Depression vs Sadness: आजकल भाग दौड़ वाली जिंदगी के बीच में अमूमन हम सभी के साथ ऐसा होता है कि हम एक टाइम पर अलग-अलग फिलिंग को महसूस करते हैं। इसके पीछे अलग ही एक ऐसी साइकोलॉजी है जिसे बहुत कम लोग ही जानते हैं। हम खुशी के मौके पर खुशी और दुख के मौके पर दुख महसूस करते है। लेकिन जब बिना किसी दूसरी फिलिंग के हम परेशानी महसूस करते है, जिसकी वजह से हम अंदर तक उदासी महसूस करते है। ऐसे में हमें यह पता लगाना जरूरी हो जाता है कि यह उदासी इतनी क्यों है। तो आइये जानते है इसके बारे में।
डिप्रेशन या उदासी क्या है?

डिप्रेशन जो हद से पार वाली उदासी होती है, जिसमें हम एक ही चीज को लिये सालों तक बैठे रहते है उसे लेकर परेशान होते है। असल में यह एक “मेजर डिपरेसिव डिसऑर्डर” है, जिसमें एक प्रकार “क्लीनिकल डिप्रेशन” भी है। इसमें इंसान के सभी काम जैसे खाने पीने, सोचने, समझने, की शक्ति पर असर होता है।
डिप्रेशन के प्रकार
- मेजर डिप्रेशन किसी भी काम को करने की रुचि और खुशी को खत्म कर देता है, यह कम से कम 2 वीक चलता है।
- मेजर डिपरेसिव डिसऑर्डर भी एक प्रकार है जिसमें उदासी, किसी काम में मन नहीं लगना, कम भूख लगना, जैसे लक्षण कम प्रभावी तौर पर बहुत लंबे समय तक इंसान की जिंदगी में इंटरफेयर करते है, जिसका समय 2 साल भी हो सकता है।
- क्लीनिकल डिप्रेशन अक्सर महिलाओं में होता है क्योंकि यह पोस्ट प्रेगनेंसी, और इसके दौरान होने वाले चेंजस से ट्रिगर होता है। अक्सर इसे हम पोस्टपार्टम डिप्रेशन के नाम से जानते है।
- सब्जियों के अलावा डिप्रेशन भी सिजनल होता है, जिसे सिजनल डिप्रेशन भी कहते है, जो अक्सर मौसम के साथ आता और जाता है, जो सर्दी के शुरू या अंत में आता है और बरसात और गर्मी में चला जाता है।
- साइकाॅटिक डिप्रेशन एक ऐसा डिप्रेशन होता है जिसमें हम वो चीज भी एज्युम कर लेते है जो असली दुनिया में होती ही नहीं है। जैसे भ्रम, या ऐसी चीज सुनना या देखना जो नहीं है। यह अक्सर अकेला रहने से होता है और देखा गया है कि वर्किंग पेरेंट्स के बच्चों में य़ह डिप्रेशन ज्यादा होता है।
उदासी और डिप्रेशन में अन्तर
यह दोनों ही मानवीय भावना है जो कभी भी किसी को भी हो सकती है। दोनों में ही परेशानी, हार्मोन बदलाव, किसी काम में रुचि नहीं ले पाना, थका हुआ निराश महसूस करना, कुछ कमी महसूस करना, गुस्सा, चिंता आम है।
फिर अंतर कैसे पहचाने?

उदासी और डिप्रेशन में फर्क़ करना मुश्किल है लेकिन कुछ ऐसे लक्षण है, जो इनमें फर्क़ करवा सकते हैं…
- काफ़ी लंबे टाइम तक उदास, निराश महसूस करना।
- जिंदगी में हो रहे किसी भी में खुद की रुचि नहीं दिखा पाना।
- बिना वज़ह के कभी भी रो देना।
- अच्छी नींद और पर्याप्त भूख का ना लगना।
- हमेशा थके हुए रहना।
- फोकस ना कर पाना।
- ज्यादा मूड स्विंग होना।
- सूसाइड के ख्याल आना।
निपटने में मदद कर सकते हैं ये तरीके
- खास दोस्त, और फेमिली डॉक्टर से बात करने से आपको मदद मिल सकती है।
- अच्छा भोजन करे, पूरी नींद और रोज एक्सरसाइज करने से दिमाग दूसरी चीजों में लगेगा जिससे मन परेशान नहीं होगा।
- अपने को चीजों में, सोशल एक्टिविटीज में बीजि रखे, साथ जो घूमने जाए जिससे मन लगा रहेगा।
अगर आप इनमें से किसी एक भी लक्षण को फिल कर रहे हैं, तो जरूरी है कि अपने किसी खास दोस्त जिस पर आपको भरोसा हो, या अपने डॉक्टर से इसके बारे में बात करे..और कोशिश करें कि अकेले ना रहे। धीरे-धीरे चीजें सुधर जाएगी, इस बात को ज़हन में रखें।
