Karnataka: कर्नाटक एक बेहद ही खूबसूरत राज्य है, जहां पर लोग देश के कई अन्य राज्यों से आना व घूमना पसंद करते हैं। यूं तो कर्नाटक में फूड्स से लेकर घूमने की कई प्लेसेस मौजूद हैं। लेकिन अगर आप एक आस्तिक व्यक्ति हैं और कर्नाटक में मन की शांति के लिए किसी बेहतरीन जगह की तलाश में हैं तो ऐसे में आप यहां पर स्थित गणेश मंदिरों के दर्शन कर सकते हैं।
कर्नाटक राज्य में भगवान गणेश के कई मंदिर स्थित हैं और ऐसा माना जाता है कि इन मंदिरों के दर्शन करने मात्र से ही सिद्धिविनायक भक्तों के सभी कष्टों को हर लेते हैं। इतना ही नहीं, इन मंदिरों की कलाकृति भी बस देखते ही बनती है। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको कर्नाटक में स्थित कुछ ऐसे ही गणेश मंदिरों के बारे में बता रहे हैं, जिन्हें आपको अपनी ट्रेवल बकिट लिस्ट में अवश्य शामिल करना चाहिए-
शरवु महागणपति मंदिर, कर्नाटक

शरवु महागणपति मंदिर कर्नाटक के मैंगलोर शहर में स्थित सबसे प्रसिद्ध पर्यटक आकर्षणों में से एक है। यह मंदिर भारत के दक्षिणी भाग के सबसे लोकप्रिय मंदिरों में से एक के रूप में प्रशंसित है। किंवदंती कहती है कि इसे राजा वीरा नरसिम्हा बंगराजा ने बनवाया था। “शरवु“ नाम “शरा“ से लिया गया है जिसका अर्थ है तीर। लगभग आठ शताब्दी पहले, “स्थलपुराण“ या स्थानीय पौराणिक कथाओं में दर्शाया गया है, एक बहुत शक्तिशाली राजा, तुलुवा क्षेत्र के महाराजा वीरबाहु ने एक गाय को एक तीर से गलती से मार डाला। वह वास्तव में उस बाघ को मारना चाहते थे जो गाय के पास खड़ा था। बाद में अपने इस पाप को मिटाने के लिए उन्होंने “शिव लिंग“ की स्थापना की। इस शिवलिंग की महाराजा ने शरबेश्वर के रूप में पूजा की है। बाद में मंदिर की स्थापना की गई। इस मंदिर में भगवान गणेश को स्वयंभू अर्थात् स्व-प्रकट देवता कहा जाता है। श्री गणेश चतुर्थी, और “रथोत्सव“ जैसे विशेष अवसरों पर बहुत बड़ी संख्या में भक्तगण भगवान शरबेश्वर भगवान महागणपति के पवित्र दर्शन करने के लिए आते हैं। वैसे यहां पर भगवान गणेश के अलावा श्री श्रबेश्वर और नाग ब्रह्मा की भी पूजा होती है।
अनेगुड्डे विनायक मंदिर, कर्नाटक

अगर आप कर्नाटक घूमने गए हैं और आपने अनेगुड्डे विनायक मंदिर के दर्शन नहीं किए तो समझ लीजिए कि आपकी यात्रा अधूरी ही रह गई। यह कर्नाटक के मंगलौर में स्थित भगवान गणेश का एक बेहद ही अनूठा मंदिर है। इस मंदिर का नाम दो शब्दों अने और गुड्डी से बना है। जहां अने का अर्थ है हाथी, वहीं गुड्डी का अर्थ है पहाड़िया। इस प्रकार मंदिर के नाम का अर्थ हुआ हाथी नुमा पहाड़ी। यह मंदिर कई मायनों में खास है। ऐसी मान्यता है कि यह क्षेत्र जहां पर मंदिर स्थित स्वयं ऋषि परशुराम द्वारा बनाया गया था। वहीं, मंदिर में भगवान गणेश की मूर्ति और आसन भी बेहद विशिष्ट है। गणेश जी की मुख्य मूर्ति को चांदी से कवर किया गया है और यह बेहद ही भव्य है। वहीं इसका आसन भी अपने आप में अनोखा है, क्योंकि यह खड़ा हुआ आसन है। इतना ही नहीं, यहां पर तोलादान की व्यवस्था भी है। प्राचीन समय में तोलादान की प्रथा थी, जब राजा-महाराजा अपने भार के अनुसार सोना दान किया करते थे। आप अपने वजन के बराबर किसी भी चीज का दान यहां पर कर सकते हैं।
हतियनगडी-सिद्धि विनायक मंदिर, कर्नाटक

जब कर्नाटक के गणेश मंदिर की बात होती है तो उसमें उडुपी के हतियनगडी-सिद्धि विनायक मंदिर का नाम अवश्य लिया जाता है। यह एक प्राचीन मंदिर है, जिसका निर्माण 8वीं सदी में हुआ था। यह ऐतिहासिक मंदिर वरही नदी के पास है और यहां पर गणेश भक्त दूर-दूर से दर्शन करने के लिए आते हैं। इस मंदिर में भगवान गणेश की लगभग 2.5 फुट ऊंची मूर्ति स्थापित है, जिसकी सुंदरता बस देखते ही बनती है। भारत का यह गणेश मंदिर इसलिए भी खास है, क्योंकि यह एक मात्र ऐसा मंदिर है जहां भगवान विनायक की जटाएं यानी बाल देखने को मिलती है। विभिन्न अवसरों पर यहां भगवान का विशेष पूजन किया जाता है और भक्तों का हुजूम उमड़ता है।
पंचमुखी गणेश मंदिर, कर्नाटक

कर्नाटक के प्रसिद्ध गणेश मंदिरों में से एक है पंचमुखी गणेश मंदिर। यह मंदिर कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरू में स्थित है। यहां पर भगवान गणेश पंचमुखी अवतार में विराजमान है। इसलिए इस मंदिर को पंचमुखी गणेश मंदिर कहा जाता है। यह मंदिर देश के अन्य गणेश मंदिरों से काफी अलग है। सबसे पहले तो यहां पर भगवान गणेश के पंचमुखी अवतार के दर्शन होते हैं। जिसे देखना खुद में एक अनूठा अनुभव है। इसके अलावा, इस मंदिर की एक विशिष्टता यह भी है कि यहां भगवान का वाहन मूषक नहीं बल्कि शेर है। इस प्रकार यहां पर भगवान गणेश के साथ-साथ उनकी सिंह की सवारी की पूजा भी की जाती है।
बता दें कि मंदिर का गोपुरम 30 फीट ऊंचा है। मंदिर का निर्माण श्रीचक्र कमेटी द्वारा 2007 में किया गया था। मंदिर की खूबसूरती बस देखते ही बनती है। मंदिर के गर्भगृह में भगवान गणेश के 32 रूपों के दर्शन चित्रों के माध्यम से किए जा सकते हैं। इतना ही नहीं, यहां भगवान गणपति की पूजा, प्राचीन रीति रिवाजों और कर्म-कांड के अनुसार की जाती है। इतना ही नहीं, मंदिर में एक जलकुंड भी है। जहां पर लोग सिक्का डालते हैं। ऐसा माना जाता है कि जलकुंड में सिक्का डालने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।