Child Trauma: सभी पेरेंट्स चाहते हैं कि उनका बच्चा खुश रहे। लाइफ में आने वाली हर चुनौतियों का सामना हिम्मत और समझदारी से करे। लेकिन कई बार बच्चे पुरानी किसी घटना या बात को मन से लगा लेते हैं और धीरे-धीरे ट्रॉमा का शिकार होने लगते हैं। ट्रॉमा या सदमा बच्चे के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को खराब कर सकता है। बच्चे की उपेक्षा, मनोवैज्ञानिक, शारीरिक या यौन शोषण जैसे कारण ट्रॉमा को बढ़ावा देते हैं। ऐसे में माता-पिता को ये पहचानना जरूरी है कि बच्चे की उदासी सामान्य है या वह किसी अज्ञात ट्रॉमा का शिकार है। यदि बच्चे के ट्रॉमा का इलाज समय रहते न किया जाए तो आगे चलकर उसे काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। ट्रॉमा होने पर बच्चे कई ऐसे संकेत देते हैं जिन्हें नजरअंदाज करना किसी बड़ी समस्या को बढ़ावा दे सकता है। तो चलिए जानते हैं कुछ ऐसे ही संकेतों के बारे में।
अनिद्रा की समस्या

बचपन में बच्चा यदि किसी हादसे का शिकार हो जाता है तो उससे उबरना काफी मुश्किल हो सकता है। कई बार बच्चे उस घटना को मन से लगा लेते हैं और ट्रॉमा का शिकार हो जाते हैं। ट्रॉमा की वजह से रात को डारावने सपने आना, नींद न आना या सदमा लगना जैसे लक्षण महसूस हो सकते हैं। ट्रॉमा से ग्रसित बच्चों की नींद काफी कच्ची होती है और वह कई बार सोने से कतराते हैं। यदि आपके बच्चे में ये लक्षण दिखाई दें तो उसका कारण जानने का प्रयास करें।
हर बात पर रोना

यदि बच्चा हर छोटी-छोटी बात पर रोता है तो समझिए वह बचपन में किसी ट्रॉमा या हादसे का शिकार हुआ है। जिन बच्चों में ट्रॉमा के लक्षण होते हैं वो अन्य बच्चों की अपेक्षा काफी सेंसिटिव होते हैं और आसानी से रोने लगते हैं। ऐसे बच्चों को डर भी अधिक लगता है और वह खुद को इनसिक्योर महसूस करते हैं। बच्चे का बार-बार और छोटी-छोटी बातों पर रोना उन्हें भावनात्मक रूप से कमजोर बना सकता है।
अधिक गुस्सा आना

यदि आपके बच्चे को अधिक गुस्सा आता है और वह हर बात पर जिद्द करता है तो समझिए वह किसी न किसी प्रकार के ट्रॉमा का शिकार है। अगर बच्चा अपने गुस्से पर कंट्रोल नहीं कर पाता तो उसे किसी साइकोलॉजिस्ट को दिखाना बेहद जरूरी है। जरूरत से ज्यादा गुस्सा कई बार बच्चों को जिद्दी और विद्रोही भी बना देता है। यदि बच्चा अधिक गुस्सा करे तो पेरेंट्स उनके इस संकेत को नजरअंदाज न करें।
स्ट्रेस महसूस करना

हालांकि बच्चे मनमौजी होते हैं उन्हें स्ट्रेस लेना नहीं आता। लेकिन बच्चा हर छोटी-छोटी समस्या पर स्ट्रेस लेने लगे तो समझिए वह किसी बात से परेशान है या ट्रॉमा का शिकार है। यदि आपके बच्चे को एंग्जाइटी महसूस होती है तो ये भी सदमे के लक्षण हो सकते हैं। बच्चे को सदमे से बाहर निकलाने के लिए जरूरी है कि पेरेंट्स इसका कारण पता करें। साथ ही बच्चे का सही ट्रीटमेंट कराएं। अन्यथा बच्चे का कॉन्फीडेंस लेवल धीरे-धीरे कम हो सकता है जिससे अन्य कई समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
ईटिंग डिसऑर्डर

बच्चा यदि अपनी उम्र और जरूरत से ज्यादा या कम खाता है तो वह ईटिंग डिसऑर्डर का शिकार हो सकता है। ईटिंग डिसऑर्डर बच्चे को तब होता है जब वह किसी हादसे या घटना का शिकार होता है। तनाव या एंग्जाइटी होने पर भी बच्चा इस डिसऑर्डर से परेशान हो सकता है। बचपन में यदि किसी समस्या को सुलझाया न जाए तो वह नासूर बन जाती है, जिसका सामना हमें ट्रॉमा के रूप में करना पड़ता है। इसलिए पेरेंट्स बच्चों में होने वाले बदलाव को गंभीरता से लें ताकि समय रहते उसका सही इलाज कराया जा सके।
