बच्चों के खान-पान की गतिविधियों में होने वाले बदलाव को ईटिंग डिसऑर्डर कहा जाता है। अगर आपका बच्चा अब पहले से अधिक जंक फूड खा रहा है या खाना बंद नहीं कर रहा है तो इसे भी एक प्रकार का Eating Disorderमाना जाता है।
इसके कारणों का पता करना काफी आवश्यक होता है, क्योंकि अक्सर तनाव आदि के कारण ऐसा होता है। अगर आपका बच्चा मानसिक रूप से स्वस्थ नहीं है, तो ये चीज उसके जीवन को काफी प्रभावित कर सकती है जिसे हल्के में लेना ठीक नहीं होगा। इसलिए आपको तुरंत उपचार की ओर आगे बढ़ना चाहिए।
ईटिंग डिसऑर्डर के प्रकार
एनोरेक्सिया
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यह एक वह स्थिति होती है जिसमें बच्चा मोटे होने के डर से अधिक कैलोरीज़ वाला खाना खाना बिल्कुल बंद कर देता है।
बुलिमिया
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यह एक ऐसी स्थिति होती है जिसमें बच्चा काफी ज्यादा ओवर ईटिंग करता है और बाद में उल्टियां गिराने के माध्यम से मोटे होने से बचता है।
बिंज ईटिंग
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इसमें बच्चा लगातार कुछ न कुछ खाता ही रहता है और वह उल्टियां आदि भी नहीं करता है।
ईटिंग डिसऑर्डर के कारण
![Eating Disorder](https://i0.wp.com/grehlakshmi.com/wp-content/uploads/2021/11/eating-disorder.jpg?resize=780%2C439&ssl=1)
कई बार बच्चों के दिमाग में ये बात घुस जाती है कि अगर वह ज्यादा खाएंगे तो अधिक मोटे हो जायेंगे और सब उनका मजाक उड़ाएंगे इसलिए वह काफी कम खाना शुरू कर देते हैं। इस प्रकार के व्यवहारिक, सामाजिक और बायोलॉजिकल फैक्टर्स पर ईटिंग डिसऑर्डर के कारण निर्भर करते हैं।
- अधिक स्ट्रेस होना।
- मोटे होने का डर रहना।
- खुद को असहाय स्थिति में महसूस करना।
- आत्म विश्वास में कमी आना।
ईटिंग डिसऑर्डर का बच्चों के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है?
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ईटिंग डिसऑर्डर के कारण बच्चों में काफी सारी शारीरिक बीमारियों का खतरा हो सकता है। उनके मुख्य अंग जैसे किडनी, ब्रेन, हृदय नष्ट भी हो सकते हैं। उनकी धड़कन कम हो सकती है और उनका ब्लड प्रेशर लेवल भी कम हो सकता है। आपकी हड्डियां भी काफी कमजोर हो सकती है। बच्चों की खाने की नली में सूजन आ सकती है। इससे बच्चों को हृदय की बीमारी का खतरा भी हो सकता है।
ईटिंग डिसऑर्डर के लक्षण
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- मूड बदलते रहना
- खाने के बाद उल्टियां आना
- हर समय उदास रहना
- अधिक चिंता और डिप्रेशन जैसे लक्षण देखना
- अधिक एक्सरसाइज करना
- बच्चों का अचानक से वजन कम होना
- बच्चों के आत्म विश्वास में काफी ज्यादा कमी आना।
उपचार
- अगर आपके बच्चे को एनोरेक्सिया डिसऑर्डर है तो आप उसे एंटी डिप्रेसेंट दवाइयां दे सकते हैं
- साइको थेरेपी दिलवा सकते हैं।
- बिहेविरल थेरेपी दिला सकते हैं।
- अगर वह स्ट्रेस आदि से परेशान हैं तो आप उन्हें दोस्त आदि से सहारा प्रदान करवा सकते हैं।
- अगर आपके बच्चे बुलिमिया से जूझे रहे हैं तो आपको उन्हें फैमिली और ग्रुप थेरेपी देने की आवश्यकता है।
- उन्हें न्यूट्रिशनिस्ट से न्यूट्रीशनल थेरेपी भी दिलवा सकते हैं।
अपने बच्चों को यह समझाएं
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अपने बच्चों को यह समझाएं कि अगर वह कुछ नहीं खायेंगे तो वह अंडर वेट हो जायेंगे। जोकि ओवर वेट होने जितना ही नुकसान दायक होता है। इसलिए उनका कुछ न खाना और बहुत अधिक खाना दोनों ही उनके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। उन्हें पूरी मील दें और साथ बैठ कर खिलाएं।
आप अपने बच्चों की खान-पान की गतिविधियों में बदलाव कर सकते हैं। अगर वह बहुत अधिक खाते हैं तो उनकी दिन की मील फिक्स कर दें और अगर वह बीच बीच में कोई स्नैक आदि मांगने लग जाते हैं तो उन्हें केवल हेल्दी स्नैक्स जैसे फल, होल ग्रेन से बनी चीजें ही दे। उन्हें थोड़ा खाने पीने को नियंत्रित करना सिखाएं। आपके प्रयासों के द्वारा भी आपके बच्चे का ईटिंग डिसऑर्डर ठीक हो सकता है।