Hindi Short Story: कोमल ने कक्षा 7वीं से स्कूल में दाखिला लिया था। वह काफी
शर्मीली थी और किसी से बात नहीं करती थी। वहीं मैं बातूनी थी और
हर किसी के आसानी से दोस्ती कर लेती थी। धीरे-धीरे मैंने कोमल
को अपनी सहेली बना ही लिया। मैं ही केवल उसकी दोस्त थी। एक
साल बीत गया और कक्षा 8वीं में पहुंचे तो एक दिन किसी बात पर
कोमल मुझसे नाराज हो गई। उसकी नाराजगी भी ऐसी थी कि एक-दो
दिन में जाती नहीं। मैं बात करने की कोशिश करती लेकिन उसने
चार दिन तक मेरी तरफ देखा ही नहीं। मेरे भी मन में गुस्सा था।
समझ नहीं आ रहा था कि उससे कैसे बात करूं अब। ना जाने मेरे
दिमाग में क्या आया और जब कोमल लंच के लिए कक्षा से बाहर
गई तो मैंने उसके बैग में मेरे दो पेन रख दिए। हमारी क्लास में
किसी की कोई चीज़ गुम हो जाती थी, तो सबके बैग चैक होते थे।
मैंने पेन इसलिए ही रखा कि इस बहाने कम से कम उसके पास
जाना होगा और उससे थोड़ी बात तो होगी। लाइन से एक-एक करके
सबके बैग चैक किए और फिर कोमल की बारी आई, तो उसमें से पेन
निकल गए। फिर क्या था उसने तो रोना ही शुरु कर दिया। वह
कहती रही कि उसने पेन नहीं चुराए थे। वह मुझे यह सब बोल रही
थी और मुझे इसी बात का तो इंतज़ार था कि वह मुझसे बात करे।
लेकिन पहले ये दिमाग में नहीं आया कि ये तरीका तो उसे कितना
दुख पहुंचाएगा। उसे बता दिया कि उससे बात करने के लिए पेन मैंने
ही बैग में रखे थे। फिर क्या था वो बरस पड़ी मुझ पर। लेकिन मैं
खुश थी कि कम से कम मुझसे कुछ बोल तो रही है। इस किस्से को
आज भी याद कर हम दोनों खूब हंसते हैं।
Also read: आम की चोरी-जब मैं छोटा बच्चा था
