हिन्दू धर्म में व्रत और त्योहारों का विशेष महत्व है और हर महीने ही कोई न कोई खास व्रत या त्योहार पड़ता है। इसलिए इनके बारे में जानना जरूरी है। साल 2019 के अप्रैल महीने में कौन-कौन से व्रत और त्‍योहार आएंगे। अगर आपको इन सभी व्रतों की सटीक दिन और डेट प्राप्‍त करनी है तो यहां पढ़ें अप्रैल का पूरा धार्मिक कैलेंडर। 
 
1. प्रदोष व्रत (2 अप्रैल, मंगलवार) – चंद्र मास के 13 वें दिन को त्रयोदशी या प्रदोष व्रत पड़ता है। 2 अप्रैल को पड़ने वाले इस व्रत में भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष रूप से पूजा की जाती है। सुहागन महिलाएं यह व्रत अपने पति की लम्बी आयु व पारिवारिक सुख-समृद्धि के लिए रखती हैं।
 
2. मासिक शिवरात्रि (3 अप्रैल, बुधवार)- हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी पर शिवरात्रि मनाई जाती है, जिसे मासिक शिवरात्रि कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन व्रत करने से भगवान शंकर खुश होकर साधक को अनंत फल प्रदान करते हैं।
 
3. चैत्र अमावस्या (5 अप्रैल, शुक्रवार)- लक्ष्मी प्रिय इसी तिथि पर मां लक्ष्मी की साधना-आराधना से सुख-समृद्धि मिलती है। इस तिथि पर साधना एवं रात्रि जागरण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है।
 
4. चैत्र नवरात्रि, उगाडी, घटस्थापना, गुड़ी पड़वा (6 अप्रैल, शनिवार)- गुड़ी पड़वा से हिंदू नववर्ष की शुरुआत होती है। इस दिन चैत्र नवरात्र की घटस्थापना होना एक अद्भुत संयोग है। ज्योतिषशास्त्रों की माने तो इस समय मां अपने भक्तों की हर मनोकामना को पूरी करेंगी।
 
5. राम नवमी (13 अप्रैल, शनिवार)- राम नवमी के दिन आठ पहर का उपवास रखना बहुत शुभ माना जाता है। यानी राम नवमी का उपवास सूर्यास्त से लेकर अगले सूर्यास्त तक रखा जाता है।
 
6. चैत्र नवरात्रि पारण (14 अप्रैल, रविवार)- नौवें दिन भगवती के देवी सिद्धिदात्री स्वरूप का पूजन किया जाता है। सिद्धिदात्री की पूजा से नवरात्र में नवदुर्गा पूजा का अनुष्ठान पूर्ण हो जायेगा। इस चैत्र नवरात्रि का पारण भी इसी दिन होगा क्योंकि दशमी तिथि भी इसी दिन आरंभ हो रही है। नवरात्र के व्रत का पारण दशमी तिथि को किया जाता है। 
 
7. कामदा एकादशी (15 अप्रैल, सोमवार)- यह एकादशी कष्टों का निवारण करने वाली और मनोनुकूल फल देने वाली होने के कारण इसे फलदा या कामना पूर्ण करने वाली एकादशी कहते है।
 
8. चैत्र पूर्णिमा व्रत (19 अप्रैल, शुक्रवार)- पूर्णिमा का व्रत हर माह रखा जाता है। चैत्र माह की पूर्णिमा को व्रत रखना बेहद शुभ माना जाता है। इस दिन उपवास रखने और चंद्रमा की पूजा करने का विधान है।
 
9. संकष्टी चतुर्थी (22 अप्रैल, सोमवार)- भगवान गणेश के भक्त संकष्टी चतुर्थी के दिन सूर्योदय से चन्द्रोदय तक उपवास रखते हैं। संकट से मुक्ति पाने के लिए यह व्रत रखा जाता है। 
 
10. वरुथिनी एकादशी (30 अप्रैल, मंगलवार)- हिन्दू धर्म में हर एक एकादशी का एक विशेष महत्त्व बताया गया है। इसी क्रम में वरुथिनी एकादशी के पुण्य व्रत को सुख और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है।