Children and Shyness: किसी भी बच्चे के लिए शर्माना या शर्म महसूस करना सामान्य है। कई बार वह नए लोगों से मिलने और दोस्ती करने से कतराते हैं। वहीं वह लोगों को दूर से देखना पसंद करते हैं। हर बच्चे का स्वभाव अलग होता है। कुछ बच्चे जल्दी दोस्त बना लेते हैं वहीं कुछ खुद को दूसरों से अलग-थलग रखना पसंद करते हैं। ऐसे बच्चों के दोस्तों का दायरा भी बेहद छोटा होता है। हालांकि, ऐसा नहीं है कि शर्मीले बच्चे दूसरों के साथ घुलना-मिलना नहीं चाहते लेकिन शर्म और झिझक की वजह से वह अपनी भावनाएं व्यक्त नहीं कर पाते। यदि आपका बच्चा भी जरूरत से ज्यादा शर्मीला है या उसे दूसरों से बात करने में मुश्किल आती है तो ये उपाय आपके काम आ सकते हैं। तो चलिए जानते हैं इसके बारे में।
Also read: बच्चों को मेंटली स्ट्रांग बनाने के लिए अपनाएं ये पांच तरीके: Make Your Children Mentally Strong
शर्मीले बच्चों की विशेषता

– कम बोलने की वजह से बच्चे दूसरों के साथ पोलाइट होते हैं।
– वह बेहतर श्रोता होते हैं।
– वह नियमों का पालन करते हैं।
– स्कूल या एकेडमी में अच्छा स्कोर प्राप्त करते हैं।
– उनके दुश्मन कम होते हैं।
– वह गलत जवाब नहीं देते।
– बिना सोचे समझे बहस नहीं करते।
शर्मीले बच्चे के संकेत
– सोशल स्किल और भागीदारी में कमी
– कम दोस्त होना
– खेल, नृत्य, नाटक या संगीत में कम रुचि
– अलगाव, अकेलेपन और आत्मचेतना की भावनाएं
– दूसरों की राय पर अनावश्यक तनाव
– शर्माना, हकलाना और बात करते वक्त कांपना
शर्मीले बच्चों के पेरेंट्स अपनाएं ये उपाय

लेबल न लगाएं
यदि आपका बच्चा जानता है कि वह शर्मीला है, तो शर्मीला व्यवहार दिखाते समय वह खुद की आलोचना करना शुरू कर सकता है। इसलिए बच्चे को लेबल न करें कि वह शर्मीला है। उसे सामान्य बच्चों की तरह ही ट्रीट करें।
न बनाएं मजाक
यदि बच्चा शर्मीला है तो ये उसका बेसिक नेचर है। वह जैसा है उसे वैसे ही स्वीकार करें। कभी भी अपने बच्चे के शर्मीले होने का मजाक न बनाएं। बल्कि उन्हें गर्व महसूस कराएं कि वह सबसे बेहतर है।
समझने की करें कोशिश
पेरेंट्स अपने बच्चे से उसके शर्मीलेपन के बारे में पूछें। जब वह दूसरों से बात करते हैं तो उन्हें क्या चीज पसंद नहीं आती। वह अलग रहना क्यों पसंद करते हैं। पेरेंट्स बच्चों से खुलकर बात करें और उनकी भावनाओं को समझने का प्रयास करें।
आउटगोइंग होने के फायदे बताएं
शर्मीले बच्चों से आउटगोइंग होने के फायदों के बारे में बात करें। ऐसी कहानियां शेयर करें कि कैसे मिलनसार होने से आपको अपने जीवन में मदद मिली। बच्चों को बताएं कि बात करने से कैसे समस्याएं सुलझाई जा सकती हैं। जब बच्चा ऐसे व्यवहार को अपनाएं तो उसकी प्रशंसा करें।
Also read: बिना ट्यूटर के पढ़ाई, -बच्चे के बंधन को मजबूत करने का तरीका: Study Without Tutor
लक्ष्य बनाएं
अपने बच्चे का सामाजिक मेलजोल बढ़ाने के लिए लक्ष्य निर्धारित करें। सुनिश्चित करें कि बच्चे का लक्ष्य छोटा हो। बच्चे को हर रोज एक नई बात सिखाएं।
नई चीजों से कराएं परिचित
शर्मीले बच्चे नई चीजों के प्रति कम रुचि दर्शाते हैं। अपने बच्चे को नई चीजें दिखाने और उन्हें नए अनुभवों से परिचित कराने का प्रयास करें।
टैलेंट की करें प्रशंसा
कई शर्मीले बच्चे बेहद टैलेंटेड होते हैं। बच्चे के टैलेंट को जाया न होने दें। उसे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करें। बच्चों पर कभी भी अपनी रुचि न थोपें। बच्चा जिन चीजों को बेहतर ढंग से कर पाता है उसे वही करने दें। पेरेंट्स उसका आत्मविश्वास बढ़ाएं।
