बच्चा करता जंक फूड खाने की जिद्द, तो इन 2 हेल्दी रेसिपी को करें ट्राई: Healthy Recipes for Kids
Healthy Recipes for Kids

Overview:

मोटापे की पहचान करने के लिए हमारे बॉडी मास इंडैक्स (बीएमआई) के मुताबिक स्पष्ट दिशा-निर्देश हैं। यदि बीएमआई 30 से अधिक होता है तो इसे मोटापे का स्पष्ट संकेत माना जाता है।

Kids Obesity Reason: हम सभी चाहते हैं कि हमारे बच्चे सेहतमंद रहें। कई देशों में, खासतौर से भारत में, बच्चों में मोटापे को हेल्दी बच्चों की निशानी समझा जाता है। लेकिन सच्चाई बहुत अलग है। हमारे यहां बच्चों की उम्र और कद के अनुपात में अत्यधिक वज़न की समस्या काफी गंभीर है। बचपन में मोटापा एक बड़ी परेशानी बन चुका है क्योंकि इसके साथ कई और जटिलताएं भी पैदा हो जाती हैं। मोटापे की पहचान करने के लिए हमारे बॉडी मास इंडैक्स (बीएमआई) के मुताबिक स्पष्ट दिशा-निर्देश हैं। यदि बीएमआई 30 से अधिक होता है तो इसे मोटापे का स्पष्ट संकेत माना जाता है। अगर आपको लगता है कि आपका बच्चा मोटापे का शिकार है तो किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले बीएमआई की गणना जरूर करें।

Kids Obesity Reason
Obesity increases in children due to unhealthy, junk food consumption and inactive lifestyle.

डॉ मौमिता मिश्रा, हेड – लैब ऑपरेशंस (मुंबई), मेट्रोपोलिस हेल्थकेयर लिमिटेड के मुताबिक हम यह जानते हैं कि अनहेल्दी, जंक फूड का सेवन करने और इनेक्टिव लाइफस्टाइल की वजह से, बच्चों में मोटापा बढ़ता है। लेकिन कई बार कोई गंभीर स्वास्थ्य स्थिति भी बच्चों का वज़न बढ़ने का कारण हो सकता है। हार्मोनल असंतुलन ऐसा ही कारण है जिसके इलाज को लेकर लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए।

1.   शरीर में कॉर्टिसोल हार्मोन बढ़ने से वज़न बढ सकता है। कुशिंग सिंड्रोम जैसी कंडीशन के चलते कॉर्टिसोल हार्मोन लेवल बढ़ सकता है। लेकिन शरीर में तनाव बढ़ने के कारण भी कॉर्टिसोल हार्मोन का स्तर बढ़ता है। इसलिए, यह जरूरी है कि आप अपने बच्चे के जीवन स्ट्रैस फैक्टर का पता लगाएं। पैरेंट्स को यह पता लगाना चाहिए कि उनके बच्चे बुलिंग, एब्यूज़ या पढ़ाई की वजह से स्ट्रैस का शिकार तो नहीं बन रहे।

2.   थायराइड हार्मोन में कमी होने या हाइपोथायराइडिज़्म की वजह से भी वजन बढ़ने की समस्या पैदा होती है। इसलिए मोटापे के कारणों का सही-सही पता लगाने के लिए थायराइड फंक्शन की जांच करवाना भी जरूरी होता है।

3.   कुछ बच्चों में प्यूबर्टी देरी से शुरू होती है और ऐसे में शरीर में कई तरह के सेक्स हार्मोनों की कमी की वजह से भी वजन बढ़ता है।

4.   प्यूबर्टी के बाद लड़कियों में कई बार पोलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम भी वजन बढ़ने का कारण होता है।

5.   इंसुलिन हार्मोन शरीर में ग्लूकोज़ के उपयोग के लिए जिम्मेदार है। यदि शरीर में इंसुलिन रेजिस्टेंस पैदा होता है तो उसके कारण वजन बढ़ने लगता है।

