Natkhat Renu
Natkhat Renu

Hindi Short Story: रेनू बहुत छोटी थी,बस 5 बरस की थी।वह अपने माता-पिता भाई-बहन और दादी के साथ राजगढ़ी गांव में ही रहती थी।
वह अपनी दादी के विशेष प्यार और दुलार में पल रही थी, हालांकि दादी सभी को बहुत प्यार करती थी पर रेनू उनके कुछ अधिक ही करीब थी।

वह बहुत ही शैतान और चंचल थी,पर मां को उनके सामने रेनू को डांटने को अनुमति नहीं थी।
दादी कहती देख बहु मेरे पीछे तू बच्चों को मार पीट या डांट पर मेरे सामने तू इनसे कुछ नहीं कहेगी। मां भी हम पर दांत पीस कर रह जातीं।
एक बार रेनू दादी के साथ खेतों पर चली गई, वहां पर ट्यूबबेल लगा हुआ था। आस पास बहुत हरियाली थी, भिन्न भिन्न प्रकार के पेड़ लगें थे, जैसे बेर,गूलर, शहतूत,अनार,आम, आदि।

गर्मी का मौसम था तो रेनू ने दादी से ट्यूबबेल में नहाने की जिद करने लगी।
दादी के लाख मना करने पर भी वह बात मानने को तैयार नहीं थी।
तब दादी रेनू के पास आकर बैठ गई और रेनू के सर पर हाथ रख कर बोली,”मेरी तितली ज़िद करना एक बुरी बात है,जो बच्चे जिद करते हैं और बड़ों की बात नहीं सुनते वो कई बार बड़ी मुश्किल में फंस जाते हैं।”
उन्होंने एक छोटी सी खरगोश की कहानी सुनाते हुए कहा कि,” एक खरगोश मां अपने तीन छोटे खरगोश बच्चों के साथ मांद में रहती थी,दो बच्चे बहुत ही सीधे थे और मां की सभी बात ध्यान से सुनते व मानते थे परन्तु एक बड़ा ही शरारती और जिद्दी था। उसने एक दिन शाम के समय मांद से बाहर जाने की जिद की मां के बार-बार मना करने के बाद भी वह बाहर चला गया। मां भी पीछे-पीछे गई,यह देखने के लिए की वह मुश्किल में न फंस जाए, क्योंकि अंधेरा होते ही मांसाहारी जानवर शिकार के लिए निकलते हैं।
पर छोटू खरगोश तो सुनना ही नहीं चाहता था बैठ गया रेनू के जैसे लेकर ज़िद। मौसम रात में बहुत सुहाना हो रहा था हवा में जंगली फूलों की सुहानी सी सुगंध फैली थी, जुगनुओं के झुण्ड और उनकी टिमटिमाती रोशनी को देख छोटू खरगोश तो खुशी से पागल सा हो गया,और मां को बोलने लगा देखो मां यह सब कितना मनोरम दृश्य है। तुम हो कि बस मांद में ही बैठने को कह रही थी। मां ने कहा हां बेटा सब बहुत सुंदर है पर हमें अब चलना चाहिए। वहां तेरे दोनों भाई अकेले हैं मां बस यह कह ही रही थी कि उसे एक भेड़िया आते दिखाई दिया, उसने छोटू खरगोश को तो भगा दिया पर स्वयं को उस भेड़िए से नहीं बच सकी।इस तरह अब तीनों खरगोश अनाथ हो गए।”
अब रेनू को दादी की बात समझ आ गई और उसने अपनी रोज की शरारतें करना और जिद करना लगभग बंद ही कर दिया और एक अच्छी बेटी बन गई।

रेनू बहुत छोटी थी,बस 5 बरस की थी।वह अपने माता-पिता भाई-बहन और दादी के साथ राजगढ़ी गांव में ही रहती थी।
वह अपनी दादी के विशेष प्यार और दुलार में पल रही थी, हालांकि दादी सभी को बहुत प्यार करती थी पर रेनू उनके कुछ अधिक ही करीब थी।

वह बहुत ही शैतान और चंचल थी,पर मां को उनके सामने रेनू को डांटने को अनुमति नहीं थी।
दादी कहती देख बहु मेरे पीछे तू बच्चों को मार पीट या डांट पर मेरे सामने तू इनसे कुछ नहीं कहेगी। मां भी हम पर दांत पीस कर रह जातीं।
एक बार रेनू दादी के साथ खेतों पर चली गई, वहां पर ट्यूबबेल लगा हुआ था। आस पास बहुत हरियाली थी, भिन्न भिन्न प्रकार के पेड़ लगें थे, जैसे बेर,गूलर, शहतूत,अनार,आम, आदि।

