योग चिकित्सा स्वस्थ रहने के लिए है बहुत प्रभावी: International Yoga Day
International Yoga Day

International Yoga Day: योग चिकित्सा एक विज्ञान है, एक अनुशासित जीवन-शैली है, जीवन जीने की कला है। योग में 8 नियमों का वर्णन है- यम, नियम, आसन, प्राणायाम, त्याग, साधना, ध्यान और समाधि। ये नियम शरीर और मन को स्वस्थ रखने के लिए महत्वपूर्ण हैं। योग का मतलब केवल कुछ आसन, प्राणायाम या ध्यान करना मात्र नहीं है, यानी जीवन में आई विसंगति से दूर रहने के लिए अंतर्मुखी जीवन जीना है। नियमित ध्यान और योगासन दिमाग से अच्छे हार्मोन का स्राव करते है, जिससे व्यक्ति प्रसन्नचित रहता है। गीता में श्रीकृष्ण ने भी कहा है कि किसी भी काम की परिपूर्णता या पराकाष्ठा तक पहुंच जाना भी योग है। हम जो भी काम करें, वो पूरी ईमानदारी, निष्ठा, लगन, त्याग और मस्ती भाव से करें। तभी हम सफलता प्राप्त कर सकते हैं।

आधुनिक युग में योग का मतलब केवल आसन, प्राणायाम और ध्यान से है, जबकि इसका शरीर के सभी अंगों, ग्रंथियों और इंद्रियों पर प्रभाव पड़ता है। इसमें सूर्य नमस्कार, प्राणायाम, योग मुद्रा, शुद्धिकरण जैसे आसन अहम हैं। इनसे अपनी सांसों, मन और प्राण शक्ति पर नियंत्रण सीखा जा सकता है। मन में शुद्ध विचारों की उत्पत्ति होती है और हम सकारात्मक कर्मो की ओर अग्रसर होते हैं। हमारा जीवन तनावरहित हो जाता है। नियमित रूप से योगाभ्यास और प्राणायाम करने से शरीर से विषाक्त पदार्थ निकल जाते हैं और रक्त शुद्ध हो जाता है। रक्त में अशुद्धियां नहीं आती श्वेत और लाल रक्त कणों का स्तर बेहतर होता है। शुद्ध रक्त हमारे शरीर का पैट्रोल है जिससे शरीर के सभी अंग सुचारू रूप से चलते हैं और बीमारियां कम होती हैं। प्रकृति के सान्निध्य में, पेड़ों के नीचे रहते हैं तो हमें ऑक्सीजन मिलता है। सूरज की किरणों से विटामिन डी मिलता है जिसमें तरह-तरह के वायरस और बैक्टीरिया मारने की क्षमता होती है।  

आसन और प्राणायाम, योग के दो अंग

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Asana and Parnayam

योग के 2 अंग माने जाते हैं- आसन और प्राणायाम। योगासन का विशेष स्थान है जो शारीरिक, बौद्धिक और मानसिक संतुलन बनाए रखते हैं। आसन कई मुद्राओं में किए जाते हैं। किसी भी मुद्रा में आसन किए जाएं, शरीर में रक्त प्रवाह सुचारू करने, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और बीमारियां दूर करने में सहायक हैं। विभिन्न मुद्राएं जैसे- खड़े होकर (ताड़ आसन, कटि चक्र आसन, कोण आसन, अश्वथ आसन), बैठकर (वज्र आसन, गोमुख आसन, काग आसन, सिंहासन, गोमुख आसन, काग आसन, ब्रह्मचर्य आसन, विकट आसन, सिंहासन, वक्रासन),  पेट के बल लेट कर ( नौका आसन, धनुर आसन, शलभ आसन, भुजंग आसन), सीधे लेट कर (सर्वांग आसन, हलासन, चक्रासन, पवनमुक्तासन)। नियमित रूप से 4-5 आसन हर मुद्रा में किए जाएं और इनके बाद प्राणायाम ब्राह्मी प्राणायाम, नाड़ी शोधन या अनुलोम-विलोम प्राणायाम और प्रभु का ध्यान किया जाए- तो आप अनेक प्रकार की बीमारियों से बच सकते हैं।

योग से स्वस्थ रहते हैं तन, मन और आत्मा

Yoga Benefits
Yoga Benefits

योग से संपूर्ण स्वास्थ्य यानी तन, मन और आत्मा का स्वास्थ्य पाया जा सकता है। आमतौर पर सभी बीमारियों की जड़ तनाव है। यह हमारी इंद्रियों के कारण होता है-5 ज्ञानेंद्रियां (कान, नाक, आंख, त्वचा, जीभ) और 5 कर्म इंद्रियां (हाथ, पैर, मुंह, गुदा, जनेन्द्रियां)। काम को लेकर या दूसरों की वजह से जब हम तनाव में होते हैं, तब हमारे शरीर की एंडोक्राइन ग्रंथियों से हार्मोन निकलते हैं जो खून में मिलकर शारीरिक-मानसिक परेशानियों का कारण बनते हैं। योग सादा जीवन उच्च विचार, सम-भाव में रहना सिखाता है जिससे दिमाग को बेवजह किसी चीज में उलझने नहीं देता। या उलझने पर शांतिपूर्ण ढंग से उसका समाधान भी खोज लेता है और तनाव को दूर रखता है। विनम्र और समझौतापूर्ण जीवन जीना सिखाता है, ताकि समस्याओं से छुटकारा पाया जा सके।  

