Mahashivratri 2023

महाशिवरात्रि पर शिव मंदिर में करें दर्शन

आइए आज देश में स्थित शिव के दस सबसे प्रसिद्ध मंदिरों के बारे जानते हैं। यह वह मंदिर हैं जो देश ही नहीं बल्कि विदेशों तक में प्रसिद्ध हैं।

Mahashivratri 2023: ब्रह्मा, विष्णु और महेश को त्रिदेव के नाम से जाना जाता है। इन तीनों ही देवों का हमारे हिन्दू धर्म में एक बहुत ही उच्च और विशिष्ट स्थान है। लेकिन सबसे ज़्यादा मंदिर भोले बाबा यानि शिव के हैं। शिव को सबसे ज़्यादा पूजा जाता है और इन्हें शंकर, नीलकण्ठ, रूद्र, भोलेनाथ आदि के नाम से भी जाना जाता है। हिमालय को तो शिव का घर कहा जाता है, शिव के संदर्भ में मान्यता है कि जितने कंकड़ हैं उतने ही शंकर हैं। मतलब यह कि हर चीज़ में शिव का वास है। आइए आज देश में स्थित शिव के दस सबसे प्रसिद्ध मंदिरों के बारे जानते हैं। यह वह मंदिर हैं जो देश ही नहीं बल्कि विदेशों तक में प्रसिद्ध हैं।

अमरनाथ गुफा

कश्मीर की बर्फ़ीली वादियों में स्थित अमरनाथ गुफा मंदिर हमारे देश के सबसे लोकप्रिय मंदिरों में गिना जाता है। इस जगह की यात्रा का ऊबड़ खाबड़ और कठिन रास्ता होते हुए भी बहुत ही ज़्यादा क्रेज़ है और यह एक ऐसी यात्रा है, जिसे हर कोई करना चाहता है। इसे अमरनाथ गुफा मंदिर इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह मंदिर अमरनाथ की गुफा के अंदर स्थित है। इस मंदिर की सबसे बड़ी और ख़ास विशेषता यह है कि इस जगह पर अपने आप ही बर्फ़ के शिवलिंग का निर्माण होता है। इसलिए अमरनाथ गुफा मंदिर को बाबा बर्फ़ानी के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता यह है कि इस गुफा में भगवान शिव ने माता पार्वती को अमर कथा सुनाई थी। 

काशी विश्वनाथ मंदिर

भगवान शिव को समर्पित सबसे प्रसिद्द मंदिरों में एक नाम काशी विश्वनाथ का भी आता है। उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिलें में स्थित इस मंदिर की लोकप्रियता सदियों से है और दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। गंगा नदी के पश्चिमी किनारे पर स्थित यह भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। इस जगह पर शिव की मान्यता विश्व के नाथ यानी ब्रह्मण्ड के स्वामी के रूप में है। इस जगह पर दुनिया भर से गंगा मैया और शिव के दर्शन के लिए आते हैं। हमारे कई पुराणों अथवा धार्मिक ग्रंथों में बताया गया है कि काशी विश्वनाथ के इस मंदिर में महज़ एक बार दर्शन हो जाए तो भी इंसान को मोक्ष मिल जाता है। 

महाकालेश्वर मंदिर

मध्यप्रदेश राज्य में स्थित उज्जैन को महाकाल की नगरी की संज्ञा दी जाती है और इसी जगह पर स्थित है विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर। यह महाकालेश्वर मंदिर भी देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। जिसकी वजह से इसकी काफ़ी मान्यता है। इस जगह पर देश के कोने कोने से शिव भक्त दर्शन के लिए आते हैं। इस जगह पर शिव की महाकालेश्वर रूप की पूजा की जाती है। मंदिर में होने वाली आरती भस्म और शिवलिंग का शृंगार भी शमसान से लाई हुई राख से किया जाता है। यह एक बहुत बड़ा धार्मिक और दर्शनीय स्थल है।

सोमनाथ मंदिर

भारत के पश्चिमी तट पर स्थित यह मंदिर 12 ज्योतिर्लिंग में से एक माना जाता है जिसकी वजह से यह काफ़ी प्रसिद्ध है और इस जगह पर देश दुनिया से शिव भक्त आते हैं। समुद्र तट पर होने के नाते इस मंदिर और आसपास का नज़ारा बहुत ही सुंदर और मनभावन दिखाई देता है। ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर के भवन का पुर्ननिर्माण कई बार कराया गया जा चुका है बावजूद इसके यह इसी रूप में देखने को मिलता है। पौराणिक कथाओं में इस बात का ज़िक्र मिलता है कि चंद्रदेव ने इस जगह पर भगवान शिव की आराधना की थी जिन्हें सोम भी कहा जाता है, इसलिए इस मंदिर का  नाम सोमनाथ पड़ा। 

