बच्चों के भविष्य और अच्छी एजूकेशन को लेकर हर माता पिता चिंतित रहते हैं। उनकी ये चिंता तब और बढ़ जाती है, जब बच्चों का एग्जाम टाइम करीब आ जाता है। वैसे भी कोविड के चलते पिछले साल बच्चों की पढ़ाई का जो हाल रहा है उसके बाद एग्जाम को लेकर हर छात्र और उनके माता पिता भी चिंतित है। ऐसे में बच्चों को एग्जाम और पढ़ाई को लेकर माता पिता की जिम्मेदारी और दिनों के मुकाबले बढ़ जाती है। लेकिन पढ़ाई का प्रेशर पैरेंट्स अपने बच्चों पर बिल्कुल भी न डालें। आप भी जरूर बरतें कुछ किफायतें-
टाइम टेबल तयकर बनाएं अनुशासन –
बच्चों में डिसीप्लीन होना भी बहुत जरूरी है इसके एक निश्चित टाइम टेबल जरूर बनाएं। बच्चों के पढ़ने का समय भी निर्धारित हो जिससे उन्हें बिना कहे ही अपना पढ़ाई का समय याद रहे। अनुशासन किसी भी व्यक्ति को उसकी पंक्चुअलिटी को दर्शाता है। इसलिए अपने बच्चों में पंक्चुअल होने की आदतें जरूर डालें।
पढ़ाई को लेकर न डालें बच्चों पर दबाव –

हर माता पिता अपने बच्चे को टॉप पर देखना चाहते हैं। इसके लिये बच्चों पर बोझ डालना ठीक नहीं है। फिल्मी थ्री इडियट की थ्योरी आम जीवन में भी काम आती है। जो बच्चे को पंसद हो उसकी आदत पढ़ने की उसी में डालें। बच्चों को बात-बात पर रोके-टोके नहीं नहीं बच्चे चिड़चिड़े हो जाएंगे। बच्चों की पढ़ाई का समय निश्चित कर दें।
मोबाइल, लैपटाप की लत से बचाना भी जरूरी-
आज की हाईटेक एजूकेशनल लाइफ में लैपटाप, मोबाइल पढ़ाई का अहम हिस्सा बन चुकी है। पर बच्चों को इसकी लत लगना उन्हें मनोरोगी के साथ कई प्रकार की दिक्कत देती है। क्योंकि मोबाइल बच्चों के सेहत ही नहीं मन, मस्तिष्क, आंखों और मांसपेशियों पर भी बुरा असर डालता है। जितना जरूरी हो पढ़ाई के लिये उतनी ही देर मोबाइल, लैपटाप का इस्तेमाल करने दे, निगरानी भी जरूर करें।
बच्चों को दें अच्छी डाइट
एग्जाम टाइम हो या अच्छी पढ़ाई को लेकर पैरेंटस को शुरू से ही एक्टिव रहना होगा। बच्चों को अच्छी डाइट जिसमें भोजन के साथ फल, फ्रूट, दूध जैसी सामग्री जरूर दें। बच्चों के साथ कुछ वक्त पैरेंट्स बिताएं। कोशिश करें कम से कम एक घंटा बच्चे वो खेल जरूर खेले जिसमें शरीरिक भागदौड़ शामिल हो। खुद को भी पैरेंटस दिमागी रूप से शांत रखे। शांत रहने से आप उतने ही अधिक स्पष्ट तरीके से सोच पाएंगे और अपने बच्चे को स्ट्रेस-फ्री होने में मदद कर सकेंगे। अगर आप खुद पैनिक और नर्वस रहेंगे तो बच्चे पर और ज्यादा दबाव बनेगा। इसलिए दिमाग को शांत रखें और घबराएं नहीं।
दूसरे बच्चों से न करें कपेंयर –
पैरेंट्स अपने बच्चों का कंपेयर उनके बराबर के बच्चों से नहीं करनी चाहिए, क्योंकि ऐसा करने से बच्चों का मनोबल डाउन हो जाता है और उनका पढ़ाई में मन बिल्कुल भी नहीं लगता है।
घर के वातावरण को बनाएं अनुकूल-
बच्चों पर घर का माहौल बहुत असर डालता है। इसलिए घर का माहौल अच्छा बनाकर रखें। पति पत्नी के बीच संबंध मधुर होने चाहिए। आपसी वातार्लाप में भी आर्दश आचरण का बोध होना चाहिए ताकि बच्चों पर इसका प्रभाव अच्छा पड़े। घर का माहौल जितना सात्विक होगा बच्चों पर उसका उतना ही प्रभाव होगा। बच्चे घर से ही सीखते हैं. वहीं बच्चों को इतिहास और महापुरूषों के बारे में पढ़ाये ताकि वे देश की संस्कृति को समझे।
बच्चों के लिए रुटीन बनाएं
किसी भी काम के लिए पहली सबसे जरूरी चीज होती है वह है सही रुटीन बनाना। आप भी अपने बच्चे के लिए उठने के समय से लेकर दिन भर और रात के सोने तक हर काम के लिए सही रुटीन बनाएं। उनकी रूटीन में समय से हेल्दी ब्रेकफास्ट के साथ खाने के लिए हेल्दी चीजों को भी जोड़ें। जिससे कि बच्चा इस रूटीन को फॉलो करे और स्ट्रेस-फ्री होकर एग्जाम दे सके।
बच्चों के सामने न देंखे ऐसे सीरियल जो दिमाग पर डाले बुरा असर
वर्तमान में ज्यादातर टीवी सीरियल फैमली ड्रामे पर होते हैं, कोशिश करें बच्चों के सामने ऐसे सीरियल न देखें। टीवी, लैपटाप या मोबाइल पर बच्चों के सामने खुद पैरेंटस सोशल साइट का इस्तेमाल कम करें ताकि बच्चा भी माइंड फ्री रहे। साथ ही घर परिवार की बातों को उनके सामने शेयर न करें।
परीक्षा के तनाव को खत्म करने में मदद करेंगे ये 10 फटाफट टिप्स
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कोई हास्य फिल्म, एक टीवी शो देखें या एक पॉडकास्ट या कॉमेडियन को सुनें जो आपको हंसाए।
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कुछ हर्बल चाय या एक गर्म चॉकलेट पियें। यह एक सर्वविदित तथ्य है कि गर्म पेय आपके मन को शांत करता है (हालांकि बहुत अधिक कैफीन से बचें!)।
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शॉवर या स्नान तनाव को दूर करने में मदद करता है।
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कुछ मनपसंद खाएं।
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थोड़ा सो लें। परीक्षा के मौसम में एक अच्छी नींद जरूरी है।
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अन्य तनावग्रस्त लोगों से बचें।
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आपको यह जानने की आवश्यकता नहीं है कि अन्य लोगों ने परीक्षा में कैसे भाग लिया है।
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परीक्षा देने के बाद भी ज्यादा किसी से डिस्कशन ना करें आपने जो किया वह आपने अपना 100% दिया।
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