Compassion Fatigue Treatment
Compassion Fatigue Treatment

Overview:

सोशल मीडिया के इस दौर में एक ओर जहां लोग अपनी खुशियों की तस्वीरें पोस्ट करते नहीं थकते हैं, वहीं दूसरी ओर कई लोग ऐसे भी हैं जो इन फोटोज को देखकर यही सोचते रहते हैं कि सब कितने खुश हैं और वे कितने दुखी।

FOMO in Trading: ‘सबकी​ जिंदगी कितनी मजेदार है और मेरी परेशानियां ही खत्म नहीं होतीं।’,’सब कितना घूमते हैं, एंजॉय करते हैं और मैं सारे टाइम काम करती रहती हूं।’,’जिंदगी में सब कितने आगे निकल गए हैं, मैं वहीं की वहीं खड़ा हूं।’, ऐसी कई बातें आमतौर पर लोगों के जहन में आती रहती हैं। सोशल मीडिया के इस दौर में एक ओर जहां लोग अपनी खुशियों की तस्वीरें पोस्ट करते नहीं थकते हैं, वहीं दूसरी ओर कई लोग ऐसे भी हैं जो इन फोटोज को देखकर यही सोचते रहते हैं कि सब कितने खुश हैं और वे कितने दुखी। अगर आपको भी ऐसा ही महसूस होता है तो आप फोमो (FOMO) यानी फियर ऑफ मिसिंग आउट का शिकार हो सकते हैं। फोमो के ढेर सारे नुकसान हैं, जो आपकी जिंदगी को मुश्किल बना सकते हैं। इसलिए इससे छुटकारा पाने के लिए आपको सही समय पर सही कदम जरूर उठा लेने चाहिए।

जानिए क्या है फोमो

फोमो को आप डिजिटल युग की देन बोल सकते हैं।
You can call FOMO a gift of the digital age.

फोमो को आप डिजिटल युग की देन बोल सकते हैं। इसे कहते हैं फियर ऑफ मिसिंग आउट यानी दूसरों से पीछे छूट जाने का डर। इस सोच का सीधा असर आपकी मानसिक सेहत पर पड़ता है। आगे चलकर ये आपकी खुशियों, मूड, हार्मोन आदि को भी प्रभावित कर सकता है, जिसका असर रिश्तों पर पड़ता है। फोमो का सबसे बड़ा कारण इंटरनेट और सोशल मीडिया है। ऐसे लोग अपने आपको सोशल मीडिया से दूर नहीं कर पाते हैं। और दूसरों से हर समय तुलना करते रहते हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार करीब 82% भारतीय इंटरनेट के कारण ही फोमो महसूस करते हैं। उन्हें लगता है कि उनकी जिंदगी में सिर्फ परेशानियां हैं।

इसलिए होता है फोमो

इंसान हमेशा से ही एक सामाजिक प्राणी रहा है। वह समूह में रहना पसंद करता है। लेकिन जब उसे लगता है कि समाज के सभी लोग अच्छी लाइफस्टाइल जी रहे हैं और वह इसमें अनफिट है तो वो खुद को समाज से बाहर समझने लगता है इससे तनाव बढ़ने लगता है। उसे लगता है कि समाज में उसकी जगह नहीं है। यही उसके दुख का कारण बन जाता है।

हो सकते हैं इन दुष्प्रभावों का शिकार

फोमो के कारण आप दूसरों से अपनी तुलना करने लगते हैं, जिससे टेंशन, डिप्रेशन और एंग्जायटी बढ़ने लगती है। लोगों का आत्म सम्मान प्रभावित हो सकता है। कभी-कभी आत्मविश्वास की भी कमी होने लगती है। वे महसूस करने लगते हैं कि किसी को उनकी जरूरत ही नहीं है। कई बार युवा अपने आप को दूसरों से आगे दिखाने की अनकही दौड़ में शामिल हो जाते हैं। ऐसे में वे अनावश्यक काम, नशा आदि भी करने लगते हैं। ये लोग हर समय सोशल मीडिया के जरिए दूसरों की जिंदगी में क्या हो रहा यही देखने की कोशिश करते रहते हैं। इसका असर उनके बाकी काम के साथ ही नींद पर भी होता है। इसके कारण लक्ष्य से भटकने की आशंका बढ़ जाती है।

बहुत आसान है फोमो से बाहर निकलना

फोमो जैसी मानसिक स्थिति से बाहर आना बहुत ही आसान काम है। आप इसके लिए खुद से प्यार करना सीखें। आप न दूसरों को दिखाने के लिए और न ही दूसरों को इंप्रेस करने के लिए कुछ करें। बल्कि वो करें जिससे आप खुद सच में खुश होते हैं। माइंडफुलनेस के साथ जिएं। आपके पास जो है, उसमें खुशी महसूस करें। नियमित रूप से एक्सरसाइज, योग और मेडिटेशन करें। सबसे जरूरी है कि आप अपने सोशल मीडिया टाइम को कम करें। पर्याप्त और अच्छी नींद लें। मान लीजिए फोमो एक छलावा है, इससे प्रभावित होने की आपको कोई जरूरत नहीं है।

मैं अंकिता शर्मा। मुझे मीडिया के तीनों माध्यम प्रिंट, डिजिटल और टीवी का करीब 18 साल का लंबा अनुभव है। मैंने राजस्थान के प्रतिष्ठित पत्रकारिता संस्थानों के साथ काम किया है। इसी के साथ मैं कई प्रतियोगी परीक्षाओं की किताबों की एडिटर भी...