इंटरनेशनल डे ऑफ साइन लैंग्वेज

इशारों की भाषा यानी साइन लैंग्वेज बहुत ही अनोखी और खास है। हर साल 23 सितंबर को इंटरनेशनल डे ऑफ साइन लैंग्वेज मनाया जाता है। यह खास दिन सांकेतिक भाषाओं के विकास और संरक्षण के लिए लोगों में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से मनाया जाता है। उद्देश्य है साइन लैंग्वेज का उपयोग करने वालों का समर्थन करना, न कि उन्हें हीन भावना से देखना।

ऐसे हुई इस खास दिन की शुरुआत

2017 में यूनाइटेड नेशन जनरल असेंबली ने हर साल 23 सितंबर को इंटरनेशनल डे ऑफ साइन लैंग्वेज को आधिकारिक रूप से मनाने की घोषणा की।
In 2017, the United Nations General Assembly declared 23 September every year to be officially celebrated as the International Day of Sign Languages.

वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ द डीफ ने इस खास दिन को मनाने की पेशकश की थी। जिसके बाद साल 2017 में यूनाइटेड नेशन जनरल असेंबली ने हर साल 23 सितंबर को इंटरनेशनल डे ऑफ साइन लैंग्वेज को आधिकारिक रूप से मनाने की घोषणा की। इस बार इस स्पेशल दिन की थीम है ‘एक ऐसी दुनिया जहां हर जगह बधिर लोग कहीं भी हस्ताक्षर कर सकते हैं!’

सैकड़ों हैं साइन लैंग्वेज

बधिरों की समस्याओं को सभी समझते हैं, लेकिन उनकी सुविधाओं की ओर अक्सर लोगों का ध्यान नहीं जाता। शायद यही कारण है कि इस दिशा में अभी बहुत काम होना बाकी है। दरअसल, साइन लैंग्वेज सिर्फ हाथों के इशारे ही नहीं होते, इसमें चेहरे के भावों से लेकर हाथों की गति और बॉडी लैंग्वेज भी बहुत महत्वपूर्ण होती है। इसमें अभिव्यक्ति और भाव उतने ही महत्वपूर्ण हैं, जितने बोली में आपके स्वर, लय और लहजा। डब्ल्यूएफडी के अनुसार, दुनियाभर में 70 मिलियन से ज्यादा लोग बधिर हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि दुनियाभर में 300 से ज्यादा साइन लैंग्वेज यूज की जाती हैं। हालांकि अधिकांश लोग इन्हें पूरी तरीके से समझ नहीं पाते हैं।

क्या हर देश की है अपनी अलग साइन लैंग्वेज

साइन लैंग्वेज को लेकर लोगों को अभी भी ज्यादा जानकारी नहीं है।
People still do not know much about sign language.

साइन लैंग्वेज को लेकर लोगों को अभी भी ज्यादा जानकारी नहीं है। बहुत कम लोग जानते हैं कि जैसे अलग-अलग देशों में अलग-अलग भाषाएं होती हैं, ठीक वैसे ही साइन लैंग्वेज भी अलग-अलग होती हैं। इतना ही नहीं जिन देशों में अंग्रेजी बोली जाती है, उनकी साइन लैंग्वेज भी अलग होती है। जैसे अमेरिका और ब्रिटेन दोनों में अंग्रेजी बोली जाती है, लेकिन उनकी साइन लैंग्वेज अलग है। हैरानी की बात तो ये है कि यूनाइटेड किंगडम में करीब डेढ़ लाख लोग ब्रिटिश साइन लैंग्वेज समझते हैं और उपयोग भी करते हैं।

और ऐसे बनती गई नई भाषा

कई साइन लैंग्वेज कई देशों की भाषाओं का मिश्रण है। ऑस्ट्रेलियाई साइन लैंग्वेज को ऑस्लन नाम से जाना जाता है। यह साइन लैंग्वेज ब्रिटिश, ऑस्ट्रेलियाई और न्यूजीलैंड की साइन लैंग्वेज से मिलकर बनाई गई है। वहीं फ्रैंकोसाइन लैंग्वेज में डच, फ्रेंच, फ्लेमिश, फ्रेंच-बेल्जियम और इतालवी साइन लैंग्वेज को शामिल किया गया है। इतना ही नहीं एक इंटरनेशनल साइन लैंग्वेज भी है। इस साइन लैंग्वेज का उपयोग बधिर लोग इंटरनेशनल सम्मेलनों और बैठक में करते हैं।  आपको जानकर हैरानी होगी कि दुनियाभर में सबसे ज्यादा चाइनीज साइन लैंग्वेज उपयोग में ली जाती है। इसे दुनियाभर के करीब 20 मिलियन लोग उपयोग में लेते हैं।