ओलंपिक खेलों में भागीदारी बढ़ाने का दिवस है 'अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक दिवस': International Olympic Day
International Olympic Day

International Olympic Day: खेलों का महाकुंभ यानी ओलंपिक गेम्स के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति के तत्वाधान में दुनिया भर में 23 जून को अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक दिवस मनाया जाता है। ओलंपिक गेम्स दुनिया की सबसे बड़ी खेल प्रतियोगिता है और इसमें 200 से ज्यादा देश हिस्सा लेते हैं। ओलंपिक खेलों का आयोजन हर 4 साल बाद अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति द्वारा अलग-अलग देशों में किया जाता है। दुनिया भर से हज़ारों एथलीट और खिलाड़ी विभिन्न गतिविधियों और खेल प्रतिस्पधाओं में हिस्सा लेते हैं। ओलंपिक खेल के माध्यम से खिलाड़ियों में सही खेल, एक-दूसरे के लिए आदर भाव और स्पोर्ट्समेन शिप की भावना को बढ़ावा दिया जाता है। 2024 में समर ओलंपिक फ्रांस के शहर पेरिस में आयोजन किया जाएगा।

क्यों मनाया जाता है अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक दिवस

23 जून 1894 के दिन अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति की स्थापना हुई थी। उसी के सम्मान में 23 जून को अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक दिवस (International Olympic Day) के रूप में मनाया जाता है। यह पहली बार 23 जून 1948 में मनाया गया था। उस समय पुर्तगाल, ग्रीस, आस्ट्रिया, कनाडा, ग्रेट ब्रिटेन, स्विटजरलैंड, उरूग्वे, वेनेंजुएला और बेल्जियम ने अपने-अपने देशों में ओलम्पिक खेलों का आयोजन किया था। यह दिन खेल और फिटनेस को समर्पित रहता है। इस दिन दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में कई तरह के खेल और कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं जिसमें हर वर्ग के लोग शामिल होते हैं।

अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक डे को मनाने का श्रेय चेकोस्लोवाकिया आईओसी के सदस्य डॉ जोसेफ ग्रस ने स्टॉकहोम में अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति के 41वें सत्र में प्रस्ताव रखा गया था। जिसमें उन्होंने ओलंपिक के संदेश और मूल उद्देश्य को मानने के लिए कहा गया था। जिसे जनवरी 1948 में आईओसी के 42वें सत्र में स्विट्जरलैंड के सेंट मोरित्ज ने मंजूरी दे दी।

देखा जाए तो अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) की स्थापना पियरे डी कोबर्टिन ने 23 जून 1894 को पेरिस के सरबोन में की थी। इसी स्थापना के उपलक्ष में हर साल 23 जून को अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक डे दुनिया भर में मनाया जाता है। आईओसी वर्तमान में दुनिया की सबसे ताकतवर खेल संस्था है जिसमे 205 देश शामिल हैं।

क्या है उद्देश्य

ओलंपिक दिवस के तीन स्तंभ हैं-आगे बढ़ो, सीखो और मुकाम हासिल करो। अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक दिवस (International Olympic Day) मनाने का उद्देश्य लोगों को ओलंपिक खेलों के प्रति जागरूक करना और अधिक से अधिक लोगों को ओलंपिक खेलों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करना है। यह दिवस खेलकूद की एक्टिविटीज को सेलिब्रेट करने का उत्सव है जिसमें दुनिया भर के लोग लिंग, आयु, सामाजिक-आर्थिक स्थिमि की परवाह किए बिना शामिल होते हैं। राष्ट्रीय ओलंपिक समिति भी लिंग, आयु, सामाजिक, आर्थिक स्थिति आदि की परवाह किए बिना सभी व्यक्तियों की भागीदारी को प्रोत्साहित करती है। लगभग हर देश के एथलीट और खिलाड़ी दौड़, संगीत, प्रदर्शनियों, विभिन्न खेल और शैक्षिक सेमिनार जैसे आयोजनों में भाग लेते हैं।

क्या है थीम

हर साल ओलंपिक दिवस को एक थीम के साथ मनाया जाता है। 2023 की थीम है- लेट्स मूव। इसका उद्देश्य लोगों को किसी न किसी स्पोर्ट्स एक्टिविटी को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना है ताकि वो स्वास्थ्य के लिहाज से फिट और उर्जावान रहें।

कैसे मनाया जाता है

Olympic Day Celebration
International Olympic Day Celebration

अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक डे का उद्देश्य ओलंपिक खेलों की उत्पत्ति और महत्व के बारे में ज्ञान फैलाना है। इस अवसर पर दुनिया भर में कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं जिनमें आम लोग भी शामिल हो सकते हैं-

  • अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक दिवस के अवसर पर olympics.com और विभिन्न सोशल चैनलों पर उपलब्ध 30 मिनट के वर्कआउट में आप भी शामिल हो सकते हैं। जिनमें दुनिया भर के ओलंपिक एथलीट और दुनिया भर के लोग शामिल हो रहे हैं।
  • अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक डे को कई देशों के पाठ्यक्रम में एक उल्लेखनीय अवसर के रूप में के रूप में शामिल किया गया है।
  • कई नेशनल ओलंपिक समितियां अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक दिवस (International Olympic Day) के अवसर पर कई प्रकार के कार्यक्रम का आयोजन करते हैं।
  • कुछ समितियां पेशेवर एथलीटों के साथ बच्चों और किशोरों की मीटिंग भी कराते हैं ताकि वे भी खेलों में बढ़चढ़ कर भाग लें।
  • अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक डे पर दुनिया भर के खिलाड़ी विभिन्न खेल प्रतियोगिताओं और कार्यक्रमों में हिस्सा लेते हैं।