गर्मी का मौसम था तो रेनू ने दादी से ट्यूबबेल में नहाने की जिद करने लगी।
दादी के लाख मना करने पर भी वह बात मानने को तैयार नहीं थी।
तब दादी रेनू के पास आकर बैठ गई और रेनू के सर पर हाथ रख कर बोली,”मेरी तितली ज़िद करना एक बुरी बात है,जो बच्चे जिद करते हैं और बड़ों की बात नहीं सुनते वो कई बार बड़ी मुश्किल में फंस जाते हैं।”
उन्होंने एक छोटी सी खरगोश की कहानी सुनाते हुए कहा कि,” एक खरगोश मां अपने तीन छोटे खरगोश बच्चों के साथ मांद में रहती थी,दो बच्चे बहुत ही सीधे थे और मां की सभी बात ध्यान से सुनते व मानते थे परन्तु एक बड़ा ही शरारती और जिद्दी था। उसने एक दिन शाम के समय मांद से बाहर जाने की जिद की मां के बार-बार मना करने के बाद भी वह बाहर चला गया। मां भी पीछे-पीछे गई,यह देखने के लिए की वह मुश्किल में न फंस जाए, क्योंकि अंधेरा होते ही मांसाहारी जानवर शिकार के लिए निकलते हैं।
पर छोटू खरगोश तो सुनना ही नहीं चाहता था बैठ गया रेनू के जैसे लेकर ज़िद। मौसम रात में बहुत सुहाना हो रहा था हवा में जंगली फूलों की सुहानी सी सुगंध फैली थी, जुगनुओं के झुण्ड और उनकी टिमटिमाती रोशनी को देख छोटू खरगोश तो खुशी से पागल सा हो गया,और मां को बोलने लगा देखो मां यह सब कितना मनोरम दृश्य है। तुम हो कि बस मांद में ही बैठने को कह रही थी। मां ने कहा हां बेटा सब बहुत सुंदर है पर हमें अब चलना चाहिए। वहां तेरे दोनों भाई अकेले हैं मां बस यह कह ही रही थी कि उसे एक भेड़िया आते दिखाई दिया, उसने छोटू खरगोश को तो भगा दिया पर स्वयं को उस भेड़िए से नहीं बच सकी।इस तरह अब तीनों खरगोश अनाथ हो गए।”
अब रेनू को दादी की बात समझ आ गई और उसने अपनी रोज की शरारतें करना और जिद करना लगभग बंद ही कर दिया और एक अच्छी बेटी बन गई।

रेनू बहुत छोटी थी,बस 5 बरस की थी।वह अपने माता-पिता भाई-बहन और दादी के साथ राजगढ़ी गांव में ही रहती थी।
वह अपनी दादी के विशेष प्यार और दुलार में पल रही थी, हालांकि दादी सभी को बहुत प्यार करती थी पर रेनू उनके कुछ अधिक ही करीब थी।

वह बहुत ही शैतान और चंचल थी,पर मां को उनके सामने रेनू को डांटने को अनुमति नहीं थी।
दादी कहती देख बहु मेरे पीछे तू बच्चों को मार पीट या डांट पर मेरे सामने तू इनसे कुछ नहीं कहेगी। मां भी हम पर दांत पीस कर रह जातीं।
एक बार रेनू दादी के साथ खेतों पर चली गई, वहां पर ट्यूबबेल लगा हुआ था। आस पास बहुत हरियाली थी, भिन्न भिन्न प्रकार के पेड़ लगें थे, जैसे बेर,गूलर, शहतूत,अनार,आम, आदि।

गर्मी का मौसम था तो रेनू ने दादी से ट्यूबबेल में नहाने की जिद करने लगी।
दादी के लाख मना करने पर भी वह बात मानने को तैयार नहीं थी।
तब दादी रेनू के पास आकर बैठ गई और रेनू के सर पर हाथ रख कर बोली,”मेरी तितली ज़िद करना एक बुरी बात है,जो बच्चे जिद करते हैं और बड़ों की बात नहीं सुनते वो कई बार बड़ी मुश्किल में फंस जाते हैं।”
उन्होंने एक छोटी सी खरगोश की कहानी सुनाते हुए कहा कि,” एक खरगोश मां अपने तीन छोटे खरगोश बच्चों के साथ मांद में रहती थी,दो बच्चे बहुत ही सीधे थे और मां की सभी बात ध्यान से सुनते व मानते थे परन्तु एक बड़ा ही शरारती और जिद्दी था। उसने एक दिन शाम के समय मांद से बाहर जाने की जिद की मां के बार-बार मना करने के बाद भी वह बाहर चला गया। मां भी पीछे-पीछे गई,यह देखने के लिए की वह मुश्किल में न फंस जाए, क्योंकि अंधेरा होते ही मांसाहारी जानवर शिकार के लिए निकलते हैं।
पर छोटू खरगोश तो सुनना ही नहीं चाहता था बैठ गया रेनू के जैसे लेकर ज़िद। मौसम रात में बहुत सुहाना हो रहा था हवा में जंगली फूलों की सुहानी सी सुगंध फैली थी, जुगनुओं के झुण्ड और उनकी टिमटिमाती रोशनी को देख छोटू खरगोश तो खुशी से पागल सा हो गया,और मां को बोलने लगा देखो मां यह सब कितना मनोरम दृश्य है। तुम हो कि बस मांद में ही बैठने को कह रही थी। मां ने कहा हां बेटा सब बहुत सुंदर है पर हमें अब चलना चाहिए। वहां तेरे दोनों भाई अकेले हैं मां बस यह कह ही रही थी कि उसे एक भेड़िया आते दिखाई दिया, उसने छोटू खरगोश को तो भगा दिया पर स्वयं को उस भेड़िए से नहीं बच सकी।इस तरह अब तीनों खरगोश अनाथ हो गए।”
अब रेनू को दादी की बात समझ आ गई और उसने अपनी रोज की शरारतें करना और जिद करना लगभग बंद ही कर दिया और एक अच्छी बेटी बन गई।