6 ways to make school morning routines easier
6 ways to make school morning routines easier

Overview:

बच्चों को समय पर स्कूल भेजना अक्सर पेरेंट्स के लिए एक मुश्किल टास्क बन जाता है। यह समस्या आज न सिर्फ छोटे बच्चों के साथ है, बल्कि टीनएज बच्चों के माता-पिता भी ऐसी परेशानियां महसूस कर रहे हैं।

School Morning Routine: आज के समय में हर पेरेंट्स के लिए बच्चे को सुबह उठाकर स्कूल भेजना एक बड़ा टास्क है। उनकी नींद नहीं खुल पाती, वे चिड़चिड़े हो जाते हैं और काफी देर चिल्लाने पर भी वे बैड से नहीं उठ पाते। ऐसे में बच्चों को स्कूल के लिए तैयार करने में पेरेंट्स की पूरी एनर्जी खत्म हो जाती है। यह समस्या आज न सिर्फ छोटे बच्चों के साथ है, बल्कि टीनएज बच्चों के माता-पिता भी ऐसी परेशानियां महसूस कर रहे हैं। इन सब में कहीं न कहीं बच्चे के साथ पेरेंट्स की भी कुछ गलतियां हैं।

नींद की कमी है सबसे बड़ा कारण

socially active
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बच्चों के सुबह समय पर न उठ पाने का सबसे बड़ा कारण है नींद की कमी। 10 साल तक के बच्चों के लिए 9 से 10 घंटे और इससे बड़े बच्चों के लिए 7 से 10 घंटे की नींद जरूरी है। वहीं 16 से 18 साल के टीनएज के लिए 8 से 10 घंटे की नींद जरूरी है। इससे कम नींद बच्चों को चिड़चिड़ा बना देती है। इससे उनको थकान महसूस होती है। कम नींद से बच्चों का मूड प्रभावित होता है। साथ ही याददाश्त और फोकस भी प्रभावित होता है। इसलिए बच्चों के सोने और जागने का समय निश्चित करें। सोने से पहले स्क्रीन का इस्तेमाल सीमित करें।

जल्दबाजी में नाश्ता करवाना

बच्चों का मस्तिष्क दिनभर सीखने और जानकारी को ग्रहण करने में व्यस्त रहता है। अगर बच्चा खाली पेट या सिर्फ मीठा खाकर स्कूल जाता है, तो वह लंबे समय तक फोकस नहीं कर पाएगा। अक्सर पेरेंट्स बच्चों को नाश्ते में पैकेज्ड जूस, रिफाइंड शुगर या मीठे नाश्ते देते हैं। इन सभी से बच्चों को थोड़ी देर तो ऊर्जा मिलती है, लेकिन फिर अचानक ब्लड शुगर गिरने लगता है। इससे सुस्ती आती है और फोकस में कमी आने लगती है। इसलिए बच्चों के ब्रेकफास्ट में हेल्दी विकल्प चुनें। ओट्स, सीड्स, ड्राई फ्रूट्स, फल, दही आदि अच्छे विकल्प हैं।

सुबह न टीवी, न मोबाइल

बच्चों को ब्रेकफास्ट करवाने के लिए अधिकांश पेरेंट्स उन्हें स्क्रीन दिखाते हैं। अगर बच्चा सुबह उठते ही मोबाइल, टैबलेट या टीवी की ओर भागता है तो उसका दिमाग दिन की शुरुआत में ही ध्यान भटकाने वाले तत्वों से भर जाता है। फिर जब वह क्लास में बैठता है तो उसका मन गतिविधियों के साथ तालमेल नहीं बैठा पाता। इसके अलावा, नीली रोशनी नींद के चक्र को भी बिगाड़ती है। इसलिए सुबह बच्चों को स्क्रीन न दिखाएं।

सुबह की तनाव से भरी शुरुआत

सुबह की जल्दबाजी, हड़बड़ाहट, चिल्लाना, डांटना जितना पेरेंट्स को प्रभावित करता है, उतना ही बच्चों को भी। यह हड़कंप दोनों के लिए ही अच्छा नहीं होता। इससे बच्चे भी तनाव में आ जाते हैं और स्कूल जाने पर भी वे पढ़ाई में फोकस नहीं कर पाते। इसलिए बच्चों को स्कूल जाने की आधी तैयारी, यूनिफॉर्म, बैग, जूते रात में ही तैयार करके सोएं। इससे सुबह आपके और बच्चे के 15 मिनट बचेंगे।

पर्याप्त पानी और पोषक तत्व

बच्चों की डाइट में पोषक तत्वों के साथ ही पर्याप्त पानी शामिल होना भी जरूरी है। डिहाइड्रेशन भी ध्यान और एकाग्रता में कमी का एक कारण है। बच्चे अक्सर प्यास को पहचान नहीं पाते और बिना पानी पिए ही स्कूल चले जाते हैं। इसलिए सुबह उठते ही एक गिलास पानी पीना और स्कूल के लिए पानी की बोतल साथ ले जाना बेहद जरूरी है। इसी के साथ बच्चों की डाइट में आयरन, ओमेगा-3, विटामिन बी और मैग्नीशियम जैसे पोषक तत्वों को जरूर शामिल करें। अंडे, मेवे, सीड्स, हरी सब्जियां, उन्हें जरूर खिलाएं।

बच्चों को ज्यादा बिजी न करें

आज के समय बच्चे पढ़ाई के साथ ही ट्यूशन, एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज, स्पोर्ट्स आदि में बिजी रहते हैं। जिससे बच्चों को खुद के लिए समय नहीं मिल पाता है। यह पेरेंट्स की जिम्मेदारी है कि वे बच्चों के शौक को पहचानें और उन्हें पूरा समय दें। इससे बच्चे का चिड़चिड़ापन कम होगा।

मैं अंकिता शर्मा। मुझे मीडिया के तीनों माध्यम प्रिंट, डिजिटल और टीवी का करीब 18 साल का लंबा अनुभव है। मैंने राजस्थान के प्रतिष्ठित पत्रकारिता संस्थानों के साथ काम किया है। इसी के साथ मैं कई प्रतियोगी परीक्षाओं की किताबों की एडिटर भी...