Overview: क्या आपका बच्चा है पिकी ईटर? न हो परेशान, इसके भी हैं फायदे
बच्चों में पिकी ईटिंग की समस्या, उनके विकास का सामान्य हिस्सा है। खाने की प्रक्रिया में बदलाव करके इसे सुधारा जा सकता है।
Benefits of Picky Eater: खाने की मेज पर अपने बच्चे के नखरे देखकर परेशान हैं.. क्या बच्चा खाने के मामले में चूजी है या खाना देखकर बच्चा लेता है ऊबकाई…. ये समस्या सिर्फ आपकी नहीं है लगभग 70 प्रतिशत पेरेंट्स इस समस्या का सामना करते हैं। छोटे बच्चों का चुन-चुनकर खाना पिकी ईटिंग कहलाता है। इसकी शुरुआत तब होती है जब आपको लगता है कि बच्चा अब दूध के अलावा अन्य चीजों में इंट्रेस्ट दिखाने लगा है। इस स्टेज में बच्चा या तो खाने को देखकर ललायत होता है या फिर वे पिकी ईटर है, जो केवल अपनी पसंद की चीजों को खाना पसंद करता है। माना जाता है कि पिकी ईटिंग बच्चों के विकास का एक सामान्य और अपेक्षित हिस्सा है। पिकी ईटिंग क्या होती है ये बच्चे के विकास में कैसे मदद करती है चलिए जानते हैं इसके बारे में।
बच्चे क्यों होते हैं पिकी ईटर

18 महीने से 2 साल की उम्र के बीच, कई बच्चे उन फूड प्रोडक्ट्स को खाने से मना करने लगते हैं, जिन्हें वे पहले चाव से खाते थे। इस अवस्था को “फूड नियोफोबिया” कहा जाता है, जिसमें बच्चे नए खाद्य पदार्थों या उनकी बनावट के प्रति सतर्क हो जाते हैं। यह मस्तिष्क के विकास से जुड़ा है। इस उम्र में बच्चे अपनी स्वतंत्रता दिखाने की कोशिश करते हैं और खाना उनके लिए नियंत्रण का एक साधन बन जाता है। यह व्यवहार डेवलपमेंटल दृष्टिकोण से भी समझा जा सकता
पिकी ईटिंग के कॉमन चैलेंजेज
फूड जेग्स: बार-बार केवल एक ही चीज खाना, जैसे हर भोजन में टोस्ट और सेरेलेक।
खाने के साथ खेलना: बनावट को समझने या नियंत्रण दिखाने के लिए खाना फेंकना या उसके साथ खेलना।
पसंदीदा खाना मना करना: बच्चे को जो खाना कल पसंद था, उसे आज मना कर सकते हैं।
छोटे-छोटे स्नैक्स: बच्चे पूरे खाने की बजाय छोटे स्नैक्स पसंद कर सकते हैं।
खाने के समय परेशान होना: दबाव महसूस करने पर नाराजगी दिखाना।
पिकी ईटिंग से निपटने के उपाय
पिकी ईटिंग को ठीक करने का कोई जादुई समाधान नहीं है, लेकिन ये स्ट्रेटेजी आपकी मदद कर सकती हैं।
विविधता पेश करें: भले ही बच्चा न खाए लेकिन नए फूड आइट्म्स को बार-बार पेश करते रहें।
एक साथ खाएं: बच्चे माता-पिता की नकल करके खाना सीखते हैं इसलिए बच्चे के साथ खाना खाएं।
शांत रहें: अपनी हताशा को बच्चे के सामने न दिखाएं।
खाने को छूने दें: बच्चों को खाने के साथ खेलने देना उनकी जिज्ञासा बढ़ाता है।
दबाव न डालें: जबरदस्ती या रिश्वत देने से बचें, क्योंकि इसका उल्टा प्रभाव पड़ सकता है।
नियमित समय बनाएं: निश्चित समय में दिया गया खाना चिंता को कम करता है।
क्या कहती है रिसर्च

रिसर्च बताती हैं कि किसी नए फूड प्रोडक्ट को स्वीकार करने में 10-15 बार प्रयास किया जा सकता है। इसे थाली में रखने से ही बच्चे में परिचितता और आत्मविश्वास बढ़ता है। इसलिए पेरेंट्स हताश न हो बल्कि बच्चे को खिलाने का प्रयास करते रहें।
कब लें अतिरिक्त मदद
ज्यादातर मामलों में, पिकी ईटिंग सामान्य और अस्थायी होती है। लेकिन अगर आपको बच्चे के विकास, पाचन या किसी खाद्य समूह को पूरी तरह मना करने की चिंता है, तो डॉक्टर या स्वास्थ्य सलाहकार से संपर्क करें। वैसे ये एक कॉमन सिम्बल्स है लेकिन एक्सपर्ट ये मदद लेने से बच्चे की ईटिंग हैबिट में बदलाव किया जा सकता है।
