Jataka Story in Hindi : जंगल में हाथियों का एक झुंड रहता था। एक बार हथिनी ने एक शिशु हाथी को जन्म दिया। जिसे देख कर सब प्रसन्न हो उठे।
उन्होंने नन्हें हाथी के जन्म पर जश्न मनाया।
बचपन से ही नन्हा हाथी सबसे अलग और अनोखा था। बड़ा होने पर वह सभी सयाने हाथियों और दोस्तों का प्यारा बन गया। वह सबके प्रति दयालुता दिखाता। हमेशा दूसरों की सहायता करता व किसी को चोट न पहुँचाता।
एक दिन वह पेड़ के नीचे आराम कर रहा था तो उसने एक बूढ़े बंदर को फूट-फूटकर रोते सुना। नन्हा हाथी उसे रोते देख पिघल गया। उसने पूछा, ‘‘तुम अकेले क्यों बैठे हो और इतनी ज़्ाोर से क्यों रो रहे हो?’’
बंदर ने उत्तर दिया, ‘‘मैं काफी बूढ़ा और कमजोर हो गया हूँ इसलिए सभी संगी-साथी छोड़ गए हैं। मैं उनकी तरह पेड़ों पर उछल-कूद नहीं पाता। मैं अपना दुख किससे बाँटू?’’


नन्हें हाथी ने उसकी कहानी सुन कर दिलासा दिया, ‘‘चाचा, चिंता मत करो। मैं आपके साथियों को वापिस लाऊँगा।’’ जल्द ही वह जंगल की ओर चल दिया।
घने जंगल के बीचोंबीच पहुँच कर उसने देखा कि बंदर के साथी पेड़ों पर बैठे केलों का स्वाद ले रहे थे। उसने कहा – ‘‘दोस्तों, मैं आपको याद दिलाना चाहता हूँ कि आपका ही एक मित्र अकेला पड़ गया है। वह बूढ़ा और कमजोर होने के कारण मुसीबत में है। वहाँ उसकी देखरेख करने वाला भी कोई नहीं है। कृपया जा कर उसका मन बहलाओ।’’
बंदर एक हाथी को इतनी नरमाई से बात करते देख हैरान थे। इससे पहले किसी हाथी ने उनसे इस तरीके से बात नहीं की थी।


वे फटाफट नन्हें हाथी के साथ उस पेड़ पर जा पहुँचे, जहाँ वह बंदर अकेला बैठा रो रहा था। वह बंदर साथियों से मिलकर बेहद प्रसन्न हुआ। दूसरे बंदरों ने उससे माफी मांगी क्योंकि उन्होंने बुढ़ापे की वजह से उसे छोड़ दिया था। उन्होंने कहा दोस्त, ‘‘हमें माफ कर दो, हम सचमुच बेहद शर्मिंदा हैं। हम तुम्हारे साथ रहेंगे व तुम्हारी जरूरतों का पूरा ध्यान रखेंगे।’’
बूढ़े बंदर ने नन्हें हाथी को शुक्रिया कहा। उसी के कारण तो वह अपने दोस्तों से दोबारा मिल पाया था।

शिक्षा:- हमें बूढ़ें लोगों के प्रति दयालु होना चाहिए व उनकी देखभाल करनी चाहिए।
