात शांति से सुनें। सही बात पर उनकी प्रशंसा करें और गलत पर उन्हें समझाएं। घर में उन्हें ऐसा पॉजिटिव माहौल दें, जहां उसके रियल लाइफ हीरो हीरोइन यानी मम्मी-पापा एक दूसरे की हर काम में मदद कर रहे हों। एक दूसरे को सम्मान दे रहे हों। मोबाइल और लैपटॉप में समय बिताने की जगह एक-दूसरे से बातें करें। बच्चों को बताएं कि आप दोनों एक दूसरे के लिए कितने इंपोर्टेंट हैं। इन छोटे-छोटे प्रयासों से ही आपको आगे चलकर बड़ा बदलाव नजर आएगा। जब बच्चा रिश्तों की अहमियत को जानेगा, तब ही नए रिश्ते बनाने की ओर प्रयास करेगा।
दुख सुख के साथी के रूप में बनें रोल मॉडल
कहते हैं हर सुख दुख में अपने ही काम आते हैं। यह बात आपको बच्चों को भी बतानी है। उन्हें बताएं कि अगर परेशानी में पापा ही मम्मी का साथ नहीं देंगे तो कौन देगा या फिर दुख में मम्मी को पापा के खड़ा होना चाहिए। ठीक वैसे ही सुख में भी मजा तब ही है जब पापा-मम्मी और बाकी पूरा परिवार साथ होता है। जब बच्चे रिश्तों को, उनकी खूबसूरती और अपनेपन को करीब से जानेंगे तो रिश्तों से दूर भागना भी बंद कर देंगे।