BK Shivani Speech
BK Shivani Speech

BK Shivani Speech: हमारे जीवन में भोजन का केवल शरीर को पोषण देने तक सीमित महत्व नहीं है, बल्कि यह हमारी मानसिक और आत्मिक स्थिति को भी प्रभावित करता है। जिस प्रकार का भोजन हम ग्रहण करते हैं, उसका सीधा असर हमारे विचारों, व्यवहार और ऊर्जा स्तर पर पड़ता है। आध्यात्मिक दृष्टि से भोजन केवल पेट भरने की प्रक्रिया नहीं, बल्कि आत्मा को सशक्त बनाने का साधन है। जब हम सात्विक और सकारात्मक ऊर्जा से भरा भोजन ग्रहण करते हैं, तो यह हमारे शरीर और मन को शुद्धता, शांति और संतोष की ओर ले जाता है। आध्यात्मिक गुरु बीके शिवानी ने कुछ इसी तरह के विचार व्यक्त किए हैं।

हमारा भोजन केवल पोषक तत्वों का स्रोत ही नहीं, बल्कि हमारे मन और आत्मा की ऊर्जा का भी वाहक होता है। जब भोजन प्रेम, शुद्धता और सकारात्मक संकल्पों के साथ तैयार किया जाता है, तो वह अधिक ऊर्जावान और प्रभावशाली बनता है। वहीं, यदि हम भोजन बनाते या ग्रहण करते समय नकारात्मक विचारों, तनाव या क्रोध से भरे रहते हैं, तो वही ऊर्जा हमारे शरीर में प्रवेश करती है।

इसलिए यह आवश्यक है कि रसोई में भोजन बनाते समय शुद्ध और सात्विक विचारों को अपनाया जाए। भोजन पकाने के दौरान मंत्र, भजन या सकारात्मक शब्दों का उच्चारण करने से उसमें एक विशेष ऊर्जा प्रवाहित होती है, जो शरीर और मन को शक्ति प्रदान करती है।

आधुनिक विज्ञान भी इस तथ्य को मानता है कि पानी और भोजन हमारी भावनाओं और विचारों से प्रभावित होते हैं। जापानी वैज्ञानिक डॉ. मसारू इमोटो ने अपने प्रयोगों में यह सिद्ध किया कि पानी पर बोले गए शब्द और विचार उसके अणुओं की संरचना को बदल सकते हैं। यदि जल और भोजन को सकारात्मक संकल्पों और प्रेम से भर दिया जाए, तो यह हमें शारीरिक और मानसिक रूप से अधिक सशक्त बना सकता है।

खाने से पहले और पानी पीने से पहले कुछ सकारात्मक संकल्प लेना अत्यंत लाभकारी हो सकता है, जैसे:

मैं स्वस्थ, शांत और सकारात्मक आत्मा हूँ।

यह भोजन मेरे शरीर और मन को ऊर्जा प्रदान कर रहा है।

मुझे परमात्मा की शक्ति प्राप्त हो रही है।

आधुनिक जीवनशैली में अक्सर हम भोजन के दौरान टीवी देखने, मोबाइल चलाने या अनावश्यक वार्तालाप करने में व्यस्त रहते हैं। इससे न केवल भोजन की पवित्रता प्रभावित होती है, बल्कि हमारा ध्यान भी बंट जाता है। भोजन हमेशा शांति और कृतज्ञता के साथ करना चाहिए, जिससे शरीर और आत्मा को संपूर्ण ऊर्जा प्राप्त हो सके।

रसोई को एक मंदिर की तरह पवित्र रखना चाहिए और वहां केवल सकारात्मक वातावरण बनाए रखना चाहिए। भोजन पकाते समय या खाते समय क्रोध, चिंता या नकारात्मक विचारों से बचना आवश्यक है।

हमारे जीवन में जो भी परिस्थितियाँ आती हैं, वे हमारे विचारों और संकल्पों का ही परिणाम होती हैं। यदि हम अपनी ऊर्जा को सही दिशा में केंद्रित करें, तो जीवन में आने वाली किसी भी समस्या को हल कर सकते हैं। राजयोग के अभ्यास से हम स्वयं को एक शक्तिशाली आत्मा के रूप में महसूस कर सकते हैं और परमात्मा से ऊर्जा प्राप्त कर सकते हैं।

यह भी आवश्यक है कि हम अपने परिवार और बच्चों में सकारात्मक संस्कार विकसित करें। उनके सामने भोजन के प्रति सम्मान और कृतज्ञता का भाव व्यक्त करें, ताकि वे भी इस पवित्र प्रक्रिया को समझ सकें और अपने जीवन में अपनाएँ।

सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर भोजन न केवल हमारे शरीर को पोषण देता है, बल्कि हमारे मन और आत्मा को भी शुद्ध करता है। यदि हम भोजन बनाते और ग्रहण करते समय अपने संकल्पों को शुद्ध रखें, तो यह हमारे जीवन में सुख, शांति और समृद्धि ला सकता है। भोजन केवल शरीर का ईंधन नहीं, बल्कि आत्मा की ऊर्जा का स्रोत है। इसे प्रेम, शांति और आध्यात्मिकता से भरपूर बनाना ही सच्ची सफलता और आनंद का रहस्य है।

राधिका शर्मा को प्रिंट मीडिया, प्रूफ रीडिंग और अनुवाद कार्यों में 15 वर्षों से अधिक का अनुभव है। हिंदी और अंग्रेज़ी भाषा पर अच्छी पकड़ रखती हैं। लेखन और पेंटिंग में गहरी रुचि है। लाइफस्टाइल, हेल्थ, कुकिंग, धर्म और महिला विषयों पर काम...