Sawan 2024: मानसून की रिमझिम फुहारों के साथ आता है सावन का पवित्र महीना। हिंदू धर्म में सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित एक विशेष पर्व है। इस महीने में धरती हरी-भरी चादर ओढ़ लेती है और चारों तरफ प्रकृति का अद्भुत सौंदर्य देखने को मिलता है।
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सावन में कहां विराजते हैं शिव
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सावन का पवित्र महीना भगवान शिव को समर्पित होता है। इस दौरान भगवान शिव अपने ससुराल हरिद्वार के कनखल में वास करते हैं और यहीं से 6 महीने तक सृष्टि का संचालन करते हैं। हिमालय की शीतल वायुओं और गंगा की पवित्र धारा के संगम पर स्थित हरिद्वार, न सिर्फ एक प्राचीन तीर्थस्थल है बल्कि भगवान शिव के अनन्य भक्तों के लिए भी स्वर्ग के समान है। धर्म ग्रंथों के अनुसार श्रावण का पवित्र महीना भगवान शिव को समर्पित होता है। इस दौरान भगवान शिव कैलाश पर्वत को छोड़ अपनी ससुराल हरिद्वार के कनखल में विराजते हैं और यहीं से छह महीने तक सृष्टि का संचालन करते हैं।
सावन में भगवान शिव अत्यंत प्रसन्न रहते हैं
मान्यता है कि सावन के महीने में भगवान शिव अत्यंत प्रसन्न रहते हैं और उनकी कृपा पाने का यह सबसे उपयुक्त समय होता है। उनके भक्तों के लिए यह अवधि अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है क्योंकि कनखल में उनकी पूजा करने से मनोवांछित फल प्राप्ति की संभावना बढ़ जाती है। सावन का पवित्र महीना भगवान शिव के भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है। इस दौरान, देशभर के मंदिरों में भव्य पूजा-अर्चना का आयोजन होता है और श्रद्धालु भगवान शिव की भक्ति में लीन हो जाते हैं।
भक्त भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए व्रत, पूजा-अर्चना, मंत्र जाप आदि करते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सावन में भगवान शिव की पूजा करने से अकाल मृत्यु का भय दूर होता है और मनोवांछित फल प्राप्त होते हैं। हरिद्वार, भगवान शिव के निवास स्थान कैलाश पर्वत का प्रवेश द्वार माना जाता है। यहाँ अनेक प्राचीन सिद्धपीठ और मंदिर हैं जो भगवान शिव से जुड़े हुए हैं। इनमें से एक प्रमुख मंदिर है, कनखल में स्थित दक्षेश्वर महादेव मंदिर।
