वज़न कम करने के लिए चार पॉपुलर डाइट: Weight Loss Diet
Weight Loss Diet

Weight Loss Diet: वेट लॉस में डाइट का बहुत अहम रोल होता है। यहां हम दे रहे हैं कुछ ऐसी ही डाइट की जानकारी- आजकल लोग वजन कम करने के लिए कई तरह के तरीके अपनाते हैं, जिनमें एक निश्चित डाइट फॉलो करना सबसे अहम तरीका है। मार्केट में कई तरह के डाइट प्लान हैं जिन्हें लोग फॉलो करते हैं। कुछ डाइट तो बहुत ही कॉमन हैं और कुछ बड़ी ही मुश्किल। कुछ डाइट ऐसी भी होती हैं, जिन्हें करने के लिए बहुत सावधानी की जरूरत होती है, लेकिन अक्सर लोग इस बात पर ध्यान नहीं देते और परेशानियों का सामना करते हैं। आइए जानते हैं, डाइट के प्रकारों के बारे में और उनसे जुड़ी बातों के बारे में-

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इसे सिर्फ ‘कीटो डाइट’ के नाम से भी जाना जाता है। यह शरीर के फैट को जल्दी बर्न करने में बहुत प्रभावी है। इस डाइट के जरिये कॉमेडियन तन्मय भट्ट ने एक साल में 109 किलो वजन कम किया था। तभी से यह डाइट चर्चा में आई। इसमें कम कैलोरी, मीडियम प्रोटीन और हाई फैट डाइट ली जाती है, ताकि शरीर को कीटोसिस की स्थिति में लाया जा सके। कीटोसिस शरीर की ऐसी मेटाबॉलिक स्थिति है, जिसमें शरीर ब्लड ग्लूकोज के बजाय फैट के टुकड़ों (कीटोन्स) को एनर्जी के रूप में इस्तेमाल करता है।

1) यह डाइट लेने से शरीर फैट को ऊर्जा के रूप में इस्तेमाल करने लगता है। इस तरह से यह वजन कम करने में मदद करता है।
2) कम कैलोरी वाली डाइट लेने से शरीर में ब्लड शुगर का स्तर कम हो जाता है। इस कारण यह डाइबिटीज़ से बचाने में मदद करती है।
3) सन 1900 के समय इस डाइट का उपयोग एपिलेप्सी (मिर्गी) के उपचार के लिए सफलतापूर्वक किया जाता था। अभी भी यह डाइट उन बच्चों को दी जाती है, जो मिर्गी की समस्या से पीड़ित हैं।
4) इस डाइट को लेने से बालों के झड़ने की समस्या दूर होती है। साथ ही त्वचा में भी निखार आता है।

1) इस डाइट को लेने से शरीर में ऐंठन होने लगती है। इससे बचने के लिए ज्यादा से ज्यादा तरल पदार्थ और नमक लेना चाहिए।
2) इससे हार्टबीट पहले की अपेक्षा तेज हो जाती है और सांस लेने में भी परेशानी हो सकती है। इससे बचने के लिए पोटेशियम सप्लिमेंट लें और अधिक से अधिक पानी और नमक लें।

पैलियो डाइट एक ऐसा डाइट प्लान है, जो प्लाइयोलिथिक काल से प्रभावित है। इस डाइट के अनुसार व्यक्ति को वैसा फूड खाना चाहिए, जैसा हमारे पूर्वज खाते थे। इसमें खास तौर से मीट, मछली, फल, सब्जियां, नट्स और बीज को शामिल किया जाता है, जिन्हें पुराने समय में शिकार और खेती करके प्राप्त किया जाता था। इस डाइट का उद्देश्य भोजन के उस रास्ते पर लौटना है, जो कि प्राचीन समय में आदिमानवों द्वारा खाया जाता था।

1) इस डाइट में सम्मिलित सभी खाद्य पदार्थों से शरीर को अधिकतम ऊर्जा मिलती है। यह आहार मॉर्डन आहार कि तुलना में अधिक मात्रा में एनर्जी देता है। यह डाइट संतुलित वजन देती है। इसमें शरीर की जरूरत के अनुसार सभी पोषक तत्व सही मात्रा में उपस्थित होते हैं, जिससे वजन नहीं बढ़ता और यदि बढ़ा हुआ
वजन भी हो तो कम हो जाता है।
2) इस डाइट का मुख्य उद्देश्य शरीर को नुकसान पहुंचाने वाले खाद्य पदार्थों से दूर रखना होता है, जिससे इम्यूनिटी बढ़ती है और सम्पूर्ण स्वास्थ्य में सुधार होता है।
3) इस डाइट को लेने से पाचन शक्ति में सुधार होता है, क्योंकि इस डाइट में वही फूड शामिल होता है, जिसे आप आसानी से पचा सकें।

1) इस डाइट को शुरू करने के प्रारम्भिक दिनों में कमजोरी महसूस हो सकती है।
2) कम कैलोरी वाली डाइट लेने से कभी-कभी थकान, बैचेनी या सिरदर्द भी हो सकता है।
3) कम कैलोरी डाइट लेने से शरीर एनर्जी के लिए फैट का उपयोग करता है, जिसके कारण कभी-कभी शरीर से अजीब सी बदबू सी आने लगती है।

इस फूड में पत्तेदार साग, ताजे फल और सब्जियां, सेम, बीज, अनाज, नट्स और फलियां शामिल होती हैं। इसमें जैतून के तेल का बहुत महत्वपूर्ण रोल है। यह वसा के मुख्य स्रोत के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। इस डाइट में दूध और रेड मीट का कम इस्तेमाल होता है। इस तरह की डाइट में ट्रांस फैट कम होता है। यह रिफाइंड तेल और प्रोसेस्ड फूड और मीट से रहित होती है।

1) यह डाइट वजन को एक समान बनाए रखने, मोटापा घटाने में मदद करती है।
2) शरीर में सूक्ष्म पोषक तत्वों में वृद्धि, विटामिन और खनिज तत्वों के असंतुलन में सुधार होता है।
3) इसमें बेकरी, डेयरी प्रोडक्ट्स और मांसाहार की कम मात्रा होती है, जो ब्रेस्ट कैंसर, हार्ट अटैक और स्ट्रोक के खतरे से बचाती है।

वेजिटेरियन कई तरह के होते हैं- लेक्टो वेजिटेरियन, लेक्टो- ओवो वेजिटेरियन, ओवो वेजिटेरियन आदि। इनमें सबसे ज्यादा अधिकता लेक्टो-ओवो वेजिटेरियन की मिलती है। ये लोग एग (अंडा), शहद और डेयरी प्रोडक्टस के अलावा और कोई एनिमल रीलेटेड फूड नहीं लेते। कई अध्ययनों में यह देखने में आया है कि जो लोग वेजिटेरियन डाइट लेते हैं, उनका बॉडी वेट उन लोगों से कम होता है, जो नॉन वेजिटेरियन होते हैं।