Mental Disorder in Child: खेलते कूदते सभी बच्चे एक समान नजर आते हैं। मगर असल में ऐसा होता नहीं है। एक जैसे दिखने वाले बच्चों में बहुत से बच्चे ऐसे भी होते हैं, जो किसी न किसी प्रकार की मानसिक परेशानी का सामना कर रहे होते हैं। जहां कई बार पेरेंट्स के वर्किंग होने के कारण बच्चे डिप्रेशन का शिकार हो जाते है, तो कहीं हर वक्त पेरेंट्स की रोक-टोक के कारण अपना आत्म विश्वास खोने लगता है। ऐसे न जाने कितने ही कारण है, जो बच्चों को मानसिक रोग से ग्रस्त कर रहे हैं। आइए जानते हैं कि वो कौन से ऐसे संकेत हैं, जो आपको बताएंगे कि कहीं आपका बच्चा मेंटल डिसऑर्डर का शिकार तो नहीं।
एक कोने में अकेले बैठे रहना

कुछ लोग अपने स्वभाव के कारण अकेले रहना पसंद करते हैं। मगर कुछ ऐसे बच्चे भी होते हैं, जो अन्य बच्चों से दूर भागते हैं और एक कोने में बैठकर खेलते हैं। वे दूसरे बच्चों की कंपनी पसंद नहीं करते हैं। कारण माता-पिता बचपन से ही उन्हें दूसरे लोगों से ज्यादा घुलने-मिलने नहीं देते हैं और हर वक्त अपने ही पास रखते हैं। इससे बच्चा अब हर वक्त एकांत खोजता है और अकेले में ही खुशी को तलाशता है। इससे बच्चे का पूर्ण मानसिक और शारीरिक विकास नहीं हो पाता है। बच्चा हर वक्त खुद में ही खोया रहता है और अन्य बच्चों से घुलने मिलने की बजाय पेरेंट्स को अकेले नहीं छोड़ पाता। अक्सर ऐसे बच्चे खाने पीने में भी पेरेंट्स को बेहद परेशान करते हैं।
डरावने सपने देखना

अगर आपका बच्चा सोते-सोते डर जाता है और उसे लगातार डरावने सपने आ रहे हैं, तो ये लक्षण डिप्रेशन की निशानी हो सकते है। अक्सर ऐसे बच्चे कई बार सोने से भी कतराते है, वे शिकायत करते है कि अगर हम सोएगे, तो हम फिर से सपनों की उसी दुनिया में खो जाएंगे। ऐसे में बच्चों के मन में डर हर वक्त बैठा रहता है।
ज्यादा बात न करना

बच्चे हर वक्त सहमे हुए रहते हैं और हर किसी से बात करने में भी कतराते हैं और कई बार शर्मा जाते हैं। मेहमानों के सामने आने में भी डर का अनुभव करते हैं। इसका बहुत बड़ा कारण घर में लड़ाई झगड़े का माहौल भी हो सकता है जो बच्चों के मन में एक डर का कारण बन जाता है। जब घर के सदस्य एक दूसरे से उंची आवाज़ में बात करते हैं, तो बच्चों का मनोबल कमज़ोर पड़ने लगता है और वो फिर अंदर ही अंदर टूट जाते हैं।
मेहमानों से मिलने में कतराना

