आजकल पढ़ाई-लिखाई का माहौल निरंतर बदल रहा है। दूसरी तरफ मां-बाप का कामकाजी होने के कारण बच्चों को पढ़ाना मुश्किल होता जा रहा है। अब किताबों के अलावा इंटरनेट आदि पर भी पाठ्य सामग्री उपलब्ध है। स्कूलों में भी नई टेक्निक व अन्य तरीकों से बच्चों को पढ़ाने-सिखाने का प्रयास किया जाता है। इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि स्कूलों में बच्चों के पाठ््यक्रम इतने ज्यादा हैं कि वे भी तक जाते हैं। उन्हें समय भी बहुत कम मिलता है। साथ ही बच्चों का इसी कारण पढ़ाई की तरफ रुझान खत्म होता जा रहा है।पर यह तो सर्वविदित है कि आजकल के बच्चे पहले जमाने के बच्चों की तुलना में ज्यादा सतर्क और समझदार हैं। सूचनाओं से लैस हैं।कंपटीशन इतना तगड़ा है और हर मां-बाप यही चाहता है कि उसका बच्चा क्लास में नंबर वन हो। ऐसे में आजकल हर मां-बाप चाहे उसकी आॢथक स्थिति कैसी भी हो अपने बच्चों को ट्यूशन या कोचिंग में अवश्य भेज देते हैं। ट्यूशन या कोचिंग में भेजने का एक कारण यह भी है कि आज महानगरीय जीवन में अक्सर माता-पिता दोनों वॄकग होते हैं। तो सवेेरे का समय ऑफिस पहुंचने की हड़बड़ी में निकल जाता है और शाम तक वह इतने थक जाते हैं कि बच्चों को पढ़ाने में असमर्थ महसूस करते हैं।
आजकल के बच्चे किताबों के बजाय टीवी इंटरनेट और मोबाइल गेम पर अपना समय ज्यादा व्यतीत करते हैं। इसका नुकसान यह होता है कि उनकी एकाग्रता कम होती जा रही है। इसका सीधा असर उनकी सेहत पर भी पड़ रहा है। अत: बच्चों की इन आदतों को छुड़ाने के लिए अभिभावक उन्हें डांटते फटकारते हैं। कड़वी बातें कह देते हैं। इसका असर बच्चों पर सकारात्मक नहीं पड़ता, बल्कि बच्चे पलट कर जवाब देने लगते हैं। अब सवाल यह उठता है कि बच्चों को ट्यूशन या कोचिंग लगा देने पर उन पर नजर कैसे रखी जाए। बच्चा पढ़ाई कर रहा है या नहीं इसके लिए निम्न बातों पर ध्यान दें-

ट्यूटर कैसा है

ट्यूटर चाहे वह कोचिंग सेंटर का हो या घर का ट्यूशन पढ़ाने वाला हो, वह अपने पढ़ाने वाले विषय में मास्टर हो। घर पर पढ़ा रहा है तो बीच-बीच में चक्कर लगा कर देख लें कि वह ठीक से पढ़ा रहा है या नहीं। कुछट्यूटरबच्चों को पढ़ाने की जगह गप्पबाजी में लग जाते हैं। वह अपना पूरा समय इसी में निकल देते हैं। इसके अलावा यदि कोचिंग सेंटर भेज रहे हैं तो भी बीच-बीच में अचानक जाकर देखें कि ट्यूटर ठीक पढ़ा रहा है या नहीं।

उसका चरित्र व स्वभाव

बच्चे उसी शिक्षक से पढऩा पसंद करते हैं जो उन्हें समझा कर ठीक से पढ़ाते हैं। कई बार देखने को मिला है कि शिक्षक बच्चियों का यौन शोषण भी करते हैं। अत: ऐसे में उसके चरित्र के बारे में जानकारी लेना बहुत जरूरी है। इसका अलावा ध्यान रखें कि ट्यूटर बच्चे को ज्यादा ना मारते हो। गलती करने पर कठिन सजा ना देते हो। ट्यूटर का स्वभाव विनम्र होना चाहिए।

पढ़ाई का माहौल

कई बार ऐसा होता है कि अभिभावक तीन-चार बच्चों को मिलाकर ट्यूशन लगवा लेते हैं। ऐसे में  वहां का माहौल पढ़ाई वाला होना चाहिए। चाहे वह आपका घर हो या किसी और का, इस बात ध्यान रखना जरूरी है कि टीवी तेज आवाज में नहीं चलना चाहिए अथवा जहां बच्चे पढ़ रहे हों वहां जोर-जोर से बातें नहीं होनी चाहिए। यानी पढ़ाई का सही माहौल होना जरूरी है।

दोस्तों पर रखें नजर

आपके बच्चे के साथ दोस्त कैसे हैं इस पर ध्यान देना जरूरी है। यदि वे पढ़ाई-लिखाई में कमजोर हैं और गलत संगत में भी हैं तो आपके बच्चे का नुकसान हो सकता है। अत: साथी दोस्त जो पढ़ाई कर रहे हैं उनका सही होना जरूरी है।

टाइम टेबल बनाएं

बच्चों को कोचिंग या ट्यूशन के अलावा सेल्फ स्टडी व स्कूल में मिला होमवर्क करने की भी जरूरत होती है। अत: सभी बातों का ध्यान रखतेे हुए टाइम टेबल बनाएं। उसे बच्चों के साथ साझा करें। एक घंटा फ्रेश होने के लिए खेलने का टाइम अवश्य रखें। इसके अलावा मोबाइल टीवी आदि पर 1 घंटे से अधिक प्रयोग में न लाने दें।

बच्चों के लिए समय निकालें

माता-पिता के लिए यह बात बहुत जरूरी है कि तमाम व्यस्तताओं के बावजूद, बच्चों के लिए समय निकालें। अगर आप बच्चों को कोचिंग करा के निश्चिंत होना चाहते हैं तो यह सही नहीं है। यानी सिर्फ  ट्यूशन पर ही डिपेंड ना रहें। प्रतिदिन कोचिंग सेंटर या ट्यूटर ने क्या पढ़ाया है, इस बात की जानकारी रखें। बच्चे को पढ़ाया हुआ विषय समझ में आ रहा है या नहीं यह अवश्य जाने। उससे कहां वह आप को समझाएं। बच्चे के साथ गुस्से वाला रुख ना अपनाएं। अन्यथा वह डर कर अपने मन की बात नहीं बताएंगे।उपरोक्त बातों का ध्यान रखेंगे तभी बच्चे पर ट्यूशन के दौरान नजर रखी जा सकेगी। स्कूल में उसकी परफॉरमेंस  भी अच्छी रहेगी।