केदारनाथ मंदिर

हिमालयी राज्य उत्तराखंड के चारधामों में से एक केदारनाथ धाम भी है जोकि काफ़ी बड़ा और लोकप्रिय देवस्थान माना जाता है। यह मंदिर शिव प्रेमियों के दिलों में अपना एक अलग स्थान रखता है और इस जगह पर कम से कम एक बार तो हर कोई आने की इच्छा रखता है। केदारघाटी की ख़ूबसूरत पहाड़ियों के बीच स्थापित इस मंदिर में सर्दियों के दौरान भारी मात्रा में बर्फ़बारी होती है। इसलिए यह मंदिर सर्दियों के दौरान बंद रहता है। केदारनाथ की यात्रा हमेशा अप्रैल माह के अंत से खुलती है और फिर नवम्बर माह तक चलती है। हालाँकि बरसात के दौरान यह यात्रा काफ़ी कठिन हो जाती है। बावजूद इसके इस जगह पर हर रोज़ हज़ारों सैलानी दर्शन के लिए पहुंचते हैं। 

भोजपुर शिव मंदिर

मध्यप्रदेश राज्य के रायसेन जिले में स्थित भोजपुर शिव मंदिर देश ही नहीं बल्कि विदेश में भी प्रसिद्ध है। भोजपुर शिव मंदिर हमारे देश के सबसे ऊंचे और बड़े शिवलिंगो में से एक है। बेतवा नदी के किनारे पर स्थित इस आधे अधूरे मंदिर का निर्माण परमार वंश के राजा भोज ने कराया था इसलिए इसका नाम भोजपुर पड़ा। इस मंदिर की शिव भक्तों के बीच काफ़ी मान्यता है। इस जगह से भोजपुर की पहाड़ियों का मनभावन दृश्य हर किसी का मन मोह लेता है। मंदिर की ख़ूबसूरती को देखकर भक्त भाव विभोर हो उठते हैं।  

अन्नामलाई मंदिर

तमिलनाडु के अन्नामलाई की पहाड़ियों के बीच स्थित अन्नामलाई मंदिर की आमजन में बहुत ही ज़्यादा मान्यता है। यह मंदिर काफ़ी ऊंचा है और इसका मंदिर परिसर तो और भी ज़्यादा भव्य। पूर्णिमा के समय इस मंदिर में दर्शनार्थियों की भीड़ लगी रहती है और भारी सैलाब उमड़ता है। भक्त चौदह किमी अन्नामलाई पर्वत की परिक्रमा करके शिव के प्रति अपनी श्रद्धा को ज़ाहिर करते हैं। इस मंदिर से एक पौराणिक कथा जुड़ी हुई है और इसके बारे में मान्यता है कि यहां भगवान शिव ने ब्रह्मा जी को श्राप दिया था। इस मंदिर की स्थापना का श्रेय चोल वंश के शासकों को जाता है बाद में अन्य कई शासकों ने भी इसके पुनर्निर्माण में अपना योगदान दिया था।

लिंगराज मंदिर

लिंगराज मंदिर को ओडिशा के सबसे प्रमुख मंदिरों में गिना जाता है और राजधानी भुवनेश्वर में स्थित इस मंदिर में दर्शनार्थियों की भीड़ लगी रहती है। दूर-दूर से लोग इस जगह पर शिव भगवान के दर्शन के लिए आते हैं। यह मंदिर काफ़ी भव्य और ख़ूबसूरत है और यहां की सबसे प्राचीन संरचनाओं में शुमार किया जाता है। कलिंग शैली में बने इस मंदिर की वास्तुकला देखते ही बनती है। इसकी स्थापना के सम्बंध में बात की जाए तो इसका श्रेय पूरी तरह से सोम वंश के राजाओं को जाता है। हालाँकि बाद में इसके पुनर्निर्माण का कार्य बाद के कई वंश के राजाओं ने करवाया। 

त्र्यंबकेश्वर मंदिर

नासिक शहर से कुछ ही दूरी पर गोदवारी नदी के किनारे स्थित त्र्यम्बकेश्वर मंदिर को देश के सबसे बढ़े और लोकप्रिय मंदिरों में शुमार किया जाता है। यह एक ज्योतिर्लिंग मंदिर है जिसका निर्माण पेशवा बालाजी बाजीराव द्वारा करवाया गया था। काले पत्थरों से बनाए गये इस मंदिर में शिवलिंग के मुखों को तीनों रूपों में दर्शाया गया है जोकि शिव के ब्रह्मा, विष्णु और रूद्र के प्रतीक हैं। इस मंदिर की देश दुनिया में काफ़ी मान्यता है। इस जगह पर दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है। 

रामनाथस्वामी मंदिर

तमिलनाडु के रामेश्‍वरम को देश के सबसे बड़े और लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में शुमार किया जाता है और इसी जगह पर स्थित है विश्व प्रसिद्ध श्री रामनाथस्वामी मंदिर। भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। इस मंदिर से जुड़ी मान्यता है कि भगवान राम जब लंका से वापस लौट रहे थे तो इस जगह पर रुककर उन्होंने शंकर भगवान की पूजा की थी। संगमरमर से बने इस मंदिर की ख़ूबसूरती देखते ही बनती है। इस जगह पर हर साल लाखों की संख्या में शिव- भक्त यहां दुनियाभर से दर्शन करने के लिए आते हैं।