बिना ट्यूटर के माँ-बच्चे का जुड़ाव बढ़ाने का तरीका

यहां कुछ तरीके बता रहे हैं जिनसे ट्यूटर को हायर न करना मां और बच्चे दोनों के लिए फायदेमंद हो सकता है:

Study Without Tutor: सरला का बेटा चौथी कक्षा में पढ़ता है और कामकाजी मां होने के कारण हर कोई उसे यही सलाह देता है कि उसे एक ट्यूटर लगा लेना चाहिए ताकि उसका लोड कम हो और बच्चे की पढ़ाई पर भी पूरा ध्यान दिया जा सकते। लेकिन सरला ने फैसला किया है कि कम से कम 10 वीं तक तो वह ट्यूटर नहीं लगाना चाहेगी जब तक कि वह खुद बच्चे के विषयों को पढ़ा सकती है।

सुबह 10 से रात 6 बजे तक ऑफिस और फिर रात 7.30 बजे से वह बच्चे को पढ़ाने बैठ जाती है। दो घंटे वह हंसते, मस्ती करते, तो कभी गंभीरता से पढ़ने-पढ़ाने में लग जाते हैं। कभी-कभी दोनों के बीच बहस और लड़ाई भी हो जाती है जिसके बारे में सोचकर सरला को बाद में हंसी भी आती है। जब पीटीएम होती है और एग्जाम में नंबर उतने मनमाफिक नहीं आते हैं, तो उस समय उसके मन में ख्याल आता है कि क्या वाकई मुझे ट्यूटर लगा लेना चाहिए। लेकिन वह सोचती है कि अगर ट्यूटर लगा लिया तो जो मोमेंट्स उस पढ़ाई के दौरान वह बेटे के साथ जी रही है, उससे वंचित हो जाएगी। वह समय दोनों के लिए बहुत ही खास है। सरला का ट्यूटर न लगाना और कामकाजी होते हुए बच्चे को खुद पढ़ाने का फैसला लेना किस तरह फायदेमंद हो सकता हैं, यहां जान लेते हैं।

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सरला की कहानी जानकर तो लगता है कि वह अपने बेटे के साथ क्वॉलिटी टाइम बिताते हुए अपनी जिम्मेदारियों को संतुलित करते हुए अच्छा काम कर रही हैं। यहां कुछ तरीके बता रहे हैं जिनसे ट्यूटर को हायर न करना मां और बच्चे दोनों के लिए फायदेमंद हो सकता है:

Mother teaching his son

पर्सनलाइज्‍ड अटैंशन

आप अपने बच्चे की स्ट्रेंथ के बारे में अच्छे से जानते हैं और यह बखूबी समझते हैं कि किन क्षेत्रों में उसे ज्यादा मदद की ज़रूरत हैं, इससे आप अपनी टीचिंग को उसकी ज़रूरतों के अनुरूप बना सकते हैं।

भावनात्मक सुरक्षा

इस तरह आप उनकी मां के साथ टीचर भी होंगी। अपनी टीचर के रूप में पाकर बच्चा ज्यादा सुरक्षित महसूस करेगा। आप उसके लर्निंग में शामिल हैं, यह जानकर वह सपोर्ट महसूस करेगा।

Mother Son bonding

लर्निंग स्टाइल

बच्चा सबसे अच्छा कैसे सीखता है, उसके आधार पर आप पढ़ाने की गति और तरीकों को एडजस्ट कर सकती हैं। यह हमेशा किसी ट्यूटर के साथ संभव नहीं हो पाता है।

जीवन के सबक

शिक्षा से परे, आप उस दौरान उसे ऐसी कई बातें सीखा सकते हैं, जो कि लाइफ स्किल्स और वैल्यूज़ से जुड़ी हों।

मजबूत होगी बॉडिंग

यह समय आपको उनके साथ गहरे स्तर पर जुड़ने, उसकी चुनौतियों को समझने और उसकी उपलब्धियों का जश्न मानने का मौका देता है। इसे आप दोनों के बीच बॉडिंग मजबूत होगी।

प्रोग्रेस पर नज़र

आप उसकी एकेडेमिक प्रोग्रेस में सीधे शामिल रहती हैं, जिससे किसी भी मुद्दे का शीघ्र समाधान करना आसान हो जाता है।

Mom knows his child’s strength

क्वालिटी टाइम

आपके बिजी शेड्यूल में, एक साथ समय बिताने का यह एक अनमोल अवसर है, जो आप दोनों के लिए महत्वपूर्ण है।

संतुष्टि का एहसास

अपने बच्चे को पढ़ाने से आपको संतुष्टि का एहसास होता है और उसकी शिक्षा और विकास में आपकी भूमिका मजबूत होती है।

आपसी विश्वास

यह दिनचर्या आपके और आपके बच्चे के बीच विश्वास और संचार की मजबूत नींव बना सकती है।

बनेंगे इंडिपेंडेंट

जैसे ही आप उसे गाइड करती हैं, वह सीखता है कि समस्याओं से कैसे निपटा जाए और क्रिटिकल थिंकिंग कैसे विकसित की जाए, जो उसे भविष्य के लिए महत्वपूर्ण स्किल्स हैं।

यह दृष्टिकोण न केवल उसके एकेडेमिक ग्रोथ के लिए बल्कि इमोशनल बॉन्ड के लिए भी फायदेमंद है जो रिश्ते में महत्वपूर्ण है। यदि कभी आप परेशान हों, तो ट्यूटर को चुनने के बजाए छोटे एडजस्टमेंट्स पर विचार करें, जैसे काम को छोटे-छोटे टास्क में बांटना या एक्सटेंसिव लर्निंग के लिए वीकेंड्स का इस्तेमाल करना। लेकिन कुल मिलाकर, यह रणनीति दोनों के लिए अच्छी और फायदेमंद लगती है।

सोनल शर्मा एक अनुभवी कंटेंट राइटर और पत्रकार हैं, जिन्हें डिजिटल मीडिया, प्रिंट और पीआर में 20 वर्षों का अनुभव है। उन्होंने दैनिक भास्कर, पत्रिका, नईदुनिया-जागरण, टाइम्स ऑफ इंडिया और द हितवाद जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में काम किया...