पूरे भारत देश के कोने-कोने में शिव भक्तों की कमी नहीं है। अपने आराध्य की पूजा-अर्चना करने के लिए वह Temple की स्थापना भी करते हैं। भारत का शायद ही कोई ऐसा राज्य हो, जहां पर शिव मंदिर ना हो। इन मंदिरों में ऐसे कई मंदिर भी है, जिनका ना केवल आध्यात्मिक बल्कि ऐतिहासिक महत्व भी है। इन्हीं मंदिरों में से एक है होयसलेश्वर मंदिर।
कर्नाटक राज्य में स्थित होयसलेश्वर मंदिर को हलेबिदु मंदिर के रूप में भी जाना जाता है। यह शिव को समर्पित 12 वीं शताब्दी का एक हिंदू मंदिर है। यह भारत के कर्नाटक राज्य के एक शहर और होयसला साम्राज्य की पूर्व राजधानी हलेबिदु का सबसे बड़ा स्मारक है। यह हसन शहर से 30 किलोमीटर और बेंगलुरु से लगभग 210 किलोमीटर दूर है। इसका निर्माण 1121 ईस्वी के आसपास शुरू हुआ और 1160 ई. में पूरा हुआ। जिसके कारण इस मंदिर का अपना एक ऐतिहासिक महत्व भी है।
कहां है होयसलेश्वर मंदिर?

होयसलेश्वर मंदिर हलेबिदु में है, जिसे हलेबीडु, हलेबिड, दोरासमुद्र भी कहा जाता है। हलेबिदु भारत के कर्नाटक राज्य के हासन ज़िले में स्थित एक नगर है। यह हसन के उत्तर-पश्चिम में लगभग 30 किलोमीटर दूर है। हलेबिदु के पास कोई नजदीकी हवाई अड्डा नहीं है, और बेंगलुरू के पश्चिम में यह लगभग 210 किलोमीटर दूर है। एनएच 75 राजमार्ग के साथ लगभग 4 घंटे की ड्राइव तक पहुंचा जा सकता है।
इसलिए बनाया गया था यह मंदिर

इस मंदिर का निर्माण राजा विष्णुवर्धन होयसालेश्वर द्वारा करवाया गया था। उनके नाम पर ही इस मंदिर का नाम पड़ा। मंदिर के निर्माण के लिए शिव भक्तों ने बड़ी मात्रा में योगदान किया था। इस मंदिर के बनने के पीछे की कहानी बेहद दिलचस्प है। इसे चेन्नाकेशव मंदिर के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए बनाया गया था जो एक वैष्णव मंदिर के रूप में निर्माणाधीन था। होयसलेश्वर मंदिर तालाबों, मंडपों और झीलों से घिरा हुआ है। यह होयसल काल की मूर्तियों और वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है। इस मंदिर में जाने का सबसे अच्छा समय फरवरी में शिवरात्रि का त्योहार है।
कुछ ऐसा है मंदिर

होयसलेश्वर मंदिर में एक शैववाद परंपरा स्मारक है, लेकिन यहां पर जैन धर्म से जुड़े भी कई चित्र दिखाई देते हैं। होयसालेश्वर मंदिर एक जुड़वा मंदिर है जो होयसलेश्वर और संतलेश्वर शिव लिंगों को समर्पित है। इसके बाहर दो नंदी मंदिर हैं, जहां प्रत्येक बैठे नंदी का मुख अंदर के शिव लिंग की ओर है। मंदिर में हिंदू सूर्य देवता सूर्य के लिए एक छोटा गर्भगृह शामिल है। मंदिर का मुख पूर्व की ओर है। मुख्य मंदिर और नंदी मंदिर दोनों एक वर्ग योजना पर आधारित हैं। मंदिर की कलाकृति 12वीं शताब्दी के दक्षिण भारत में जीवन और संस्कृति को जीवंत करती है।
हालांकि, होयसलेश्वर मंदिर में कलाकृति क्षतिग्रस्त है लेकिन काफी हद तक बरकरार है। मंदिर के कुछ किलोमीटर के भीतर होयसल वास्तुकला के कई खंडहर हैं। यह होयसला द्वारा निर्मित सबसे बड़ा मंदिर है जो दक्षिण भारत में हिंदू भगवान शिव को समर्पित है।
