एक्सपर्ट्स मानते हैं कि पेरेंट्स के कहे हर शब्द का, फिर चाहे वो पॉज़िटिव हो या नेगेटिव, बच्चों पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है। इसलिए ये और भी जरूरी है कि बच्चे चाहे कैसे भी बिहेव कर रहे हों पेरेन्ट्स उन्हें समझाने या डांटने के लिए बहुत सोच समझकर अपने शब्दों का चयन करें। बच्चों से जो भी बातें की जाए इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि ये बातें पेरेन्ट्स बच्चों को कभी न बोलें-

1. तुम मूर्ख हो, बेवकूफ हो या डम्बो हो
अकसर पढ़ाई के दौरान, बच्चे के किसी प्रोजेक्ट में किए गलति को देखकर अभिभावक के मुंह से ये निकलना कि तुम बेवकूफ हो, बच्चों के आत्मविश्वास पर बहुत गहरा असर डालते हैं। ऐसा कुछ भी कहने से बचें।। 
 
2. वो कर सकता है तो तुम क्यों नहीं-
ये जानते तो सभी पेरेन्ट हैं कि बच्चों की तुलना नहीं की जानी चाहिए। ये जानते हुए भी पेरेन्ट्स अकसर अपने बच्चे की तुलना दूसरे बच्चों से कर बैठते हैं। बच्चों से किसी औऱ के जैसा बनने के लिए कहने की जगह उन्हें बताए कि आप उनसे जैसे वो हैं वैसे ही प्यार करते है।
3. ये करो नहीं तो…-
गुस्से में अकसर पेरेन्ट्स बच्चों को धमकी देते हैं कि अगर उन्होंने ऐसा नहीं किया तो वो नीचे खेलने नहीं जाएंगे या उन्हें कुछ ऐसा करना पड़ेगा जो उन्हें पसंद न हो आदी। दरअसल पेरेन्ट्स को ‘नहीं तो’ वाले शब्दों को अपने डिक्शनरी से हटा देना होगा। बच्चों पर धमकियों का असर सिर्फ इतना होता है कि वो प्रेशर या तनाव महसूस करते हैं और आप उनसे कितने भी नाराज़ हों ये तो नहीं ही चाहेंगे कि वो अपने ही घर में डर या तनाव महसूस करें।
 
4. शर्माने की क्या जरूरत है, ये सही नहीं है-
ज़रूरी नहीं है कि हर बच्चा एक्ट्रोवर्ट या सोशल हो। कुछ बच्चे शर्मीले होते हैं और अनजान लोगों के बीच असहज भी होते हैं। इसके लिए उन्हें उलाहना देने से बेहतर है पेरेन्ट्स संयम रखें। समय के साथ ऐसे बच्चे धीरे-धीरे लोगों से घुलना मिलना शुरू कर देते हैं। 
 
 
ये भी पढ़े-