Hindi Short Story: काजल स्टेशन पर ट्रेन का इंतजार कर रही थी लेकिन उसकी नज़रें कुछ तलाश रही थी। अपने पास एक छोटा सा बैग लिए वह प्लेटफार्म पर बैठी थी। उसके माथे पर कुछ घबराहट और कुछ बेचैनी की लकीरें भी उभरी हुई थी। तभी उसके पास एक लड़का अरुण आया।
“कितनी देर लगा दी? मैं कब से तुम्हारा इंतज़ार कर रही हूँ,” उसे देखकर काजल बोली।
“घर से निकलते ही बाबा ने एक काम बता दिया। किसी तरह झूठ बोलकर वहाँ से निकला हूंँ,” अरुण बोला।
काजल से बात करके अरुण ट्रेन का टिकट लेने के लिए काउंटर पर कतार में खड़ा हो गया। टिकट लेकर अरुण आया और काजल को बोला, “मैंने इलाहाबाद का टिकट ले लिया है। वहाँ मेरा एक परिचित रहता है। एक-दो दिन वहीं रुकेंगे उसके बाद सोचेंगे कि आगे क्या करना है और कहाँ जाना है। बैग मुझे दे दो। भीड़ में चोरी होने का डर लगा रहता है। रुपए-गहने सब ले ली हो न?”
“रुपए-गहने?”
“हाँ… हाँ.. रुपए-गहने।”
“घर से रुपए-गहने नहीं लायी। मैं तो दो-तीन जोड़ी कपड़े लेकर आ गयी हूँ।”
यह सुनते ही अरुण क्रोधित हो गया। वह काजल को बुरी तरह फटकारने लगा। वह काजल को अपने प्रेम जाल में फँसाकर उसके साथ घर से भागने की तैयारी कर चुका था। उसे उम्मीद थी कि काजल घर छोड़ते समय रुपए-गहने भी चुरा कर ले आएगी। लेकिन काजल के इस नासमझी पर वह बहुत गुस्सा हो रहा था।
“रुपए-गहने होते तो हमारा कुछ दिन अच्छे से बीत जाता। लेकिन तुम तो महामूर्ख निकली।”
अरूण की यह बात सुनकर काजल बोली, “मतलब तुम मुझसे प्रेम नहीं करते। अपनी लालच के कारण मुझसे जुड़े। अरुण… मैं तुम्हारे साथ नहीं जाऊँगी। है। मुझे वास्तविक प्यार का मतलब पता चल गया है।
काजल के अचानक बदले व्यवहार से अरूण सकते में आ गया। लेकिन वह कुछ बोलता उससे पहले काजल बोल पड़ी, “मैं तुम्हारे साथ नहीं जाऊंगी। मैं भावनाओं के क्षणिक आकर्षण को प्यार समझ बैठी थी। मैं घर लौट रही हूँ अपने माता-पिता के विश्वास को बनाए रखने के लिए।” कहकर काजल घर की तरफ चल पड़ी।
वास्तविक प्यार-गृहलक्ष्मी की लघु कहानी
