कभी-कभी तो बेचैनी और तनाव का सामना सभी को करना पड़ता है, अगर हम जरूरत से ज्यादा बेचैन न हो जाएं तो थोड़ी  एंग्जाइटी फायदेमंद भी हो सकती है। इससे आपको आगे बढ़ने, सतर्क रहने व संभलने की प्रेरणा मिलती है। जरूरत से ज्यादा तनाव और उद्वेग, आपके प्रदर्शन पर बुरा असर डाल सकते हैं। अगर आपका बच्चा भी ‘टेस्ट एंग्जाइटी’ से जूझ रहा है, तो निम्नलिखित लक्षण पैदा हो सकते हैं –
 
● पढ़ाई के बावजूद यकीन नहीं हो पाता कि आप कुछ कर पाएंगे।
● आप टेस्ट के लिए पढ़ाई से जूझने लगते हैं।
● आपके बच्चे का ध्यान बार-बार टूटता है।
● पेट, सिर में दर्द, हथेलियों में पसीना आना, सांस लेने में तकलीफ होना व मांसपेशियों में जकड़न जैसी परेशानियां हो सकती हैं।
● टेस्ट में दिए निर्देश व प्रश्न पढ़ने पर समझ नहीं आते।
● अपने विचारों को संगठित व व्यवस्थित नहीं कर पाते।
● पढ़ी हुई व याद किए गए पाठ भूल जाते हैं।
● क्लास में मिले अंकों से भी कम अंक मिलते हैं।
● लेकिन टेस्ट के बाद वो सब याद आ जाता है, जो लिखते समय याद नहीं आ रहा था।
● टेस्ट पर केंद्रित नहीं हो पाते।
 
 
इस दौरान तनाव व उद्वेग से बचने के लिए, टेस्ट के पहले, दौरान व बाद में निम्नलिखित उपाय अपनाने होंगे –
 
 
● टेस्ट की पूरी तैयारी करें। आत्मविश्वास बढ़ेगा व तनाव घटेगा।
●  सकारात्मक रहें। सकारात्मक रवैया अपनाकर लिखनेे से फायदा होगा।
● गहरी व धीमी सांसें लें ताकि दिमाग शांत हो सके।
● एक रात पहले गहरी नींद लें। टेस्ट वाले दिन हल्का नाश्ता भी करें ताकि फोकस
करने के लिए पूरी ऊर्जा मिल सके। टेस्ट से पहले जंक-फूड खाने से कोई फायदा नहीं होगा बल्कि नींद सी आने लगेगी।
● टेस्ट का पूरा समय लें। दूसरे बच्चों से पहले टेस्ट करने की होड़ न करें। हो सकता है कि आप ही सबसे आखिर में टेस्ट दें लेकिन ग्रेड भी सबसे अच्छा आपका ही होगा।
● टेस्ट खत्म हो जाए तो फिर चिंता न करें। दूसरे टेस्ट की तैयारी पर ध्यान दें।
● टेस्ट मुश्किल हो तो भी घबराएं नहीं। कठिन प्रश्न समझ न आ रहे हों तो आसान प्रश्नों के उत्तर पहले दें, ताकि आपका आत्मविश्वास लौट आए। इससे टेस्ट के दौरान उत्तेजना या तनाव नहीं होगा।
● टेस्ट में अच्छे अंक न आएं तो निराश न हों। इस अनुभव को स्वीकारें। ऐसा सभी के साथ होता है। पता लगाएं कि अंक कम क्यों आए। आप जिन प्रश्नों के सही उत्तर नहीं दे सके, उन्हें सही तरीके से तैयार करें  ताकि आने वाले पेपरों में भी वही गलती न दोहराई जाए।
 
 
एग्जाम रूम में क्या करें?
 
कुछ बच्चे एग्जाम रूम में जाकर घबराते हैं। वे निम्नलिखित उपायों को आजमाएं-
 
● सबसे पहले तो पूरा पेपर पढ़ें और फिर आसान प्रश्नों के उत्तर दें। इससे आपको यकीन हो जाएगा कि आपने उतने अंक तो पा ही लिए, जितना आपने लिख लिया है।
● एग्जाम में दिए अंकों के हिसाब से ही समय बांटें। कहीं ऐसा न हो कि कम अंक वाले प्रश्न पर ज्यादा समय लग जाए और अधिक अंक वाले प्रश्न का उत्तर लिखने का समय ही न बचे।
● कई छात्र टेस्ट या पेपर के दौरान भी छोटे-छोटे ब्रेक लेना पसंद करते हैं। वे
अपनी आंखें मूंदते हैं, हाथों को आराम देते हैं व सांस लेने का व्यायाम करते हैं। अगर आप भी यही रणनीति अपनाएं तो तीस सेकेंड में आपका तनाव घट सकता है।
● हमेशा नतीजे की परवाह किए बिना, प्रश्नों के उत्तरों पर ध्यान केंद्रित करें।

 

(साभार – साधनापथ)

ये भी पढ़ें – 

 
 
 
 
आप हमें फेसबुकट्विटरगूगल प्लस और यू ट्यूब चैनल पर भी फॉलो कर सकती हैं।