भारत के दक्षिणी सिरे के प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों की बात करें तो शुरुआती नामों में कन्याकुमारी का नाम ही आता है। ये एक ऐसा तीर्थ स्थान है जहां घूमने की भी कई जगह हैं जैसे तीन समुद्रों का संगम, मंदिर और लाइटहाउस। मगर इस जगह की अपनी धार्मिक अहमियत भी है। भगवान शिव और पार्वती से जुड़ी इस जगह को कई पौराणिक कथाओं से जोड़ा जाता है और ये कथाएं भक्तों का धार्मिक विश्वास भी खूब बढ़ाती हैं। जैसे इस जगह को कन्याकुमारी ही क्यों कहते हैं? शिव जी का इस जगह से रिश्ता क्या है? क्या ये कथाएं इतनी रोचक हैं कि एक बार सुनो तो भगवान की महिमा से दो-चार होने का मौका मिल जाता है? ऐसे कई और सवालों के जवाब कन्याकुमारी जाकर मिल सकते हैं। लेकिन इससे पहले ये सारे जवाब आपको यहां भी मिल सकते हैं। चलिए जानें-
भगवान की तपस्या करने वाला राक्षस-
बानासुरन नाम का एक राक्षस हुआ करता था, इसके बारे में शिव पुराण में भी बताया गया है। इसमें बताया गया है कि बानासुरन शिव जी का बहुत बड़ा भक्त था। अपनी कड़ी तपस्या के बाद उसे एक ऐसा वरदान मिला था, जिसके साथ उसे कोई भी कभी भी मार नहीं सकता था। यही वजह रही कि जब उसने आतंक मचाना शुरू किया तो उसे रोक पाना मुश्किल हो गया था। 
कुंवारी कन्या और आदि शक्ति-
इस राक्षस की मौत सिर्फ एक ही तरह से हो सकती थी। उसकी मौत का कारण सिर्फ कुंवारी कन्या ही बन सकती थीं। इसी वजह से आदि शक्ति के एक अंश को पुत्री का जन्म दिया गया। इस पुत्री का जन्म एक ऐसे राजा के घर पर हुआ, जिसके 8 पुत्र के बाद सिर्फ यही पुत्री थी। इसका नाम उन्होंने कन्या रखा था। 
कन्या का प्रेम शिव-
आदि शक्ति का इस अंश कन्या को बाद में शिव भगवान से प्रेम हो गया था। उसने कठोर तपस्या की तो शिव जी ने खुश होकर शादी का वादा किया। वो बारात लेकर भी निकले। विवाह का मुहूर्त सुबह का था। बारात रात में ही निकली ताकि सही समय पर वो वहां पहुंच जाएं। लेकिन तभी नारद जी को कन्या के बानसुरन का वध करने की बात पता चली तो उन्होंने देवताओं के साथ मिलकर शादी रोकने की योजना बनाई। उन लोगों ने आधी रात को ही मुर्गे की आवाज में बांग दे दी। शिव जी को लगा सही मुहूर्त में वो नहीं पहुंच पाए तो बारात को वापस ले गए। 
 
युद्ध में हार- 
कन्या बहुत सुंदर थीं। इस बात के बारे में बानासुरन को पता चला तो उसने कन्या से शादी करना चाही लेकिन कन्या के दिल में तो कुछ और ही था। उसने एक शर्त रखी कि अगर वो दोनों युद्ध करेंगे। आगे वो हार गई तो उससे शादी कर लेगी। पर ऐसा नहीं हुआ वो जीत गई और बानासुरन का वध हो गया। कन्या इसके बाद कुंवारी ही रहीं। यही वजह रही कि इस दक्षिणी छोर से नाता रखने वाली कन्या के इस स्थान का नाम कन्याकुमारी रहा। 
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