इसमें कोई दोराय नहीं कि साईं की हर लीला में कोई ना कोई अद्भुत संदेश छुपा होता है।  साईं बाबा ने अपने विचारों और शिक्षाओं से बड़े.बड़े रोग.बीमारियों और कुरीतियों का अंत किया था। साई बाबा केवल अपनी बातों के जरिए इंसान की दुर्भावनाओं को भी नष्ट कर देते थे। उनका जीवन दर्शन किसी दैवीय लीला से कम नहीं है। साईं बाबा अपने भक्तों की जीवनशक्ति हैं और सच्चे मार्गदर्शक हैं।  उनका नाम लेकर ही भक्त अपने जीवन की हर उलझन सुलझा लेते हैं। कुछ लोग साईं को भगवान कहते हैं तो कुछ उन्हें अवतार मानते हैं। वहीं कुछ भक्त साईं बाबा को एक फरिश्ता भी कहते हैं।
क्या हुआ था सालों पहले
बात उस समय की है जब शिरडी में एक बार हैजा महामारी तेज़ी से फैल रही थी। हर ओर इस बीमारी के कारण हाहाकार मचा हुआ था। कई गांवों में लोग हैजा जैसी महामारी के शिकार हो रहे थे। ऐसे मे आसपास के दूसरे गावं में लाखों लोग इस बीमारी से मर चुके थे और जब शिरडी में भी हैजा आने का डर लोगों को सताने लगा तो लोग साईं जी के पास बड़ी आस लेकर गए। तब साईं ने भी लोगों को घरों में रहने को कहा था और गांव से बाहर पांव न रखने का भी आदेश दिया था। साथ ही गांव की सीमा पर एक लकीर खींच दी थी।
सालों पहले आई इस बीमारी से हजारों की तादाद में लोग रोजाना मर रहे थे। ये बीमारी शिरडी समेत उसके आस पास के गावों में भी फैलती जा रही थी। तब गांव के लोग साईं बाब के पास गए और अपना दुख बताया। गांव वालों ने डर जताया कि बाबा कहीं हम भी इस बीमारी की वजह से मर तो नहीं जाएगे। ये सब सुनने के बाद बाबा मौन हो गए। साईं बाबा कई सप्ताह तक यूं ही मौन रहे। उन्होंने खाना.पीना छोड़ रखा था। सारे शिष्य और वाईजा माँ उनसे मिन्नतें करके हार गये थे, लेकिन न तो बाबा ने खाना ही खाया और न ही किसी से कोई बातचीत ही की।
एक दिन अचानक उन्होंने हाथ से पीसने वाली चक्की से गेहूं पीसना शुरू कर दिया। ये देख गांव के लोग और हैरान हो गए। उन्होंने बाबा से इसकी वजह पूछी । लेकिन बाबा ने कोई जवाब नहीं दिया। इसके बाद गांव की कुछ औरतों ने बाबा को चक्की से हटाकर खुद गेहूं पीसने लगीं।
जब सारा गेहूं आटा बन गया तो बाबा ने महिलाओं से कहा कि वो इस आटे को लेजाकर गांव के चारो तरफ परिक्रमा की ओर बिखेर दें और उन्होंने वैसा ही किया। इससे गांव में फैली महामारी ठीक हो जाएगी। हुआ भी ऐसा ही कुछ ही दिनों में गांव से हैजा का खात्मा हो गया। और गांव के लोग सुखी हो गए।
साईं बाबा के काल में हैजा नामक खतरनाक बीमारी का नाश हो गया और लोगों की हालत में धीरे धीरे सुधार होने लगा। आखिरकार बीमारी जड़ से खत्म हो गई। बाबा ने अपनी दिव्य वाणी के प्रताप से शिरडी के लोगों को बचा लिया था। साईं बाबा के इस चमत्कार के बाद लोगों का विश्वास साईं बाबा में और भी गहरा हो गया।
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