Short Story in Hindi: ‘आजकल माँजी बड़ी ही शांत रहती हैं। दो दिन पहले दादी-पोती की गुटरगूं चल रही थी तब से अकेले ही कमरे में बैठी रहती हैं। क्या बात है जरा देखूं तो सही।’ सोचते हुए उर्मिला अपने सासू माँ के कमरे में पहुँची। वहाँ माँजी को देखकर दंग रह गई।
सास हाथ में मोबाइल लिए उसमें खोई हुई थी। तरह-तरह के पोज देकर सेल्फी ले रहीं थी।
“क्या बात है माँजी आप तो बिल्कुल नवयुवती की तरह सेल्फी लेने में व्यस्त हैं।” उर्मिला हंसकर चुटकी लेते हुए बोली।
“अरे देख न बहुरिया! हमरी पोती माने तोहरी बिटिया हमरा के केतना सुंदर मोबाइल देले हई । एकरा में खूब सुंदर-सुंदर फोटो आबे हई।” सास ने भी प्रफुल्लित होकर कहा।
“माँजी, पोती ने आपको अपने जैसा ही बना दिया और आप भी…।”
“अरे बहुत काम के होत हई मोबाइल। ए में भजन-कीर्तन, मंदिर अऊ नाच-गान उहो आबे हई।”
“इसमें मन लगता है न माँजी ?”
“हँ हँ खूब्बे मन लागत है।”
“एक बात बताइए माँजी मुझे तो आप टी.वी. देखने पर भी नाराज होती थीं और आप कभी अपना फोटो भी नहीं खिंचवाती थीं।” उर्मिला को भी अच्छा मौका मिल गया था, अपने मन की बात कहने की।
“अरे बहुरिया ऊ समय कछु और रहे। अब कछु और हई। हमरी पोती कहे हई जे समय के संग बदले चाही।”
“हूंउ..तो पोती आपकी गुरु हो गई है।”
“अच्छा छोड़ ई सब बात आब हिंया आबह हम दूनु सास-बहू एगो सेल्फी लेत हई अऊ फेसबुक पर डाल देब।” हँसते हुए सास बहू के साथ सेल्फी लेने के लिए अपनी झुर्रीदार चेहरे से मुस्कान देते हुए पोज बनाने लगी।
