बच्चा छोटा हो या बड़ा पेरेंट्स हमेशा बच्चे की हेल्थ को लेकर चिंतित रहते हैं। वे सुनिश्चित करते हैं कि उनका बच्चा हमेशा हैप्पी, हेल्दी और ऊर्जावान रहे। लेकिन आजकल के बिगड़े खानपान और शारीरिक गतिविधियों की कमी के चलते बच्चों का स्वास्थ्य खतरे में है और उसपर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है। बच्चा हेल्दी है या अनहेल्दी इसका पता लगाना कई बार पेरेंट्स के लिए चुनौतिपूर्ण हो सकता है। लेकिन बच्चे के शरीर में यदि सामान्य से अलग कुछ संकेत नजर आ रहे हैं तो ये किसी स्वास्थ्य से संबंधित समस्या का संकेत हो सकता है, जिसकी पहचान करने के लिए इन संकेतों पर ध्यान देना बेहद महत्वपूर्ण है। तो चलिए जानते हैं ऐसे ही कुछ संकेतों के बारे में।
जल्दी थकना

स्वस्थ्य शरीर के लिए बच्चे का खेलना बेहद जरूरी माना जाता है। यदि बच्चा किसी फिजिकल एक्टिविटी या खेलते समय जल्दी थकान महसूस करता है या उसे सांस लेने में दिक्कत आती है तो ये अस्थमा, कार्डियोवस्कुलर और एनीमिया का संकेत हो सकता है। ऐसे में बच्चे की एनर्जी लेवल और ब्रीदिंग पैटर्न की ओर ध्यान देना महत्वपूर्ण है। साथ ही इस समस्या के विषय में डॉक्टर से कंसल्ट करना आवश्यक है।
हेल्दी फूड न खाना
बच्चे अपने खानपान को लेकर अक्सर जिद्द करते हैं जो कि एक सामान्य प्रक्रिया है लेकिन यदि बच्चा प्रतिदिन घर का खाने की बजाये पेस्ट्री, बर्गर, चाऊमीन और केक खाने की डिमांड करता है तो ये बीमारी का संकेत हो सकता है। बच्चे के लक्षण न्यूट्रिशनल डेफिशिएंसी, डाइजेस्टिव प्रॉब्लम या साइकलॉजिकल स्ट्रैस की ओर इशारा करती हैं। पेरेंट्स को बच्चे के ईटिंग पैटर्न और डाइट का आंकलन कर डॉक्टर से कंसल्ट करना चाहिए।
कमर का साइज बढ़ना
यदि आपका बच्चा पतला है लेकिन उसकी कमर का साइज अधिक है तो ये किसी स्वास्थ्य संबंधित समस्या का संकेत हो सकता है। सामान्यतौर पर कमर का साइज हिप और सोल्डर के साइज से कम होता है। इस प्रकार की समस्या मोटापे या ओबेसिटी का कारण हो सकती है। इस समस्या के चलते बच्चे को डायबिटीज, हार्ट डिजीज और हाई बीपी की समस्या होने की संभावना बढ़ सकती है। इस स्थिति में हेल्दी डाइट और फिजिकल एक्टिविटी को बच्चे के रुटीन में शामिल किया जा सकता है।
खर्राटे लेना

खर्राटे लेना एक सामान्य प्रक्रिया है, जो नुकसानदायक नहीं होती लेकिन कई बार ये स्लीप एपनिया या रेस्पिरेटरी जैसी बीमारी का कारण बन सकती है। यदि बच्चा हर रोज सोते समय खर्राटे लेता है तो ये कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम में गड़बड़ी का भी संकेत हो सकता है। कई बार अधिक वजन होने के कारण भी सोते समय खर्राटे का अनुभव हो सकता है।
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नींद में जागना
बच्चे की मेंटल और फिजिकल हेल्थ को डेवलप करने में पर्याप्त नींद महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यदि आपका बच्चा 8 घंटे की साउंड स्लीप नहीं लेता या रात में बार-बार उठता है तो स्लीप डिसऑर्डर, एंग्जाइटी और अन्य हेल्थ प्रॉब्लम का संकेत हो सकता है। खराब नींद बच्चे के मूड, बिहेवियर और एकेडमिक परफॉर्मेंस पर असर डाल सकती है। ऐसे में पेरेंट्स बच्चे के स्लीपिंग पैटर्न पर ध्यान दें और किसी प्रकार के लक्षण दिखाई देने पर चिकित्सक से संपर्क करें।