ओलंपिक खेलों का इतिहास

जहां तक ओलंपिक खेलों का सवाल है इनकी शुरूआत प्राचीन काल से मानी जाती है। प्राचीन ओलंपिक खेल 776 ईपू से 394 ईसवी तक चले थे। ये खेल ग्रीक पौराणिक कथा के हिसाब से प्राचीन देवता ज्यूस के सम्मान में किया जाने वाला धार्मिक उत्सव था। माना जाता है कि ओलंपिक नाम ग्रीस में मौजूद 2917 मीटर ऊंचे ओलम्पस पर्वत के आधार पर रखा गया था। लेकिन रोम के तत्कालिक सम्राट थियोडोसियस प्रथम ने इस पर प्रतिबंध लगा दिया था।

ओलंपिक खेलों को दोबारा शुरू करने के उद्देश्य से फ्रांस के पियरे डी कोबर्टिन ने अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति की स्थापना की। 6 अप्रैल 1896 में पहले आधुनिक ओलंपिक खेलों का आयोजन ग्रीस के शहर एथेन्स में हुआ था। इसके बाद हर 4 साल में ओलंपिक खेलों का आयोजन किया जाता है। वर्तमान में ओलंपिक खेल मुख्यतया 4 तरीके के खेले जाते हैं- समर ओलंपिक, विंटर ओलंपिक, पैरा ओलंपिक और यूथ ओलंपिक।

गौरतलब है कि दुनिया के केवल 5 देश ऐसे हैं जिन्होंने हर ओलंपिक खेलो में भाग लिया है- ग्रीस, ग्रेट ब्रिटेन, फ्रांस, स्विट्जरलैंड और ऑस्ट्रेलिया। ओलंपिक खेलों में सबसे ज्यादा 1022 गोल्ड मेडल अमेरिका ने जीते हैं। दूसरे नंबर पर सोवियत यूनियन है जिसने 440 गोल्ड मेडल जीते हैं।

ओलंपिक खेलों से जुड़े 6 मुख्य स्तंभ

International Olympic Day

आधुनिक ओलंपिक खेलों के कुछ महत्वपूर्ण तथ्य इस प्रकार हैं-

  • ओलंपिक के 5 रिंग– ओलंपिक खेलों का सिम्बल आपस में जुड़े हुए 4 रिंग हैं जो 5 प्रमुख महाद्वीपों (एशिया, अमेरिका, आस्ट्रेलिया, यूरोप और अफ्रीका) को दर्शाते हैं। इन रिंग को पीयरे डी कोबर्टिन ने डिजाइन किया था जिन्हें आधुनिक ओलंपिक खेलों का सहसंस्थापक माना जाता है। इन रिंगों की डिजाइन 1912 में तैयार की थी और 1913 में इन्हें स्वीकृत किया गया था। इन रिंगों के अलग-अलग रंग हैं जो इन महाद्वीपों का संकेत देते हैं- यूरोप के लिए नीला, एशिया के लिए पीला, अफ्रीका के लिए काला, आस्ट्रेलिया के लिए हरा और अमेरिका के लिए लाल।
  • ओलंपिक ध्वज– इसे भी आधुनिक खेलों के संस्थापक पियरे डी कोबर्टिन ने बनाया था। सिल्क कपड़े से बने इस ध्वज की पृष्ठभूमि सफेद रंग की है। जिसके मध्य ओलंपिक-सिम्बल यानी 5 रिंग हैं।
  • ओलंपिक शुभंकर– इसका चयन ओलंपिक खेलों का आयोजन करने वाले मेजबान देश या महाद्वीप द्वारा किया जाता है। यह शुभंकर ही इन खेलों की थीम को बताता हैै। जैसे- ब्राजील में हुए रियो ओलंपिक खेलों में शुभंकर का नाम विनिसियस था जो ब्राजील के महान संगीतकार विनिसियस डे मैरिस के प्रति सम्मान का सूचक है।
  • ओलंपिक मशाल- विश्व के खेलों का इतिहास प्राचीन काल से ही रहा है। तब शासकों के सैनिकों के बीच कुश्ती, दौड़, मुक्केबाजी जैसी प्रतिस्पधाएं होती थीं। प्राचीन काल में खेल शुरू होने से पूर्व यूनान के ओलंपिया गांव में ओलंपिक खेलों की मशाल सूर्य की किरणों से जलाई जाती थी। ओलंपिक मशाल जलाने की प्रथा 1928 में नीदरलैंड की राजधानी एम्सटर्डम ओलंपिक खेलों से फिर शुरू की गई थी। मेजबान देश या महाद्वीप में ओलंपिक मशाल को घुमाया जाता है। ओलंपिक मशाल रिले ओपनिंग सेरेमनी वाले स्टेडियम में पहुंचाई जाती है और वहां उस देश की महान हस्ती उस स्टेडियम में मशाल को प्रज्जवलित करता है।
  • ओलंपिक मोटो- सबसे पहले डोमी निकन पुजारी हेनरी डिगोन ने 1881 में एक स्कूल खेल की ओपनिंग सेरेमनी में पहली बार प्रयोग किया था। पीयरे डी कुर्बतिन ने इसे ओलंपिक मोटो के रूप् में अपनाया। यह मोटो 3 लैटिन शब्दों से मिलकर बना है- सिटियस, अल्शियस और फोर्टियस यानी तेज, ऊंचा और मजबूत।
  • ओलंपिक मेडल- प्रतिस्पधाओं में जीते खिलाडियों को 3 तरह के मेडल दिए जाते हैं- गोल्ड, सिल्वर और ब्रांज। कई लोगों का मानना है कि इन पदकों के निर्माण के लिए मूलतः सिल्वर धातु ही इस्तेमाल की जाती है।