These mistakes of parents can create competition between siblings
These mistakes of parents can create competition between siblings

Overview:

भाई बहन के प्यार भरे रिश्ते में जाने अनजाने में एक कॉम्पिटिशन शुरू हो सकता है, जो इस रिलेशनशिप की नींव तक को हिला सकता है। ऐसे में हर पेरेंट्स की यह जिम्मेदारी होती है कि वो इस परिस्थिति को बहुत ही प्यार और समझ के साथ हैंडल करें।

आप मुझे कम और मेरी बहन को ज्यादा प्यार करते हो, हमेशा हर अच्छी चीज मेरे बड़े भाई को ही क्यों दी जाती है, आपके लिए तो भैया ही सबकुछ हैं, बड़े भाई होने के कारण हमेशा मुझे ही एडजस्ट करना पड़ता है। ये कुछ ऐसी बातें हैं, जो आपने अपने घर के साथ ही आस पड़ोस, रिश्तेदारों और दोस्तों के यहां बच्चों के मुंह से सुनी होंगी। बचपन में ये बातें बहुत ही आम और साधारण लगती हैं, लेकिन अगर पेरेंट्स समय रहते इनपर ध्यान न दें तो आगे चलकर ये भाई बहनों के बीच प्रतिद्वंद्विता का कारण बन सकती हैं। इस प्यार भरे रिश्ते में जाने अनजाने में एक कॉम्पिटिशन शुरू हो सकता है, जो इस रिलेशनशिप की नींव तक को हिला सकता है। ऐसे में हर पेरेंट्स की यह जिम्मेदारी होती है कि वो इस परिस्थिति को बहुत ही प्यार और समझ के साथ हैंडल करें। कैसे होगा ये संभव, आइए जानते हैं।

अगर इस रिश्ते में कॉम्पिटीशन की भावना आ जाए तो यह बच्चों के सामने चुनौतियां खड़ी कर सकता है।
If a feeling of competition enters this relationship, it can create challenges for the children.

भाई बहन का रिश्ता प्यार, अपनेपन और विश्वास की गहरी डोर से बंधा होता है। माता-पिता के बाद यही रिश्ता उनके सबसे करीब होता है। इसमें संघर्ष भी होता है तो सहयोग और सहानुभूति भी। इससे भाई बहनों के बीच सकारात्मक संबंध बनता है। लेकिन अगर इस रिश्ते में कॉम्पिटीशन की भावना आ जाए तो यह बच्चों के सामने चुनौतियां खड़ी कर सकता है। ऐसे में पेरेंट्स को कुछ रणनीतियां बनानी चाहिए।    

अधिकांश पेरेंट्स जो सबसे बड़ी गलती करते हैं, वो है बच्चों की आपस में तुलना करना। जैसे जो बच्चा पढ़ाई में अच्छा है, उसकी तुलना कमतर बच्चे से करना, हमेशा एक ही बच्चे के गुणों की तारीफ करना आदि। पेरेंट्स सोचते हैं कि इससे दूसरा बच्चा मोटिवेट होगा। लेकिन कई बार तुलना के ये शब्द बच्चों के दिल को चुभ जाते हैं। वे अंदर तक हर्ट हो जाते हैं। साथ ही वे अपने भाई-बहनों से दूर होने लगते हैं। बड़े होने पर भी यह दूरी कम नहीं हो पाती है। इसलिए आपस में बच्चों की कभी तुलना न करें। आप समझें कि हर बच्चे की पर्सनालिटी अलग होती है और गुण भी।  

बच्चों के पहले टीचर्स उनके पेरेंट्स होते हैं। वे वैसा ही व्यवहार करते हैं जैसा अपने पेरेंट्स को करते हुए देखते हैं। इसलिए आप खुद कभी अपने भाई बहनों से प्रतिद्वंद्विता जैसी बातें न करें, न ही अपने व्यवहार में ऐसा दर्शाएं। इससे बच्चों पर बुरा असर पड़ सकता है। इसकी जगह आप बच्चों को अच्छी बातें समझाएं। इससे वे मेहनत करना सीखेंगे और अपने भाई-बहनों से सहयोग की भावना बनाए रखें।

बच्चों को बचपन से ही टीमवर्क सिखाएं। उन्हें ऐसी एक्टिविटी में शामिल करें, जिसमें भाई बहनों को आपस में एक दूसरे की मदद करनी पड़े। इससे उनमें टीमवर्क भी भावना पैदा होगी। यह भावना उन्हें आपस में जोड़ती है। इससे वे एक दूसरे की सफलताओं को एंजॉय करना सीखेंगे।  

साथ में परिवार की खुशियां सेलिब्रेट करना, त्योहार मनाना, परंपराएं निभाना भी बच्चों के रिश्ते को मजबूत करता है। रक्षा बंधन, भाई दूज जैसे त्योहार रिश्तों के लिए बहुत जरूरी हैं। इसी के साथ साल के सभी बड़े त्योहारों पर भाई-बहनों से मिलकर काम करवाएं। अगर बच्चे टीनएज में हैं तो उन्हें साथ में मूवी देखने, शॉपिंग करने, लंच या डिनर करने के लिए भेजें। इससे बच्चे अपने हैप्पी मूवमेंट शेयर करेंगे, जो जिंदगीभर उनके साथ रहेंगे। कभी-कभी छुट्टियों पर जाना, पिकनिक करना, डिनर पर जाना भी परिवार के रिश्तों के लिए जरूरी है। 

मैं अंकिता शर्मा। मुझे मीडिया के तीनों माध्यम प्रिंट, डिजिटल और टीवी का करीब 18 साल का लंबा अनुभव है। मैंने राजस्थान के प्रतिष्ठित पत्रकारिता संस्थानों के साथ काम किया है। इसी के साथ मैं कई प्रतियोगी परीक्षाओं की किताबों की एडिटर भी...