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कोइनोफोबिया को आप 21वीं सदी का सबसे कॉमन 'डर' या फोबिया बोल सकते हैं। हालांकि मनोचिकित्सकों के अनुसार कोइनोफोबिया कोई बीमारी नहीं है। लेकिन यह ऐसा गंभीर डर है जो लोगों को अंदर से खोखला करने लगता है। उनकी चिंता का कारण बन जाता है।
Koinophobia: आपके ऐसे कितने दोस्त या जान पहचान वाले लोग हैं जो हर समय यही कहते हैं कि वे जिंदगी में कुछ बड़ा नहीं कर पा रहे हैं। उन्हें डर है कि वे आगे भी कुछ खास नहीं कर पाएंगे। ये बहुत ही नॉर्मल फीलिंग्स हैं जो अक्सर लोगों के मन में आती हैं। लेकिन अगर आप लगातार ऐसा सोचते हैं तो हो सकता है कि ‘कोइनोफोबिया’ का शिकार हों। क्या है ‘कोइनोफोबिया’ आइए जानते हैं।
जानिए क्या है कोइनोफोबिया

कोइनोफोबिया को आप 21वीं सदी का सबसे कॉमन ‘डर’ या फोबिया बोल सकते हैं। इससे पीड़ित इंसान को अपनी जिंदगी बहुत ही साधारण लगने लगती है। उन्हें लगता है कि जीवन में कुछ बड़ा नहीं कर पा रहे हैं और औसत जीवन जी रहे हैं। ऐसे में कोई उन्हें महत्व नहीं देगा, लोग उनका साथ पसंद नहीं करेंगे और उन्हें याद नहीं किया जाएगा। इसी डर को नाम दिया गया है कोइनोफोबिया। हालांकि मनोचिकित्सकों के अनुसार कोइनोफोबिया कोई बीमारी नहीं है। लेकिन यह ऐसा गंभीर डर है जो लोगों को अंदर से खोखला करने लगता है। उनकी चिंता का कारण बन जाता है।
इन्हें होता है ज्यादा डर
हर किसी की यही चाहत होती है कि वह जीवन में कुछ बेहद खास करे। पढ़ाई, अच्छी नौकरी, शादी और परिवार होनेे के बावजूद कुछ लोग जीवन को बहुत ही साधारण मान बैठते हैं। यही उनकी चिंता का कारण बन जाता है। आमतौर पर कम आत्मविश्वास वाले लोगों को कोइनोफोबिया का डर ज्यादा होता है। उन्हें लगने लगता है कि अगर उन्होंने कुछ अलग या खास नहीं किया तो लोग उन्हें पसंद नहीं करेंगे।
सोशल मीडिया भी है कारण
कोइनोफोबिया का एक बड़ा कारण सोशल मीडिया भी है। सोशल मीडिया पर लोगों की फोटोज या पोस्ट देखकर लोगों को महसूस होता है कि सब बहुत खुश हैं। दूसरों ने बहुत कुछ अचीव कर लिया है और वे खुद कुछ नहीं कर पा रहे हैं। वे दूसरों को बेहतर और खुद को औसत मानने लगते हैं। जिसके कारण परेशानी और ज्यादा बढ़ जाता है।
ऐसे पहचानें कोइनोफोबिया के लक्षण
कोइनोफोबिया के लक्षण समय पर पहचानना जरूरी है। हालांकि यह अलग-अलग लोगों के लिए अलग-अलग भी हो सकते हैं।
हमेशा नकारात्मक सोचना
अगर आपको अपनी जिंदगी में कुछ भी पॉजिटिव नजर नहीं आता है। और हर बात में कमियां दिखती हैं तो यह कोइनोफोबिया का लक्षण हो सकता है।
दूसरों से तुलना
अगर आप हमेशा अपनी जिंदगी की तुलना दूसरों के साथ करते रहते हैं तो संभलें। जिसके कारण आप अपनी सफलता को भी भरपूर एंजॉय नहीं कर पाते।
आत्म-सम्मान में कमी
कोइनोफोबिया से पीड़ित लोग आत्म सम्मान की कमी महसूस करने लगते हैं। उन्हें लगता है कि सब जानकर उन्हें अनदेखा कर रहे हैं। या अपमान कर रहे हैं। वे दूसरों के व्यवहार को हमेशा संदेह की नजर से देखते हैं।
ऐसे करें कोइनोफोबिया का सामना
कोइनोफोबिया के कारण लोग हमेशा चिंता में रहने लगते हैं। उनके दिमाग में हमेशा कुछ न कुछ हासिल करने की योजनाएं चलती रहती हैं। ऐसे में मानसिक रूप से थकान महसूस करने लगते हैं। उनकी ऊर्जा घटने लगती है और चिंता बढ़ने लगती हैं। कुछ कोशिशों से इस स्थिति को सुधार सकते हैं।
1. खुश रहना सीखें
कोइनोफोबिया का पहला इलाज है आप खुश रहना सीखें। यह स्वीकार करें कि औसत होने में कोई बुराई नहीं है। जो आपके पास है वो आपके लिए पर्याप्त है। खुद को स्वीकार करना सीखें।
2. टाइम मैनेजमेंट जरूरी
जिंदगी में टाइम मैनेजमेंट बहुत जरूरी है। इससे आपके सारे काम आसानी से होंगे। सब कुछ पाने की दौड़ में खुद को समय देना न भूलें। अपने शरीर और दिमाग दोनों को रिलैक्स होने का समय दें। इससे चिंताएं कम होंगी और एनर्जी बनी रहेगी।
3. अपना लक्ष्य बनाएं
बहुत कुछ पाने की दौड़ में सबकुछ छूटने का डर ज्यादा रहता है। इसलिए अपना लक्ष्य निर्धारित करें और उसी को पाने पर फोकस करें। इससे आपकी सफलता की संभावना बढ़ने लगेगी।
4. खुद को अपडेट रखें
जिंदगी में आगे बढ़ना है तो खुद को अपडेट रखना जरूरी है। हमेशा नई तकनीक को सीखें। इससे आप दूसरों से आगे निकल सकते हैं। अब अपने विचारों को बेहतर तरीके से प्रस्तुत कर पाएंगे।
5. सोशल मीडिया से ब्रेक
सोशल मीडिया आज जिंदगी का हिस्सा है। लेकिन इसका ज्यादा उपयोग आपको तनाव दे सकता है। इसलिए सोशल मीडिया का उपयोग लिमिट में करें। अगर लक्ष्य पाना है तो इससे ब्रेक लें।
