Sawan 2024: सावन का पवित्र महीना भगवान शिव के भक्तों के लिए अत्यंत विशेष होता है। भक्ति, आध्यात्मिकता और उत्सव का यह महीना भगवान शिव की कृपा पाने का स्वर्णिम अवसर प्रदान करता है। सावन में धरती हरी-भरी हो जाती है, वातावरण में सुगंध फैल जाती है, और भक्तगण भगवान शिव की पूजा-अर्चना में लीन हो जाते हैं। सावन सोमवार का व्रत रखना, मंगला गौरी की पूजा करना, शिवरात्रि का पर्व मनाना, और झूला उत्सव में भाग लेना इस महीने की प्रमुख विशेषताएं हैं।
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लेकिन क्या आप जानते हैं कि सावन में कुछ ऐसे भी मंदिर हैं जिनके दर्शन करने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है? आइए, इस पावन अवसर पर हम आपको भारत के 5 ऐसे चमत्कारी और आलोकिक शिव मंदिरों के बारे में बताते हैं जहां आप सावन में जाकर भगवान शिव के दर्शन कर सकते हैं।
इन 5 मनमोहक शिव मंदिरों में पाएं दिव्य आशीर्वाद
1) भोजपुर शिव मंदिर
भोपाल से 32 किलोमीटर दूर, बेतवा नदी के तट पर स्थित भोजपुर शिव मंदिर अपनी अधूरी भव्यता के लिए प्रसिद्ध है। 11वीं शताब्दी में निर्मित, यह मंदिर परमार वंश के राजाओं की भव्य योजना का अधूरा अवशेष है। मंदिर का विशाल शिवलिंग, जो 40 फीट ऊँचा और 21.5 फीट चौड़ा है, भारत के सबसे बड़े शिवलिंगों में से एक है। अधूरे निर्माण के बावजूद, मंदिर की भव्यता और आध्यात्मिकता श्रद्धालुओं को आकर्षित करती है। यहां के जलाभिषेक की अनोखी विधि दर्शनीय है। मंदिर के ऊपरी भाग से बहती एक विशाल नहर शिवलिंग पर जल चढ़ाती है, मानो भगवान शिव का अभिषेक करने का एक दिव्य मार्ग हो।
सावन के महीने में, भक्तों की भारी भीड़ दर्शन के लिए उमड़ती है। भगवान शिव का आशीर्वाद पाने और अधूरे मंदिर की भव्यता का अनुभव करने के लिए यह एक अद्भुत तीर्थस्थल है।
2) कोटिलिंगेश्वर मंदिर
कर्नाटक राज्य के कोलार जिले में स्थित कोटिलिंगेश्वर मंदिर, भगवान शिव के अनुयायियों के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है। यह मंदिर इस बात के लिए प्रसिद्ध है कि यहां एशिया की सबसे ऊंची और सबसे बड़ी शिवलिंग प्रतिमा विराजमान है। यह भव्य शिवलिंग 151 फीट की ऊंचाई को छूता है और इसकी दिव्यता दूर से ही श्रद्धालुओं को अपनी ओर खींच लेती है। सावन का महीना आते ही कोटिलिंगेश्वर मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बन जाता है। दूर-दूर से भक्त भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए यहां आते हैं। यह स्थान कावड़ यात्रा के भी प्रसिद्ध केंद्रों में से एक है, जहां श्रद्धालु पवित्र जल लेकर भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं।
3) कैलाशनाथ मंदिर
तमिलनाडु के कांचीपुरम शहर में स्थित कैलाशनाथ मंदिर, भगवान शिव के भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल और दक्षिण भारत के सबसे पुराने और सबसे महत्वपूर्ण शिव मंदिरों में से एक है। यह मंदिर 7वीं शताब्दी में पल्लव राजा नरसिंहवर्मन द्वितीय द्वारा बनवाया गया था और अपनी अद्भुत वास्तुकला, भव्य मूर्तिकला और धार्मिक महत्व के लिए जाना जाता है। मंदिर के गर्भगृह में, भक्तों को काला पत्थर से निर्मित भगवान शिव की ओलौलिक मूर्ति के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त होता है। यह मूर्ति भगवान शिव की शांति और शक्ति का प्रतीक है। मंदिर की दीवारों और स्तंभों पर हिंदू देवी-देवताओं और पौराणिक कथाओं से जुड़ी अनगिनत मूर्तियां उकेरी गई हैं। ये मूर्तियां मानो पत्थर पर बनी कविताएं हैं, जो भक्तों को आध्यात्मिक जगत की यात्रा कराती हैं।
4) केदारेश्वर मंदिर
कर्नाटक राज्य के शिमोगा शहर में स्थित केदारेश्वर मंदिर, अपनी अनोखी वास्तुकला और धार्मिक महत्व के कारण श्रद्धालुओं को अपनी ओर खींचता है। यह मंदिर त्रिकुटा शैली में निर्मित एक अद्भुत कलाकृति है, जिसमें तीन अलग-अलग मंदिर एक साथ जुड़े हुए हैं, मानो पवित्र त्रिमूर्ति – ब्रह्मा, विष्णु और महेश का साक्षात् स्वरूप हों। केदारेश्वर मंदिर कर्नाटक के सबसे महत्वपूर्ण शिव मंदिरों में से एक है। यहां साल भर भक्तों का तांता लगा रहता है, लेकिन खासकर सावन और महाशिवरात्रि के पवित्र पर्वों पर मंदिर में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ता है। भक्त दर्शन, पूजा और अभिषेक करने के लिए दूर-दूर से आते हैं। माना जाता है कि इस मंदिर में दर्शन करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
5) तारकेश्वर मंदिर
पश्चिम बंगाल के हुगली जिले में स्थित तारकेश्वर मंदिर, भगवान शिव के भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। यह लगभग 300 वर्ष पुराना मंदिर अपनी भव्य वास्तुकला, धार्मिक महत्व और आध्यात्मिक शांति प्रदान करने वाले वातावरण के लिए जाना जाता है। तारकेश्वर मंदिर का मुख्य आकर्षण स्वयंभू शिवलिंग है। माना जाता है कि यह शिवलिंग स्वयं प्रकट हुआ था और भगवान शिव का पवित्र प्रतीक है। मंदिर अट्चला शैली में निर्मित है, जो बंगाल की हिंदू मंदिर वास्तुकला की एक विशिष्ट शैली है। यह मंदिर, पश्चिम बंगाल के सबसे महत्वपूर्ण शिव मंदिरों में से एक है। सावन के पवित्र महीने में यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। श्रद्धालु दर्शन, पूजा और विशेष रूप से जलाभिषेक करने के लिए दूर-दूर से आते हैं। मान्यता है कि सावन के दौरान यहां शिवलिंग पर जल चढ़ाने से अखंड सुख की प्राप्ति होती है। साथ ही, मंदिर को मोक्ष की प्राप्ति का द्वार भी माना जाता है।
