Diwali Traditions
Diwali Traditions

Diwali Rituals: दिवाली न सिर्फ भारत में बल्कि दुनियाभर के अन्य देशों में भी बड़ी ही धूमधाम से मनाई जाती है। इस दिन रंगबिरंगी लाइटों और दीयों से सजे घर और इमारतों की खूबसूरती देखते ही बनती है। भले ही विदेशों में भी लोग दिवाली का त्यौहार मनाते है लेकिन भारत में इसको लेकर कुछ अलग-अलग परम्पराएं मौजूद हैं, जो बेहद अनोखी होती हैं। लक्ष्मी-गणेश पूजन और मिठाइयां बांटने के अलावा जो परम्पराएं निभाई जाती हैं हम ऐसी तीन परपराओं के बारे में बताने जा रहे हैं।

बात जब दिवाली कि हो तो हम सभी के मन में लक्ष्मी-गणेश पूजन, दीए जलाना, नए-नए कपड़े, ढेर सारी शॉपिंग, गिफ्ट देना और लेना, मिठाई बांटना आदि जैसे ख्याल आते हैं। लेकिन इन चीजों से हटकर भी कुछ पुरानी परम्परों को निभाया जाता है। इन परम्परों में है दिवाली की रात कच्चे दीए में काजल बनाकर लगाना, सूप पीटना और सबसे अनोखी परम्परा जुआ खेलना। आखिर क्यों इस तरह की रस्मों को निभाया जाता है, आइए जानते हैं-

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काजल लगाना

मान्यता के अनुसार, पुराने समय में लक्ष्मी-गणेश पूजन के बाद कच्चे दीए में काजल बनाया जाता है। घर की महिलाएं इस काजल को बनाकर परिवार के सदियों की आंखों में लगाती हैं। काजल बनाने और लगाने के पीछे की वजह है कि ऐसा करने से घर में बुरी शक्तियों का प्रवेश नहीं होता और न ही घर के सदस्यों को किसी की बुरी नजर लगती है। इतना ही नहीं इस काजल को घर की तिजोरी, या फिर धन रखने वाली जगह, रसोई घर में भी लगाने की परंपरा है। ऐसा करने से घर में धन और अन्न की कमी नहीं होती।

सूप पीटना

whipping soup
Diwali Rituals-whipping soup

दिवाली के अगले दिन की प्रभात बेला में घर की मुख्य महिला सूप पीटने की परंपरा निभाती है। महिला सुबह उठकर सूप पीटते हुए घर के मुख्य दरवाजे के बाहर तक जाती है और सूप को घर से दूर जाकर फेंक देती है, उसके बाद में घर में आकर कहती है-इस घर से दरिद्रता चली गयी है, हे मां लक्ष्मी अब आप यहां वास कर सकती है। मान्यता है कि ऐसा करने पर घर में लक्ष्मी का वास होता है और दरिद्रता आपके घर से बाहर हो जाती है।

जुआ खेलना

ये परंपरा सबसे अनोखी है, जिसमें दिवाली की रात घर के सदस्य जुआ खेलते हैं। पौराणिक कथा के अनुसार, मां पार्वती ने भगवान शिव के साथ पासा खेला था, जिसके बाद उन्होंने घोषणा की कि जो भी दिवाली कि रात को जुआ खेलेगा उसका आगामी वर्ष सुख-समृद्धि से पूर्ण होगा। इसके साथ ही दिवाली की रात जुआ खेलना भाग्यशाली माना जाता है। जुआ खेलने की इस परंपरा को लेकर एक सामाजिक कहावत भी बहुत प्रचलित है, कहते हैं जो दिवाली की रात जुआ नहीं खेलता वे अगले जन्म में गधा बनता है।

वर्तमान में गृहलक्ष्मी पत्रिका में सब एडिटर और एंकर पत्रकारिता में 7 वर्ष का अनुभव. करियर की शुरुआत पंजाब केसरी दैनिक अखबार में इंटर्न के तौर पर की. पंजाब केसरी की न्यूज़ वेबसाइट में बतौर न्यूज़ राइटर 5 सालों तक काम किया. किताबों की शौक़ीन...