Hindi Story: कुछ ही दिनों में सब कुछ ख़त्म हो जाएगा , अभी कुछ ही समय पहले वह दोनों इस रिश्ते में आए थे , दोनों व्यक्तियों के साथ में दोनों परिवार भी बहुत अच्छे थे कुछ भी छुपा नहीं था उनमें। सभी आपस में एक अखंड रिश्ते के रूप में नजर आते थे कहते हैं एक आदर्श परिवार थे। लड़का और लड़की दोनों साथ में बहुत अच्छे लगते थे। एक आदर्श पति और पत्नी बनकर रहते थे। ” सदा सुहागन रहो ” और सदा खुश रहो , वैवाहिक जीवन मंगलमय हो आदि आशीर्वाद मानो उनके लिए ही बने हैं। दोनों सभी तीज और त्यौहार साथ में मानते थे। एक अच्छे समाज का निर्माण कर रहे थे। लड़का और लड़की में कोई अंतर नहीं करते थे। मगर अब देखो कितना कुछ हो गया सब कुछ बिखर गया “।
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बालकनी में पौधों को पानी देते हुए अंजना अपनी मौसी की लड़की प्रीति से फोन पर सब सुन रही थी। तभी गाड़ी की आवाज आती है अंजना देखती है विराट घर आ चुके हैं। वह प्रीति से बाद में बात करने के लिए बोलकर नीचे जाकर घर का दरवाजा खोलकर विराट को गले लगाकर उसका स्वागत करती है और उसका बैग टेबल पर रखकर उसे पानी देते हुए कहती है – ” विराट आज आपका दफ़्तर का दिन कैसा रहा , चलिए आप थोड़ा आराम कीजिए मैं आपके लिए चाय बनाकर लाती हूं। मन प्रीति से फोन पर हुई बातों में ही विचलित और खोया हुआ था क्योंकि आख़िर वह भी विवाहित है और ” सिंदूर की शाश्वत सजीवता ” जो अनमोल होती है उसके पास भी है।
विराट को चाय देकर वह उससे रात के खाने के बारे में पूछती है , विराट कहता है – ” अंजना तुम खाना खाकर सो जाना , आज दफ़्तर में एक पार्टी रखी गई है जिसमें मुझे जाना होगा , तुम मेरे पार्टी वाले कपड़े निकाल कर रख दो प्लीज “। अंजना उससे कहती है – ” ठीक है विराट मैं आपके कपड़े निकाल देती हूं “। इतना कहकर अंजना कमरे में जाकर अलमारी से विराट के कपड़े निकालने लगती है। तभी अंजना के फोन की घंटी बजती है। उसे लगता है यह फोन प्रीति का ही होगा , वह कपड़े बिस्तर पर रखकर फोन उठाती है और कहती है – ” हां प्रीति बोल फिर क्या हुआ ? उनका रिश्ता अब टूट ही चुका होगा “। दूसरी तरफ़ से आवाज़ आती है – ” जी माफ कीजिए मैं प्रीति नहीं दृष्टि हूं , आपका नंबर प्रीती जी ने दिया है आप अधिवक्ता हैं न्यायालय में आपसे अपने तलाक़ के बारे में बात करनी है “। इतना सुनकर अंजना लज़्ज़ित महसूस करती है। यह वही लड़की है जिसके बारे में प्रीती उसे बता रही थी। अंजना उससे कहती है – ” मैं अपने दफ़्तर का पता आपको बताती हूं आप कल सुबह आ जाना। दृष्टी कहती है – ” जी अंजना जी धन्यवाद “। अंजना फोन रख देती है और शर्मिंदा होने लगती है अपनी गलती पर और सोचती है दृष्टि की ” सदा सुहागन रहो ” से लेकर ” सिंदूर की शाश्वत सजीवता ” के अंत तक की यात्रा कितनी भयानक रही होगी।
अगले दिन की सुबह अंजना अपने घर की सभी जिम्मेदारियों को पूरा करके अपने दफ़्तर के लिए निकल जाती है। दफ़्तर पहुंचकर अंजना बहुत शांत थी क्योंकि आज उसकी पहली मुलाक़ात उस व्यक्ति से थी जिसके बारे में प्रीती ने उसे बताया था। दफ़्तर के दरवाजे की खटखटाने की आवाज आती है और दरवाजा खुलता है एक साधारण दिखने वाली लड़की नजर आती है वह कहती है – ” जी मैं दृष्टि, आज आपसे मुलाक़ात है मेरी “। यह सुनकर अंजना कहती है – ” जी बैठिए , आप चाय या कॉफी पियेंगे “। दृष्टि कहती है – ” जी एक कॉफी आपके साथ पीना चाहेंगे “। अंजना कहती है – ” जी ज़रूर पियेंगे ” वह दफ़्तर के कर्मचारी को दो कप कॉफी लाने को बोल देती है। अंजना कहती है – ” जी , अपने बारे में बताएं , मैं आपके लिए क्या कर सकती हूं”। दृष्टि कहती है -” जी आपके साथ लगभग सभी को मालूम है मेरे जीवन के बारे में “। अंजना बहुत शर्मिंदा होती है , वह नजरें चुराने लगती है। दृष्टि कहती है – ” जी शर्मिंदा होने की ज़रूरत नहीं है आपको बहुत बार देखा था प्रीति जी के घर में मुझे आपकी बातें अच्छी लगती हैं इसलिए आपके पास आई हूं। घर के बड़ों का आशीर्वाद ” सदा सुहागन रहो ” अब शायद कमज़ोर होने लगा है। प्यार और विश्वास की छत में अब मजबूती नहीं रही है। मेरे ” सिंदूर की शाश्वत सजीवता ” अब समाप्त होने की स्थिति में है। बीते दिनों राजीव और मेरे बीच में कोई तीसरा है ऐसा हमारे कुछ करीबी दोस्तों ने हमें बताया है मगर जब मुझे इस झूठ के बारे में पता चला स्थिति मेरे नियंत्रण से बाहर हो चुकी थी “।