हालांकि ये हार्मोनल कंडीशन काफी गंभीर होती हैं, और इनकी वजह से भी मोटापा पैदा होता है। लेकिन मुख्य रूप से मोटापे का प्रमुख कारण भोजन की मात्रा और शरीर की गतिविधियों पर निर्भर होता है। इसलिए, जब भी बच्चों में मोटापे के कारणों का पता लगाना हो तो इन सभी पहलुओं पर ध्यान देना चाहिए।

बच्चों में मोटापा चिंता का विषय है क्योंकि इसकी वजह से लंबे समय तक बच्चों के स्वास्थ्य पर असर पड़ता है। बचपन में मोटापे के कारण शरीर का मेटाबॉलिज़्म काफी गंभीर तरीके से प्रभावित होता है जिसके चलते कुछ कुछ ऐसे रोगों की आशंका भी बढ़ जाती है जो जीवन के लिए खतरा हो सकते हैं।

1.   टाइप 2 डायबिटीज़ मेलाइटस – मोटापे के शिकार बच्चों को आगे चलकर डायबिटीज़ होने की आशंका अधिक रहती है। डायबिटीज़ मेलाइटस एक गंभीर रोग है जो हमारे शरीर के अन्य प्रमुख अंगों जैसे हार्ट, किडनी, नर्वस सिस्टम और आंखों आदि तक को नुकसान पहुंचाता है।

2.   डिस्लिपिडेमिया – यह हार्ट अटैक और खासतौर से भारत के संदर्भ में, ब्रेन स्ट्रोक का प्रमुख कारण है। मोटापे से ग्रस्त बच्चों के शरीर में फैट मेटाबॉलिज़्म गलत तरीके से होता है, जो रक्त वाहिकाओं में ब्लॉकेज पैदा करता है।

दुर्भाग्यवश, ये दोनों कंडीशंस काफी तेज रफ्तार से बढ़ रही हैं जो घातक साबित हो सकती हैं,विशेष रूप से 40 वर्ष से कम आयु के युवाओं में यह समस्या बढ़ रही है। इसलिए, बचपन से ही शरीर को स्वस्थ बनाए रखने पर ध्यान देना चाहिए।   भारत में, आमतौर पर लोगों की धारणा यह होती है कि जो बच्चा मोटा है वह इस वजह से ऐसा है क्योंकि उसकी अच्छी तरह से देखभाल की जा रही है। लेकिन सच्चाई इससे कोसों दूर है। असल में, मोटापा ऐसे बच्चों की दीर्घकालिक सेहत के लिहाज से सही नहीं होता। हमारी भविष्य की पीढ़ी को सेहतमंद बनाने और साथ ही, इलाज का खर्च सीमित रखने के लिए, यह जरूरी है कि हम शुरुआत से ही खानपान की अच्छी आदत डालें और बच्चों को शुरू से शारीरिक गतिविधियों के लिए प्रेरित करें। इसके अलावा, पैरेंट्स को बच्चों की मेडिकल कंडीशंस को लेकर भी सतर्क रहना चाहिए ताकि जरूरत पड़ने पर मेडिकल हेल्प में देरी न हो। सही जानकारी और जागरूकता तथा खानपान, व्यायाम संबंधी सेहतमंद आदतें ही भविष्य की पीढ़ी के लिए एक स्वस्थ जीवन बनाने में मददकरती हैं। 

मेरा नाम सुनेना है और मैं बीते पाँच वर्षों से हिंदी कंटेंट लेखन के क्षेत्र में सक्रिय हूं। विशेष रूप से महिला स्वास्थ्य, मानसिक सेहत, पारिवारिक रिश्ते, बच्चों की परवरिश और सामाजिक चेतना से जुड़े विषयों पर काम किया है। वर्तमान में मैं...