Jataka Story in Hindi : बहुत समय पहले की बात है, घने जंगल के बीच झील के पास एक बाज परिवार रहता था। परिवार में माता-पिता के अलावा उनके दो बच्चे भी थे। वे सब खुशी-खुशी रहते थे।
एक दिन मादा बाज ने पति से कहा, ‘‘प्रिय, हमारे पड़ोस में कोई मित्र नहीं है, तुम कछुए, किंगफिशर पक्षी व शेर को मित्र क्यों नहीं बनाते, जो झील के दूसरी ओर रहते हैं।
बाज को पत्नी का विचार पसंद आया। वह सुबह होते ही उन तीनों से मिलने चल दिया। तीनों ने खुले दिल से उसका स्वागत किया व सभी मित्र बन गए। उन्होंने कहा, ‘‘हम तुम्हारी दोस्ती की कद्र करते है। जब भी जरूरत पड़े, हमें बेहिचक पुकार लेना।’’
अब वे सब अक्सर मिलते। बैठ कर गप्पे लगाते, खूब मजा करते।
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एक दिन दो शिकारी झील के किनारे आए। वे थके हुए थे। पूरे दिन में एक भी शिकार नहीं मिला था। उनमें से एक बोला- ‘‘रात यहीं ठहरते हैं। सुबह फिर से शिकार की तलाश करेंगे।’’
वे हरी घास पर लेट गए पर मच्छरों के मारे नींद नहीं आ रही थीं। उन्होंने मच्छर भगाने के लिए आग जला दी। आग से उड़े धुंए व लपटों की गर्मी से बेचैन बाज बच्चों ने रोना शुरु कर दिया।
बाज के बच्चों की आवाजें सुन शिकारियों के कान खड़े हो गए। उन्होंने कहा। ‘‘इन बच्चों को पेड़ से उतार लाएँ। आग में भून कर खाएँगे।’’ बाज के माता-पिता ने उनकी सारी बातचीत सुन ली थी। पत्नी ने रोते हुए कहा- ‘‘हो सकता है कि कछुआ सो चुका हो। तुम जा कर किंगफिशर पक्षी से मदद माँगो, वरना ये हमारे बच्चों को खा जाएँगे।’’
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बाज ने किंगफिशर को उन शिकारियों की सारी योजना सुना दी। किंगफिशर ने दिलासा दिया व बोला- ‘‘घबराओ मत, दोस्त! घर जा कर पत्नी को दिलासा दो। मैं अभी आ रहा हूँ।’’
बाज घर लौट गया। उसने देखा कि एक शिकारी पेड़ पर चढ़ने की कोशिश कर रहा था। तभी किंगफिशर भी आ पहुँचा। उसने झील में डुबकी मारी और पंख फड़फड़ाते हुए आग के ऊपर से उड़ गया। आग पर पानी पड़ गया तो वह धीरे-धीरे बुझ गई। शिकारी आग बुझती देख हैरान था। उसने दोस्त को पुकारा-नीचे आ जाओ। अभी बच्चे पकड़ने का कोई फायदा नहीं। यहाँ आग बुझ गई है। पहले इसे जला लें।
उन्होंने आग जलानी चाही पर पक्षी ने फिर से बुझा दी। जब बाज की पत्नी ने देखा कि पक्षी थकान से निढाल हो रहा था तो उसने कछुए को बुलाने का सुझाव दिया। जल्दी ही कछुआ भी मदद के लिए आ पहुँचा। शिकारी ने उसे देखा तो उसके मुँह में पानी भर आया। उसने दोस्त को पुकारा- ‘‘नीचे आ जाओ। इतने ऊंचे पेड़ पर चढ़ना आसान काम नहीं है। यहाँ एक कछुआ है। हम इसे पकड़ लेंगे व खाएँगे। यह बड़ा कछुआ कई दिन भोजन के काम आएगा।’’
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कछुए को पकड़ने के लिए बेताब शिकारियों ने अपनी लंबी पगड़ियाँ उतार लीं व उससे कछुए को बाँध कर, आग की तरफ खींचने लगे। लेकिन कछुआ काफी भारी था। वे उसे टस से मस भी न कर सके। कछुए ने एक चाल चली। वह रेत पर दौड़ने लगा और दोनों शिकारियों को घसीटते हुए, झील के गहरे पानी में डुबो दिया बाज ने उन्हें डूबता हुआ देखा तो बहुत खुश हुआ।
जल्द ही वे पानी से बाहर निकल आए और बोले- ‘‘आधी रात तक तो किंगफिशर ही आग बुझाता रहा। अब हमारे कपड़े भी फट गए हैं और हम पानी से तर-ब-तर हैं, इस कछुए ने तो हालत ही बिगाड़ दी। चलो, दोबारा आग जलाते हैं। सुबह होते ही बाज पक्षी पकड़ लेंगे व भून कर खाएँगे। वे फिर से आग जलाने में जुट गए।
बाज भागा-भागा शेर के पास पहुँचा। उसने उसे सारी कहानी सुना दी। शेर जोर से दहाड़ा- ‘‘इनकी इतनी हिम्मत? ये इंसान हमें कभी चैन से जीने नहीं देंगे। मैं इन्हें सबक सिखाऊँगा।’’
जल्द ही वहाँ दहाड़ता हुआ शेर पहुँच गया। दोनों शिकारी डर के मारे थर-थर काँपने लगे। वे चिल्लाए- ‘‘शेर तो हमें मार डालेगा।’’ उन्होंने पानी में छलाँग लगा दी व शेर वहां खड़ा उन्हें जाता देखता रहा। उसने उन्हें अच्छी तरह डरा दिया था।
बाज परिवार ने किंगफिशर, कछुए व शेर को समय पर की जाने वाली इस मदद के लिए धन्यवाद दिया व खुशी-खुशी रहने लगे।
शिक्षा:- सच्चा मित्र वही होता है, जो मुसीबत में काम आता है।
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