घर में अक्सर किसी न किसी का आना जाना लगा रहता है। मगर पेरेंटस को इस बात का विशेष ख्याल रखना चाहिए कि आने वाले मेहमान बच्चों से कैसा बर्ताव कर रहे हैं और पेरेंटस का उनके सामने बच्चों से कैसा बिहेवियर रहता है। अगर आप मेहमानों के सामने बच्चों से बुरा सुलूक करेंगे और उनके सामने बच्चों को नीचा दिखाएंगे, तो जाहिर तौर पर बच्चे मेहमानों से मिलने से कतराने लगेंगे और मानसिक तौर पर परेशान रहने लगेंगे।
हर क्षण थकान महसूस करना
बच्चे बेवजह हर वक्त थके हुए रहते हैं। खेलने में उनका मन नहीं लगता है। दरअसल, जब आप खुद को कमज़ोर समझने लगते हैं और दूसरों से कम आंकते हैं, तो आपकी शारीरिक उर्जा धीरे धीरे खत्म होने लगती है और आप दिनभर मायूस रहने लगते है, जो थकान का एकमात्र कारण साबित हो सकता है।
सिर में दर्द रहना
सिरदर्द एंग्जाईटी की निशानी हो सकता है। अगर बच्चा बार-बार सिरदर्द की शिकायत करता है, तो उसे हल्के में न लें। हो सकता है कि बच्चों की आईसाईट कम हो रही हो, लेकिन अगर आईसाईट ठीक है, तो ये डिप्रेशन के लक्षणों में से एक है। बच्चा जब जरूरत से ज्यादा सोचने लगे और खुद को दूसरों से अलग अलग महसूस करने लगे, तो उस बच्चों में ऐसे लक्षण देखने को मिलते हैं।
बात बात पर गुस्सा हो जाना

अगर पेरेंटस कुछ भी अच्छा या बुरा कहते हैं, तो बच्चे तुरंत रिएक्ट करने लगते हैं। धीरे धीरे वे अपने पेरेंटस को ही अपना दुश्मन मानने लगते हैं। उन्हें हर बात पर अपने पेरेंटस पर गुस्सा आने लगता है, तो उनके स्वास्थ्य के प्रति हानिकारक साबित हो सकता है। ऐसे में बच्चों का मन बहलाने का हर संभव प्रयास करें, कोशिश करें कि उन्हें खुले वातावरण में लेकर जाएं, ताकि उनका मन बहलें और वो खुशी का अनुभव करने लगें।
पढ़ाई में मन न लगना

ऐसे बच्चे अक्सर पढ़ने से बचते हुए नजर आते हैं या फिर अक्षरों को सही प्रकार से पहचान नहीं पाते हैं। इसके अलावा अक्षरों की बनावट सीखने में भी इन्हें काफी समय लगता है। वहीं कुछ बच्चों में एकाग्रता की कमी होने के कारण वे कुछ भी याद नहीं रख पाते हैं और उनके दिमाग से हर बात जल्दी से निकल जाती है। अगर आपको अपने आस पास अपने खुद के बच्चों में ऐसे लक्षण नज़र आते हैं, तो उन्हें वक्त देना आरंभ करें और उनकी समस्या को जानने का प्रयास भी करें। अगर आप बच्चों को वक्त नहीं देगें, तो बच्चे मानसिक तौर पर अपने पेरेंटस से दूर होने लगते हैं।
मानसिक परेशानी का कैसे करें इलाज
योग या व्यायाम करें
योग या व्यायाम केवल तन को ही नहीं बल्कि मन को भी चुस्त और दुरूस्त रखने में मददगार साबित होता है। अगर आप रोजाना 10 से लेकर 20 मिनट तक एक्सरसाईज करते हैं, तो आप आसानी से मानसिक परेशानी से बाहर निकल सकते हैं।
ध्यान लगाएं
अगर आप प्रात कुछ वक्त उठकर ध्यान लगाते हैं और ईश्वर की साधना करते हैं, तो यकीनन आपका मन धीरे-धीरे शांत होने लगता है। इससे डिप्रेशन या हाईपर टेंशन जैसी परेशानियां अपने आप दूर होने लगती हैं।
डॉक्टर से मिलें
अगर मनोदशा लगातार बिगड़ने लगे, तो उसे नजरअंदाज करने की बजाय उस पर गौर करना चाहिए और मनोचिकित्सक से भी सलाह जरूर लेनी चाहिए, ताकि ऐसी किसी भी परेशानी का हल मिल सके और वक्त रहते उसका इलाज हो सके। इसमें किसी तरह की कोई हिचक की आवश्यकता नहीं होती है। जैसे आम लोग अपनी स्वास्थ्य समस्या को लेकर डॉक्टर के पास जाते हैं। उसी तरह मानसिक स्वास्थ्य को लेकर मनोचिकित्सक के पास जाते हैं।