Summary: जेंटल पेरेंटिंग बनाम पर्मिसिव पेरेंटिंग: समझदारी और सीमाओं का संतुलन
जेंटल पेरेंटिंग में अनुशासन और समझदारी का संतुलन जरूरी है, वरना वह पर्मिसिव पेरेंटिंग बन सकती है।
Gentle vs Permissive Parenting: वर्तमान समय में माता-पिता के बीच में जेंटल पेरेंटिंग एक लोकप्रिय शब्द बन गया है, लेकिन जेंटल पेरेंटिंग के प्रति सभी पेरेंट्स की धारणा एक जैसी नहीं है। बहुत से पेरेंट्स बच्चों के विकास के लिए जेंटल पेरेंटिंग को एक अच्छा तरीका मानते हैं। लेकिन दूसरी तरफ बहुत से पेरेंट्स का मानना है कि जेंटल पेरेंटिंग से बच्चों में अनुशासन की कमी आती है तथा समाज के वास्तविकता से वह दूर होते हैं। अगर हम दोनों धारण की बात करें तो दूसरी धारण पर्मिसिव पेरेंटिंग के करीब है। आइए इस लेख में जानते हैं जेंटल पेरेंटिंग और पर्मिसिव पेरेंटिंग में क्या अंतर है और पेरेंट्स के लिए यह समझना क्यों जरूरी है।
क्या है जेंटल पेरेंटिंग
जेंटल पेरेंटिंग, पेरेंटिंग का एक ऐसा विचार है जिसमें बच्चों की परवरिश सकारात्मक विचारों के साथ समझदारी और कोमलता से किया जाता है।
जेंटल पेरेंटिंग में माता-पिता बच्चों को भरपूर प्यार के साथ स्वतंत्रता देते हैं, लेकिन स्वतंत्रता की सीमा तय होती है।
इस पेरेंटिंग में अनुशासन सजा के तौर पर नहीं समझ के साथ सिखाया जाता है। जेंटल पेरेंटिंग बच्चों की भावनाओं को समझने तथा मार्गदर्शन पर जोर देता है।
क्या है पर्मिसिव पेरेंटिंग

पर्मिसिव पेरेंटिंग को हम कह सकते हैं बच्चों को बिगड़ने का तरीका या बच्चों को बिगाड़ना। इस तरह की पेरेंटिंग में बच्चों को बहुत ज्यादा लाड़-प्यार दिया जाता है। बच्चों के लिए ठोस नियम का अभाव होता है जिससे बच्चा अनुशासनहीन बनता है।
इस तरह की पेरेंटिंग में माता-पिता बच्चों की सारी बातें मानते हैं उनकी भावनाओं को वह ना नहीं कहते हैं या ना कहना वह स्वीकार नहीं करते हैं।
जेंटल पेरेंटिंग और पर्मिसिव पेरेंटिंग में अंतर
अगर हम जेंटल पेरेंटिंग और पर्मिसिव पेरेंटिंग के बीच में अंतर की बात करें तो कुछ महत्वपूर्ण अंतर हैं,
अनुशासन: जेंटल पेरेंटिंग में बच्चों को अनुशासन सिखाया जाता है लेकिन इसके लिए सजा का नहीं बल्कि समझदारी और बातचीत का सहारा लिया जाता है। लेकिन पर्मिसिव पेरेंटिंग में अनुशासन सीखाने पर जोर नहीं दिया जाता है।
सीमा: जेंटल पेरेंटिंग में माता-पिता बच्चों के लिए स्पष्ट रूप से सीमाएं बनाते हैं तथा लागू करते हैं। दूसरी तरफ पर्मिसिव पेरेंटिंग में इसका पूरी तरह अभाव होता है।
नियंत्रण: जेंटल पेरेंटिंग में माता-पिता बच्चों के सहयोगी तथा निर्णायक की भूमिका में होते हैं, लेकिन पर्मिसिव पेरेंटिंग में बच्चा अनियंत्रित होता है।
भविष्य: जेंटल पेरेंटिंग में बच्चे का विकास मानसिक तथा शारीरिक दोनों तरह से बेहतर होता है और बच्चा भावनात्मक रूप से भी मजबूत बनता है। जबकि पर्मिसिव पेरेंटिंग में बच्चा जिद्दी तथा भावनात्मक रूप से कमजोर बनता है।
पेरेंटिंग में सीमा और समझदारी जरूरी है
माता-पिता बच्चों को भरपूर प्यार दें, लेकिन बच्चों के सही विकास और बेहतर भविष्य के लिए बच्चों की परवरिश में सीमा तथा समझदारी का होना जरूरी है।
यहां सीमा का अर्थ बच्चों को डांटना या डरना नहीं है, बल्कि समझदारी और धैर्य के साथ बच्चे को धीरे-धीरे उनकी जिम्मेदारियां सीखना तथा समझना है। जेंटल पेरेंटिंग बच्चों की परवरिश के लिए प्यार तथा सीमाओं का बेहतर संयोजक है, जो आपके बच्चे की भावनाओं को समझना है के बारे में बताता है, साथ ही यह भी बताता है की बच्चों की सारी बातों के लिए हां कहना जरूरी नहीं है।
