अच्छी पेरेंटिंग का गुरुमंत्र है अथॉरिटीटैटिव पेरेंटिंग, इससे बदल सकती है बच्चे की जिंदगी: Authoritative Parenting
Authoritative Parenting

Overview:

अथॉरिटी टैटिव पेरेंटिंग बीच का रास्ता है। इसमें पेरेंट्स ​अनुशासन और प्यार के बीच की राह अपनाते हैं। वे अपने बच्चों के साथ खुलकर जीते हैं, उन्हें खूब लाड़ प्यार करते हैं, उनके साथ हंसते हैं, खेलते हैं, लेकिन ये सब एक सीमा में रहकर ही किया जाता है।

Authoritative Parenting: पेरेंटिंग एक सफर है, इसमें कई उतार- चढ़ाव, ब्रेकर्स, गड्ढे और परेशानियां आती हैं। इसमें खुशियों की हरियाली है तो इमोशन के झरने भी। हर माता-पिता का उद्देश्य एक ही होता है अपनी मंजिल पाना यानी अपने बच्चों का सुनहरा भविष्य बनाना। यह सफर सिर्फ बच्चे के लिए ही नया नहीं होता, बल्कि ये पेरेंट्स के लिए भी नई शुरुआत होती है। ऐसे में हर माता-पिता को पेरेंटिंग का पाठ जरूर सीखना चाहिए। आपके प्रयासों और बच्चे की कोशिशों से आप इस सफर को खूबसूरत और सार्थक बना सकते हैं। ऐसे में अथॉरिटीटैटिव पेरेंटिंग का विकल्प आपके लिए बेस्ट हो सकता है।  

Authoritative Parenting
do not being overly strict with your children

अक्सर पेरेंट्स को लगता है कि ज्यादा लाड़ प्यार के कारण बच्चे बिगड़ जाते हैं। वहीं ये बात भी सही है कि ज्यादा स्ट्रिक रहने से भी बच्चे की मानसिकता और पर्सनैलिटी पर नेगेटिव असर पड़ता है। ऐसे में अथॉरिटीटैटिव पेरेंटिंग बीच का रास्ता है। इसमें पेरेंट्स ​अनुशासन और प्यार के बीच की राह अपनाते हैं। वे अपने बच्चों के साथ खुलकर जीते हैं, उन्हें खूब लाड़ प्यार करते हैं, उनके साथ हंसते हैं, खेलते हैं, लेकिन ये सब एक सीमा में रहकर ही किया जाता है। यानी एक लिमिट सेट कर ली जाती है कि आपको बच्चे को कितनी छूट देनी है। हालांकि इस दौरान बच्चे की भावनाओं और रुचियों का पूरा ध्यान रखा जाता है। अथॉरिटीटैटिव पेरेंटिंग कई मायनों में बच्चों के डेवलपमेंट में मददगार है। इससे बच्चे अनुशासन भी सीखते हैं और उनकी पेरेंट्स से बॉन्डिंग भी अच्छी बनी रहती है। ये पेरेंटिंग स्टाइल उन्हें खुद अपनी आजादी, रुचियां चुनने का मौका देती है।  

अथॉरिटीटैटिव पेरेंटिंग की शुरुआत करना बेहद आसान है। इसमें माता—पिता दोनों की राय एक जैसी होना भी जरूरी है। अपने बच्चे को इतनी छूट दें कि वो खुलकर अपनी बात आपसे बोल सके। उसे हमेशा पेरेंट्स और बड़ों का सम्मान करना सिखाएं। बच्चों का दोस्त बनने की कोशिश में कभी भी अपनी सीमाएं पार न करें, इससे बच्चे में आपका डर नहीं रहेगा और वो आपकी बातें मानना बंद कर सकता है। इसलिए उनके दोस्त बनें, लेकिन सावधानी से। बच्चों को यह साफ बताएं कि आप उनसे जीवन में क्या चाहते हैं। साथ ही उन्हें इस गोल को पाने के लिए प्रेरित भी करें। उन्हें उनके कंफर्ट जोन से बाहर निकालें और दुनिया का सामना करने के लिए तैयार करें। अथॉरिटीटैटिव पेरेंटिंग अपनाकर आप अपने बच्चे को अच्छा इंसान बना सकते हैं।  

शोध बताते हैं कि अथॉरिटी टैटिव पेरेंटिंग बच्चों के संपूर्ण विकास में मददगार है।
Research shows that authoritative parenting is helpful in the overall development of children.