प्रकृति के नियमों का पालन सिखाता है योग

योग हमें प्रकृति के नियमों का पालन सिखाता है। हमें अपनी दिनचर्या बनानी चाहिए- समय से सोना-जागना, खाना-पीना, व्यायाम करना, काम करना, लोगों के लिए समय निकालना, दान करना तय होता है। सूर्योदय से पहले उठ जाना चाहिए और सूर्योस्त होने पर देर रात तक नहीं जागना चाहिए। दिनभर हमारा शरीर जितना भी क्षतिग्रस्त होता है, वो सूर्यास्त के बाद परिग्रहण कर लेता है। लेकिन देर रात तक अगर हम जागे रहेंगे, काम करते रहेंगे तो हम उर्जा प्राप्ति से वंचित रह जाएंगे और कई व्याधियों का शिकार हो जाएंगे।  

रखें ध्यान-

  • योग करते हुए सही मुद्रा और आसन का ध्यान रखना जरूरी है। अगर आपका आसन सही नहीं है, तो इसका गलत असर भी हो सकता है। योग का फायदा तभी होगा, जब तरीका सही होगा। योग का हर आसन हर किसी के लिए फायदेमंद नहीं है। योग माइग्रेन, दिल की बीमारी और अवसाद जैसी कई बीमारियों से लड़ने में कामयाब है। बशर्ते कि उसे तकनीकी ढंग से किया जाए, तभी उसके फायदे हैं।
  • योगाभ्यास करने से पहले अपनी शरीर की स्थिति की जांच जरूर करें क्योंकि कुछ ऐसी बीमारियां होती हैं, योगासन करने से ज्यादा नुकसान होता है। अल्सर, कोलाइटस, हार्निया जैसी बिमारियों में पीछे झुकने वाले आसन नहीं करने चाहिए। इसी तरह स्पाइनल, सर्वाइकल दर्द, स्पोंडेलाइटिस जैसी बीमारियों में आगे झुकने वाले आसन न करें। इसी तरह उच्च रक्तचाप, हृदय रोगों में बहुत जोर लगाकर करने वाले योगासन न करें। सिरदर्द हो तो कठिन आसन न करें। जुकाम, बुखार, दस्त, मासिक धर्म की अवस्था में योगासन बिल्कुल न करें। आर्थराइटिस मरीज जम्पिंग योगासन न करें, कठिन योगासन न कर योगाचार्य की देख-रेख में ही योगासन करें।
  • सिजेरियन ऑपरेशन करा चुकी महिलाएं कम से कम 6 महीने तक योगासन न करें, तो बेहतर है। जिन लोगों को किसी अंग का ट्रांसप्लांट हुआ है, वे एक महीने के बाद डाॅक्टर की देखरेख में योगासन या व्यायाम कर सकते हैं। बाईपास सर्जरी के मरीज खान-पान का ध्यान रखते हुए एक महीने के बाद योगगुरू की देखरेख में ब्रीदिंग प्राणायाम योगाभ्यास शुरू कर सकते हैं।
  • हालांकि योगाभ्यास के लिए दिन में 4 टाइम रखे गए हैं-प्रातःकाल, सायंकाल, रात के खाने से पहले, अर्द्धरात्रि। सूर्योदय या ब्रह्म मुहूर्त का समय सबसे अच्छा माना जाता है क्योंकि इस दौरान पेट काफी हल्का होता है और नींद लेने के बाद शरीर काफी रिलेक्स होता है। शौच आदि के बाद व्यक्ति जब योगा करता है, तो उसे ज्यादा लाभ मिलता है।
  • योगाभ्यास करने के समय ध्यान रखें कि योगाभ्यास करने के आधे-एक घंटे पहले और बाद में कुछ खाएं-पिएं नहीं। योगाभ्यास के दौरान शरीर में उष्मा का स्तर बढ़ जाता है। योगाभ्यास के दौरान पानी पीने से उष्मा के स्तर में तेजी से गिरावट आती है जिससे एलर्जी, सर्दी-जुकाम की समस्या हो सकती है। नहाना हो तो एक घंटे बाद नहाएं।
  • योगाभ्यास जमीन पर सीधा न करके मैट, चटाई या दरी पर ही करें। क्योंकि योगा करते हुए शरीर से उर्जा निकलती है। जमीन पर योगासन करने से पृथ्वी की उर्जा और शरीर की उर्जा से शरीर में असंतुलन होने का खतरा रहता है।
  • योगाभ्यास प्रसन्न मन से करें, तनाव में न करें। फोन को परे रखें, आपस में बातें न करें, एकांत मन से करें।  योग मानसिक तौर पर अधिक जुडा है इसलिए इसे जल्दबाजी में नही करें। पूरी चेतना के साथ योगाभ्यास करने से ही लाभ मिल पाता है।