International Tiger Day: कहते हैं जब बाघ जंगल में चलते हैं तो उसकी आहट से ही पूरे वातावरण में सन्नाटा पसर जाता है। उसको देखने मात्र से ही जानवर ही नहीं इंसान भी दहशत में आ जाते हैं। लेकिन क्या आपको पता है दुनिया में ऐसे कई देश है जहां बाघों को किसी आम पालतू जानवर की तरह पाला जाता है। चलिए इंटरनेशनल टाइगर डे पर हम आपको बताते हैं ऐसे ही देशों के बारे में-
इन देशों में आप पाल सकते हैं बाघ

कुछ साल पहले तक कई देशों में बाघों को एक पालतू जानवर के रूप में पालने की अनुमति थी। लेकिन हिंसा के बढ़ते मामलों को देखते हुए और बाघों को शरण देने के लिहाज से इसे बैन कर दिया गया। वर्तमान में मात्र दो ही ऐसे देश हैं, जहां आप बाघ को पालतू जानवर की तरह पाल सकते हैं। इसमें से एक है थाईलैंड और दूसरा है अफ्रीका। इन दोनों ही देशों में आज भी लोग बाघों में पालना अपने स्टेटस मानते हैं। थाईलैंड में तो पर्यटक इन बाघों के साथ फोटो भी खिंचवा सकते हैं। वहां यह टूरिज्म का बड़ा हिस्सा है।
भारत में भी उठी थी मांग

आपको बता दें कि वर्ष 2015 में मध्य प्रदेश में मंत्री रहीं कुसुम मेहडेल ने बाघ पालने की इजाजत की पैरवी की थी। उनके बाघ पालने की बात का उद्देश्य था कि लोग बाघों को नजदीक से जानें और उनकी संख्या बढ़े। इसके लिए कुसुम ने थाईलैंड और अफ्रीकी देशों के उदाहरण भी दिए थे। हालांकि उनकी ये बात नहीं मानी गई, उल्टा देश में बहस छिड़ गई, जिसने नए विवाद को जन्म दे दिया। लोगों के अपने-अपने तर्क थे। बाद में मामला ठंडा पड़ गया।
दुबई में शेखों के वीडियो वायरल
आपने अक्सर सोशल मीडिया पर दुबई के शेखों के साथ बाघ, शेर व चीते जैसे जानवरों के वीडियो देखे होंगे। लेकिन अब वहां भी सख्ती हो गई है। यूएई ने भी नियमों को बदला है और अब ऐसे जानवरों को पालने पर बैन लगा दिया है। पहले शेख खतरनाक जानवरों को पालने को स्टेटस सिंबल समझते थे। इसी तरह अमेरिका में ऐसे जानवर नहीं पाले जा सकते। भारत में बाघ ही नहीं लगभग सभी लुप्तप्राय जानवरों व पक्षियों को पालने पर बैन है। यदि भारत में ऐसे जानवर या पक्षी पालने की हिम्मत की, तो जेल जाना तय है।
इसलिए मनाया जाता है इंटरनेशनल टाइगर डे

सबसे बड़ी बिल्ली यानी बाघों के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 29 जुलाई को इंटरनेशनल टाइगर डे मनाया जाता है। इस साल यह खास दिन बिना किसी थीम के मनाया जा रहा है। बाघ जानवरों में जहां सबसे खूबसूरत लगता है, वहीं सबसे अधिक खतरनाक भी है। यह दिन सभी को बाघों और उनके प्राकृतिक आवासों की रक्षा करने के लिए प्रेरित करता है। इंटरनेशनल टाइगर डे साल 2010 से मनाया जा रहा है। रूस में 13 देशों ने सेंट पीटर्सबर्ग घोषणा पर हस्ताक्षर किए थे और इस दिवस को मनाने की घोषणा की थी। ये वे देश थे जो टाइगर के संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध थे। इन देशों की सरकारों ने वर्ष 2022 तक बाघों और उनके आवासों के संरक्षण को प्रोत्साहित करने का संकल्प लिया था। बाघ पिछली शताब्दी की तुलना में इस शताब्दी में मात्र 3 फीसदी ही बचे हैं।