मनोचिकित्सक डॉ. अनीता गौतम का कहना है कि अथॉरिटीटैटिव पेरेंटिंग बच्चों के संपूर्ण विकास में मददगार है। इससे बच्चे पॉजिटिव बनते हैं। उनका आत्मविश्वास बढ़ जाता है। वे दूसरों का सम्मान करते हैं। इसी के साथ अथॉरिटीटैटिव पेरेंटिंग में पले बच्चे जिंदगी में आगे बढ़ने के लिए ज्यादा प्रेरित रहते हैं। इसी के साथ इस शानदार पेरेंटिंग स्टाइल के कई और गुण भी हैं।  

अथॉरिटीटैटिव पेरेंटिंग में पेरेंट्स बच्चों की जवाबदेही तय करते हैं। अपने हर निर्णय के लिए बच्चा खुद जवाबदेह होता है। ऐसे में वो हर एक फैसला लेने से पहले काफी सतर्क रहता है। उसे पता है कि अपने फैसले के लिए उसे पेरेंट्स को जवाब देना होगा। इसलिए वो अपना हर फैसला सोच समझकर लेता है। शोध बताते हैं कि ऐसे बच्चे दोस्तों के दबाव में नहीं आते हैं। यह सीख जिंदगीभर उनके काम आती है। ऐसे बच्चे बुरी संगती में बहुत कम पड़ते हैं।

शोध बताते हैं कि जो पेरेंट्स अपने बच्चों का सम्मान करते हैं, वे बच्चे भी पेरेंट्स और दूसरों का पूरा सम्मान करते हैं। ऐसे बच्चों के टीचर्स, दोस्त, आस पडोस के लोग भी उनके प्रति  अच्छा व्यवहार अपनाते हैं। इससे उसका कॉन्फिडेंस बढ़ता है। वो ज्यादा सोशल बनते हैं।

ज्यादा लाड़ प्यार बच्चों को जिद्दी बना देता है। उनमें इतना लचीलापन ही नहीं होता कि वे दूसरों के साथ एडजस्ट कर पाएं। इसलिए अपने बच्चों को हमेशा फ्लेक्सिबल बनाएं। उन्हें अपने कंफर्ट जोन से बाहर निकलने दें, इससे वे हर परिस्थिति में एडजस्ट करना सीखेंगे। जिंदगी की चुनौतियों से उन्हें सामना करना आएगा। उन्हें अपनी असफलताओं और गलतियों से सीखने का मौका दें। शोध बताते हैं कि ऐसे बच्चे बड़े होकर डिप्रेशन का शिकार कम होते हैं।  

बच्चों को अपने फैसले खुद लेने दें। इससे उनमें लीडरशिप की भावना आएगी। साथ ही उनमें कॉन्फिडेंस भी बढ़ता है। ऐसे बच्चे जिंदगी में कोई भी बड़ा फैसला लेने से डरते नहीं हैं। सही फैसले पर शाबाशी और गलत फैसले पर सीख देना न भूलें।  

क्या आप भी उन पेरेंट्स में से हैं जो स्कूल से होमवर्क न करने की शिकायत आने पर बच्चे को डांटने की जगह टीचर को ही गलत ठहराते हैं। या फिर कोई बहाना बनाते हैं। अगर हां, तो ये आपकी सबसे बड़ी गलतियों में से एक है। आप हमेशा बच्चों को उसकी गलतियों पर डांटे। इससे बच्चा आगे उन्हें नहीं दोहराएगा। इससे वह पढ़ाई में ज्यादा ध्यान देगा। क्योंकि उसे पता है कि उसके पेरेंट्स गलत बात में उसका साथ नहीं देंगे। आगे चलकर यही अनुशासन उसके काम आएगा और वह बेहतर इंसान व स्टूडेंट बन पाएगा।  

अथॉरिटी टैटिव पेरेंटिंग की शुरुआत करना बेहद आसान है।
Authoritative parenting is very easy to get started with.

अथॉरिटीटैटिव पेरेंटिंग की शुरुआत करना बेहद आसान है। लेकिन यह जरूरी है कि आप इसे शुरुआत से ही अपनाएं। इससे बच्चा भी इसी का आदि हो जाएगा। यह उन्हें डिसिप्लिन में रहना भी सिखाता है।

अथॉरिटीटैटिव पेरेंट्स अपने बच्चों के ​स्क्रीन टाइम पर वॉच रखते हैं और इसकी ​टाइम लिमिट भी तय करते हैं। हालांकि इस दौरान बच्चे की उम्र और जरूरत का भी ध्यान रखें। फिक्स टाइम पर टीवी बंद करना सिखाएं। इससे उनमें अनुशासन आएगा।

अगर बच्चा भोजन के समय कम खाना खा रहा है और दिनभर कुछ न कुछ स्नैक्स खाता है तो ये उसकी सेहत और पर्सनैलिटी दोनों के लिए खराब है। बच्चे को सारे दिन खाने की परमिशन न दें। खाने का टाइम फिक्स करें और उसी में उसे भोजन करने की आदत डालें।  

बच्चों को बचपन से ही घर के कामों में हाथ बंटाने के साथ ही सोशल वर्क से भी जोड़े। सोसायटी, पास के मंदिर, स्कूल फंक्शन, दोस्त के घर काम आदि में हाथ बंटाने के लिए उसे प्रेरित करें। इससे उन्हें जिंदगी का हर पहलू देखने का मौका मिलेगा। उनकी झिझक खुलेगी और वह लोगों के साथ उठना-बैठना सीखेंगे।