दृष्टि की इन सभी बातों को सुनकर अंजना समझ जाती है कि एक गलतफहमी और मज़ाक ने एक बहुत ही खूबसूरत वैवाहिक जीवन को बर्बाद कर दिया है। ” सदा सुहागन रहो ” का आशीर्वाद अब सिर्फ औपचारिकता बन गया था। अंजना को बहुत बुरा महसूस होता है। प्रीति से कल जिस लड़की को लेकर वह बात कर रही थी उसके जीवन की वास्तविकता क्या है वह उससे अवगत हो चुकी है किसी के बारे में कहना और अनुमान लगाना आसान है मगर उसका जीवन महसूस करना उतना ही मुश्किल है। वह दृष्टि को कल शाम को अपने घर चाय पर आने का निमंत्रण देती है दृष्टि निमंत्रण स्वीकार कर लेती है। यह मुलाक़ात समाप्त हो जाती है , विराट अंजना के दफ़्तर पहुंच जाता है। वह दृष्टि को पहचान लेता है दोनों एक ही दफ़्तर में साथ में काम करते हैं इसलिए उनका रिश्ता सहकर्मी का होता है। विराट कहता है – ” दृष्टि आप यहां , अंजना आप जानती हो इन्हें यह दफ़्तर में मेरे सहकर्मी हैं “। अंजना कहती है – ” यह बहुत अच्छी बात है विराट मैंने इन्हें कल शाम को अपने घर चाय पर आमंत्रित किया है “। दृष्टी अपने ” सिंदूर की शाश्वत सजीवता ” की स्थिति अंजना को बताकर चली जाती है। अंजना उसे देखती ही रह जाती है।
अगले दिन अंजना दफ़्तर से जल्दी घर आ जाती है वह शाम को दृष्टि से चाय पर होने वाली मुलाक़ात को लेकर परेशान होने लगती है। सभी तैयारियां पूरी हो जाती हैं मगर एक सवाल मन में बना ही रहता है अगर कुछ गलत हो गया फिर क्या होगा ? विराट भी आज जल्दी घर आ जाता है और अंजना को परेशान देखकर उसका मनोबल बढ़ाने के लिए उससे कहता है – ” अंजना यह आपका काम है सब अच्छा ही होगा आप चिंता नहीं कीजिए “। विराट की इन बातों को सुनकर अंजना कहती है – ” विराट आप शायद नहीं समझ सकते एक पत्नी के लिए उसका ” सदा सुहागन रहो ” का आशीर्वाद ” और उसकी मांग में भरे उस ” सिंदूर की शाश्वत सजीवता ” बहुत मूल्यवान होती है जिसकी कीमत संसार मे कोई नहीं लगा सकता है “। घर के दरवाजे की घंटी बजती है दृष्टि और राजीव साथ में होते हैं अंजना और विराट उनका स्वागत करते हैं। दृष्टि और राजीव का रिश्ता जो अपनी मिठास भूल चुका है उसे फिर से चाय की मिठास और प्यार के साथ में अस्तित्व में लाने के लिए अंजना उन्हें चाय का कप देकर विराट के साथ में कमरे से बाहर चली जाती है अब कमरे में सिर्फ राजीव और दृष्टि ही थे अपने साथ में बिताए गए पलों की यादों के साथ में।
कुछ समय बाद जब विराट और अंजना कमरे में आते हैं तो वह देखते है कि दोनों ही वहां से जा चुके थे। विराट कहता है – ” अंजना देखते हैं करवाचौथ पर क्या होता है “। दो दिन बाद करवाचौथ का दिन आ जाता है। अंजना कहती है – ” विराट सब ठीक तो होगा क्योंकि आज का त्यौहार बहुत खास होता है वैवाहिक जीवन के लिए मेरा मन बहुत उदास है आज दृष्टि और राजीव का वैवाहिक जीवन हम बचा पाएंगे “। अंजना और विराट चाँद की पूजा के लिए मैदान में आयोजित करवाचौथ उत्सव मनाने के लिए चले जाते हैं वहां चाँद की पूजा करने के बाद वह वापिस अपने घर लौटे ही रहे थे कि उन्हें दृष्टि और राजीव दिखाई देते हैं। दोनों साथ में बहुत सुंदर लग रहे थे और वैवाहिक उत्सव मना रहे थे। कुछ ही पलों में रस्मों के अनुसार राजीव सिंदूर को लेकर दृष्टी की मांग में भर देता है। दृष्टि की मांग में ” सिंदूर की शाश्वत सजीवता ” को देखकर अंजना मुस्कुराते हुए विराट को देखती है , दृष्टि और राजीव की नजर विराट और अंजना पर पड़ती है और वह उन दोनों को धन्यवाद देकर एक दूसरे को अपनी बाहों में भर लेते हैं। उन दोनों को खुश और वापिस अपने वैवाहिक जीवन में आनंदित होते देखकर अंजना और विराट बहुत खुश होते हैं अंजना फिर दृष्टि की आंखों में देखकर उसको ” सदा सुहागन रहो ” का आशीर्वाद देती है जिसे दृष्टि स्वीकार कर लेती है।
